ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया – Trigeminal Neuralgia in Hindi

इस लेख में हम ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (त्रिनाड़ी शूल) के प्रकार, कारण, लक्षण, जोखिम कारक, निदान, रोकथाम, इलाज, ट्रिगर, उपचार, जटिलताएं (types, causes, symptoms, risk factors, diagnosis, prevention, triggers, treatment, complications of trigeminal neuralgia in hindi) आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Table of Contents

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (टीएन) क्या है? – (What is Trigeminal Neuralgia (TN) in hindi?)

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (अथवा न्यूराल्जिया) एक दीर्घकालिक (chronic) दर्द की स्थिति है, जो आम तौर पर पांचवीं कपाल तंत्रिका (या ट्राइजेमिनल तंत्रिका) को प्रभावित करती है तथा बिजली के झटके जैसे दर्द के बार-बार होने वाले संक्षिप्त एपिसोड (recurrent brief episodes of electric shock-like pain) इसकी विशेषता है।

इसे न्यूरोपैथिक फेशियल पेन (neuropathic facial pain), टिक डोलौरेक्स (tic douloureux – जिसका अर्थ है दर्दनाक टिक), प्रोसोपैल्जिया (prosopalgia), ट्राइफेशियल न्यूराल्जिया (Trifacial Neuralgia), सुसाइड डिजीज (the Suicide Disease) या फोदरगिल डिजीज (Fothergill’s disease) के नाम में भी जाना जाता है। यह स्थिति आमतौर पर ट्राइजेमिनल तंत्रिका (trigeminal nerve) से संबंधित होती है लेकिन इसके लिए कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं जो जरूरी नहीं कि तंत्रिका से संबंधित हों।

चेहरे के प्रत्येक तरफ अलग-अलग ट्राइजेमिनल तंत्रिका होती है। ये दोनों तंत्रिकाएं चेहरे की संवेदी आपूर्ति (sensory supply) और चबाने की मांसपेशियों तक मोटर और संवेदी आपूर्ति (motor and sensory supply) ले जाने के लिए जिम्मेदार हैं।

इस स्थिति का दर्द कुछ गतिविधियों जैसे खाने, या ब्रश करने से उत्पन्न हो सकता है। ट्राइजेमिनल तंत्रिका की किसी या सभी शाखाओं में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (टीएन) होना संभव है। आमतौर पर दर्द चेहरे के एक तरफ होता है और दुर्लभ मामलों में, यह दोनों तरफ प्रभावित करता है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का दर्द चेहरे पर कहीं भी महसूस हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्राइजेमिनल तंत्रिका की कौन सी शाखा और कौन सा हिस्सा ग्रसित है। अधिकतर मामलों में यह दर्द चेहरे के निचले हिस्से में और जबड़े में महसूस होता है, जबकि कभी-कभी यह आंख के ऊपर और नाक के आसपास के क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है।

उल्लेखनीय रूप से, चेहरे का दाहिना हिस्सा आमतौर पर बाएं हिस्से की तुलना में इस स्थिति से अधिक प्रभावित होता है।

यह रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसके होने की संभावना अधिक होती है।

रोगियों में इसके ट्रिगर (trigger) व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं। इसके हमलों (attacks) की गंभीरता और आवृत्ति (frequency) भी व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है, जिससे ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (त्रिनाड़ी शूल) का प्रभावी ढंग से इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है और इसे मानवता के लिए ज्ञात सबसे दर्दनाक बीमारियों में से एक माना जाता है।

ट्राइजेमिनल तंत्रिका क्या है? – (What is Trigeminal nerve in hindi?)

कपाल तंत्रिकाओं (cranial nerves) के 12 जोड़े होते हैं और ट्राइजेमिनल तंत्रिका इन 12 जोड़ों में से पांचवीं है। इसे कपाल तंत्रिका V (cranial nerve V) भी कहा जाता है। यह आपके चेहरे से आपके मस्तिष्क तक दर्द, स्पर्श और तापमान संवेदनाओं को भेजने के लिए जिम्मेदार है।

आपके शरीर के प्रत्येक तरफ एक-एक दो ट्राइजेमिनल तंत्रिका होती हैं। प्रत्येक ट्राइजेमिनल तंत्रिका पोंस (pons) से शुरू होती है और तीन शाखाओं में विभाजित हो जाती है, जो आपके चेहरे के विभिन्न हिस्सों में तंत्रिका आवेगों (nerve impulses) को संचारित करने के लिए जिम्मेदार होती हैं।

ट्राइजेमिनल तंत्रिका की शाखाएँ (branches of the trigeminal nerve) निम्नलिखित हैं::

1) ऑफथल्मिक ब्रांच V1 (Ophthalmic Branch V1)

यह माथे, आंख और ऊपरी पलक की आपूर्ति (supply) करती है।

2) मैक्सिलरी ब्रांच V2 (Maxillary Branch V2)

यह गाल, ऊपरी होंठ, नासिका, निचली पलक और ऊपरी मसूड़े की आपूर्ति करती है।

3) मैंडिबुलर ब्रांच V3 (Mandibular Branch V3)

यह निचले मसूड़े, निचले होंठ, जबड़े और चबाने की मांसपेशियों को आपूर्ति करती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के प्रकार क्या हैं? – (What Are The Types of Trigeminal Neuralgia in hindi?)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के दो मुख्य प्रकार (two main types of trigeminal neuralgia in hindi) हैं:

  • टिपिकल (टाइप 1) ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Typical (Type 1) trigeminal neuralgia in hindi) 
  • एटिपिकल (टाइप 2) ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Atypical (Type 2) trigeminal neuralgia in hindi)

1) टिपिकल (टाइप 1) ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Typical (Type 1) trigeminal neuralgia in hindi) 

टिपिकल (टाइप 1) ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में:                               

  • आप दर्दनाक एपिसोड्स (painful episodes) का अनुभव कर सकते हैं जो तीव्र, और छिटपुट होते हैं
  • दर्द पूरे चेहरे पर मौजूद होता है, जो कुछ सेकंड से लेकर दो मिनट तक रह सकता है
  • एपिसोड के बीच में, दर्द रहित ब्रेक (pain-free breaks) मौजूद होते हैं जो दो घंटे तक रह सकते हैं
  • दर्द आमतौर पर चेहरे के एक साइड को प्रभावित करता है

2) एटिपिकल (टाइप 2) ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Atypical (Type 2) trigeminal neuralgia in hindi)

एटिपिकल (टाइप 2) ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया:

  • कम दर्दनाक और कम तीव्रता वाला लेकिन अधिक व्यापक होता है
  • इस प्रकार में दर्द लगातार बना रहता है, और छुरा घोंपने वाले दर्द होने के बजाय जलने के जैसा दर्द होता है
  • आपको लक्षणों को नियंत्रित करने में अधिक कठिनाई हो सकती है
  • दर्द आमतौर पर सामान्य ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की तुलना में कम गंभीर होता है

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के दोनों प्रकारों के बीच अंतर – (Difference Between Both Types Of Trigeminal Neuralgia in hindi)

 टाइप 1 ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Type 1 Trigeminal Neuralgia)टाइप 2 ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Type 2 Trigeminal Neuralgia)
चेहरे का प्रभावित क्षेत्र (Impacted facial region)चेहरे का एक तरफ, जिसमें नाक, गाल, मुंह आदि शामिल हैंचेहरे का बड़ा हिस्सा
लिंग (Sex)महिलाओं में संभावना अधिक होती हैमहिलाओं में अधिक संभावना होती है
संभावना (Likelihood)50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में कम पाई जाती हैकिसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है
इलाज में कठिनाई (difficulty in treatment)कमअधिक
आवृत्ति (Frequency)एपिसोडिक दर्द (episodic pain)लगातार दर्द (constant pain)
दर्द की तीव्रता (Intensity of pain)तीव्र दर्ददर्द आमतौर पर सामान्य (टिपिकल) ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की तुलना में कम गंभीर होता है

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के कारण क्या हैं? – (What Are The Causes of Trigeminal Neuralgia in hindi?)

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ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन ऐसा तब होता है जब ट्राइजेमिनल तंत्रिका संपीडित (compressed) अर्थात दब जाती है या अन्य चिकित्सीय स्थितियों के कारण प्रभावित होती है। ट्राइजेमिनल तंत्रिका जिसे 5वीं कपाल तंत्रिका (5th cranial nerve) के रूप में भी जाना जाता है, चेहरे के प्रत्येक तरफ मौजूद होती है। ये तंत्रिकाएं चेहरे को संवेदना (sensation) प्रदान करने के लिए आवश्यक होती हैं। ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया 2 प्रकार के होते हैं, प्राथमिक टीएन (primary TN) और सेकेंडरी टीएन (secondary TN)। दोनों अलग-अलग कारणों से होते हैं।

प्राथमिक टीएन तब होता है जब ट्राइजेमिनल तंत्रिका दब जाती है, आमतौर पर सिर में जहां मस्तिष्क स्पाइनल कार्ड (spinal cord) से मिलता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, 95% मामलों में यह ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का कारण होता है।

अधिकतर, इस संपीड़न (compression) का कारण मस्तिष्क के आधार पर एक स्वस्थ नस (vein) या धमनी और ट्राइजेमिनल तंत्रिका के बीच संपर्क होता है, और यह मस्तिष्क में प्रवेश करने पर तंत्रिका पर दबाव डालता है।

इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि यह दबाव कुछ व्यक्तियों में दर्द के साथ हमलों (attacks) का कारण बनता है लेकिन दूसरों में नहीं। यह जरूरी नहीं है कि ट्राइजेमिनल तंत्रिका पर इस तरह के दबाव से हर किसी को दर्द हो।

जबकि सेकेंडरी टीएन (secondary TN) से तात्पर्य ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से है जो किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण होता है।

इन चिकित्सीय स्थितियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सर्जरी के कारण होने वाली क्षति जैसे डेंटल सर्जरी (dental surgery)
  • चेहरे पर चोट (facial injury)
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis), यह एक ऐसी स्थिति है जो माइलिन शीथ (नसों के चारों ओर सुरक्षात्मक कोटिंग) को नुकसान पहुंचाती है
  • आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (arteriovenous malformation)
  • सिस्ट (पुटी), जो तरल पदार्थ से भरी थैली होती है
  • ट्यूमर

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनका कोई विशिष्ट कारण नहीं होता है और उन्हें इडियोपैथिक टीएन (idiopathic TN) के रूप में जाना जाता है।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के लक्षण क्या हैं? – (What Are The Symptoms of Trigeminal Neuralgia in hindi?)

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ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लक्षणों (symptoms of Trigeminal Neuralgia in hindi) में निम्नलिखित में से एक या अधिक लक्षण शामिल हो सकते हैं:

1) तीव्र चुभने या गोली लगने (severe jabbing or shooting pain) जैसे दर्द के एपिसोड, जो बिजली के झटके जैसे महसूस हो सकते हैं।

2) चेहरे पर गंभीर, शूटिंग दर्द के गंभीर हमले जो कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक रह सकते हैं।

3) दर्द के सहज हमले (spontaneous attacks of pain) या हमले (attacks) जो कुछ गतिविधियों जैसे कि दांत साफ करना, बोलना, चबाना, चेहरे को छूना आदि से उत्पन्न होते हैं।

4) दर्द के हमले (attacks of pain) जो समय के साथ अधिक बार और तीव्र हो जाते हैं।

5) दर्द एक क्षेत्र में केंद्रित होता है या विस्तृत क्षेत्र में फैलता है।

6) दर्द जो एक समय में चेहरे के एक तरफ को प्रभावित करता है।

7) ट्राइजेमिनल तंत्रिकाओं द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले क्षेत्र जैसे होंठ, मसूड़े, दांत, जबड़ा, गाल और यहां तक कि माथा और आंखें भी दर्द से प्रभावित होते हैं।

8) चेहरे पर दर्द के नियमित एपिसोड जो एक समय में कई दिनों, हफ्तों, महीनों या उससे अधिक समय तक चलते हैं, तथा जो गायब हो सकते हैं और महीनों या वर्षों तक वापस नहीं आते हैं।

9) दर्द जो रात में सोते समय बहुत कम होता है।

10) सबसे तेज दर्द के कम होने के बाद जलने जैसा दर्द या हल्का दर्द होना।

11) दर्द जो चेहरे की ऐंठन (facial spasms) के साथ होता है।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के जोखिम कारक क्या हैं? – (What Are The Risk Factors For Trigeminal Neuralgia in hindi?)

हालाँकि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया किसी भी व्यक्ति में जीवन के किसी भी समय हो सकता है, लेकिन कुछ स्थितियाँ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के खतरे को बढ़ा देती हैं, इन जोखिम कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1) लिंग (Gender)

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया होने की संभावना सबसे अधिक होती है।

2) आयु (Age)

50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को यह बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।

3) उच्च रक्तचाप (Hypertension)

हाई बीपी या हाइपरटेंशन को भी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का जोखिम कारक माना जाता है।

4) साइनस की सर्जरी तथा अनुचित या अत्यधिक दंत चिकित्सा कार्य (sinus surgery and improper or excessive dental work)

साइनस पर सर्जरी और अनुचित या अत्यधिक दंत चिकित्सा कार्य भी इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं।

5) चोट (Injury)

चेहरे पर कोई चोट या आघात भी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए एक जोखिम कारक है।

6) कुछ अन्य स्थितियां (Certain other conditions)

कुछ स्थितियाँ हैं जो ट्राइजेमिनल तंत्रिका पर दबाव का कारण बनती हैं और इनमें मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis), आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (arteriovenous malformation), धमनीविस्फार (aneurysm), ट्यूमर (tumour) आदि शामिल हैं।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया का निदान कैसे करें? – (How to Diagnose Trigeminal Neuralgia in hindi?)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का निदान कुछ कारकों जैसे लक्षण, चिकित्सा इतिहास आदि के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा, डॉक्टर दांत, मुंह, कान, टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ (temporomandibular joint) तथा गर्दन और सिर के अन्य हिस्सों की जांच करेगा। मुख्य रूप से ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का निदान आपके दर्द के विवरण पर आधारित है, जैसे:

  • दर्द का प्रकार (type of pain)
  • दर्द का स्थान यानी चेहरे का वह क्षेत्र जहां दर्द है
  • वे गतिविधियाँ जो दर्द या दर्द के अटैक (pain attack) को ट्रिगर करती हैं

आपके ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का निदान करने के लिए डॉक्टर को इन सभी विवरणों की आवश्यकता होगी और वह आपसे पूछेगा।

चेहरे का दर्द कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का भी लक्षण हो सकता है। इसलिए यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण है कि क्या कोई अन्य विकार या स्वास्थ्य स्थिति है जो ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की तरह लग रही है। ऐसी स्थितियों में शामिल हैं:

  • टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट विकार (temporomandibular joint disorder)
  • पोस्ट-हर्पेटिक न्यूराल्जिया (Post-herpetic neuralgia)

आपका डॉक्टर यह भी देखेगा कि कहीं आपको कान का संक्रमण या साइनोसाइटिस (sinusitis) तो नहीं है।

लक्षणों के सटीक कारण का पता लगाने के लिए, डॉक्टर कुछ परीक्षण करेगा। इनमें निम्नलिखित शामिल है:

1) न्यूरोलॉजिकल परीक्षा (Neurological examination)

आपका डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल परीक्षण कर सकता है जो आपके मस्तिष्क और आपके मोटर सिस्टम (motor system) में नसों की कार्यप्रणाली का पता लगाने में मदद करता है। डॉक्टर आपके रिफ्लेक्सेस (reflexes) और दर्द सहन करने की क्षमता का भी आकलन कर सकता है।

2) एमआरआई (Magnetic Resonance Imaging – MRI)

आपके सिर का एमआरआई यह पता लगाने में मदद करेगी कि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया पैदा करने के लिए ब्रेन ट्यूमर या मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) जिम्मेदार है या नहीं। कुछ मामलों में, डॉक्टर यह देखने के लिए रक्त वाहिका में डाई इंजेक्ट कर सकते हैं कि ट्राइजेमिनल तंत्रिका पर कोई रक्त वाहिका दबाव डाल रही है या नहीं।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया की रोकथाम – (Prevention of Trigeminal Neuralgia in hindi)

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दुर्भाग्य से, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के विकास को रोकने के लिए वर्तमान में कोई दिशानिर्देश नहीं हैं।

लेकिन, जिन लोगों को पहले से ही यह समस्या है, वे कुछ ऐसी गतिविधियों से बचकर इसके दर्दनाक हमलों (painful attacks) को रोक सकते हैं जो गंभीर, तीव्र दर्द का कारण बनती हैं। इसमे शामिल है:

  • अपने चेहरे को बहुत ठंडे या बहुत गर्म पानी से धोने से बचें, इस उद्देश्य के लिए हमेशा गुनगुने पानी का उपयोग करें।
  • केवल नरम खाद्य पदार्थों का सेवन करने का प्रयास करें।
  • बहुत गर्म या बहुत ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें; ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने का प्रयास करें जो हल्के गर्म, हल्के ठंडे या कमरे के तापमान पर हों।
  • कुछ खाद्य पदार्थ जैसे खट्टे फल, कैफीन आदि दर्द के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए इन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
  • अपने दांतों को धीरे से ब्रश करें और इसके लिए हमेशा नरम ब्रिसल वाले ब्रश का उपयोग करें।
  • जब भी आप कुछ खाएं तो कमरे के तापमान वाले पानी से ही कुल्ला करें।
  • यदि हवा आपके दर्द को बढ़ाती है, तो हवा से बचाने के लिए अपने चेहरे को स्कार्फ से ढक लें।
  • ऐसी किसी भी ज्ञात गतिविधि को करने से बचें जिसके बारे में आप जानते हों कि इससे आपको अतीत में दर्द हुआ हो।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के ट्रिगर – (Triggers of Trigeminal Neuralgia in hindi)

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया का दर्द या हमले कुछ गतिविधियों से ट्रिगर (trigger) या शुरू हो सकते हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बात करना
  • हंसना
  • मेकअप लगाना
  • जब हवा का तेज़ झोंका आपके चेहरे पर आए
  • ठंडे या गर्म भोजन या पेय पदार्थों का सेवन करना
  • खाद्य पदार्थ खाना
  • पेय पदार्थ पीना
  • अपनी नाक साफ करना
  • अपने दाँत ब्रश करना
  • फ्लॉसिंग (flossing) करना
  • शेव करना
  • अपना चेहरा धोना
  • अपने चेहरे को धीरे से छूना
  • अपने चेहरे पर विशेष रूप से अपने जबड़े या गाल पर कोई दबाव डालना

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया की तरह लगने वाले रोगों में टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट सिंड्रोम (temporomandibular joint syndrome), कान का संक्रमण (ear infection), साइनस का संक्रमण (sinus infection), ग्लोसोफैरिंजियल न्यूराल्जिया (glossopharyngeal neuralgia), पोस्ट-हर्पेटिक न्यूराल्जिया (post-herpetic neuralgia), दांत दर्द (dental pain), ओसीसीपिटल न्यूराल्जिया (occipital neuralgia), अर्नेस्ट सिंड्रोम (Ernest syndrome) और टेम्पोरल टेंडिनिटिस (temporal tendinitis) शामिल हैं।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के लिए उपलब्ध इलाज क्या हैं? – (What Are the Available Treatments For Trigeminal Neuralgia in hindi?)

ज्यादातर मामलों में, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के इलाज के लिए दवाएं पर्याप्त हैं और लोगों को किसी अन्य उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन कुछ मामलों में जब व्यक्ति को दवाओं का आवश्यकतानुसार फायदा नहीं होता, तब कुछ अतिरिक्त उपचार जैसे इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

यदि मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसा कोई अन्य कारण आपकी स्थिति का कारण है, तो आपका डॉक्टर अंतर्निहित स्थिति (underlying condition) का इलाज करेगा।

1) ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के लिए दवाएं (Medications For Trigeminal Neuralgia)

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आमतौर पर, ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के इलाज के लिए आपका डॉक्टर आपके मस्तिष्क को भेजे जाने वाले दर्द संकेतों को कम करने या अवरुद्ध करने के लिए दवाएं लिखेगा। ये हैं:

क) आक्षेपरोधी दवाएं (Anticonvulsant drugs)

इन दवाओं का उपयोग ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के कारण होने वाले दर्द के इलाज और राहत पाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर, इस स्थिति से जुड़े दर्द के इलाज के लिए कार्बामाज़ेपाइन (carbamazepine) पहली पसंद है। इस श्रेणी में डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली कुछ अन्य दवाओं में टोपिरामेट (topiramate), क्लोनाज़ेपम (clonazepam), गैबापेंटिन (gabapentin), सोडियम वैल्प्रोएट (sodium valproate), लैमोट्रिजिन (lamotrigine), फ़िनाइटोइन (phenytoin) और ऑक्सकार्बाज़ेपाइन (oxcarbazepine) शामिल हैं।

ऐसी संभावना है कि समय के साथ ये दवाएं कम प्रभावी हो सकती हैं। ऐसे मामलों में, आपका डॉक्टर या तो इनकी मात्रा बढ़ा देगा या दवा का प्रकार बदल देगा। इन दवाओं के उपयोग के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं जैसे कि:

  • जी मिचलाना
  • उनींदापन या तंद्रा (drowsiness)
  • भ्रम (confusion)
  • चक्कर आना

कार्बामाज़ेपाइन (मुख्य रूप से एशियाई मूल के लोगों) के मामले में दवा की गंभीर प्रतिक्रिया भी संभव है। अतः कार्बामाज़ेपाइन शुरू करने से पहले आनुवंशिक परीक्षण (genetic testing) का सुझाव भी दिया जा सकता है।

ख) ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (Tricyclic antidepressants)

इन दवाओं का उपयोग टाइप 2 ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (टाइप 2 टीएन) के लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है। इस श्रेणी के अंतर्गत उपयोग की जाने वाली विशिष्ट दवाएं नॉर्ट्रिप्टिलाइन (nortriptyline) या एमिट्रिप्टिलाइन (amitriptyline) हैं।

ग) मसल रिलैक्सेंट अथवा एंटीस्पास्टिसिटी एजेंट (Muscle relaxants or Antispasticity agents)

एंटीस्पास्टिसिटी एजेंट को मसल रिलैक्सेंट के रूप में भी जाना जाता है। इस श्रेणी में उपयोग की जाने वाली सबसे आम दवा बैक्लोफ़ेन (baclofen) है। बैक्लोफ़ेन को अकेली दवा के रूप में अथवा इसे फ़िनाइटोइन या कार्बामाज़ेपाइन के साथ मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है।

इन दवाओं के सामान्य दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • उनींदापन या तंद्रा (drowsiness)
  • भ्रम (confusion)
  • जी मिचलाना (nausea)

घ) बोटोक्स इंजेक्शन (Botox injections)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित जिन लोगों को दवाओं से राहत नहीं मिलती, उन्हें बोटोक्स (ओनाबोटुलिनम टॉक्सिन ए – onabotulinumtoxinA) इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। यह दर्द से अस्थायी राहत प्रदान कर सकते हैं।

हालाँकि, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए इस इलाज का व्यापक रूप से उपयोग करने से पहले अधिक शोध की आवश्यकता है।

2) शल्य चिकित्सा (Surgery)

यदि आपको दवाओं से लाभ नहीं होता है, या आपकी स्थिति बिगड़ती रहती है, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

जब सर्जरी की बात आती है तो कई विकल्प उपलब्ध हैं। डॉक्टर आपको कुछ कारकों के आधार पर सबसे उपयुक्त विकल्प सुझाएगा, जैसे:

  • आपका शारीरिक स्वास्थ्य (चाहे आपकी कोई अन्य चिकित्सीय स्थिति हो)
  • दर्द की गंभीरता
  • कोई पिछली सर्जरी
  • आपकी पसंद
  • सर्जरी के आपको होने वाले लाभ और जोखिम

इसके अलावा, सर्जरी टाइप 2 टीएन (Type 2 TN) के बजाय टाइप 1 टीएन (Type 1 TN) के लिए बेहतर काम करती है।

सर्जरी के लिए उपलब्ध विकल्प हैं:

क) ब्रेन स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी या गामा नाइफ (Brain Stereotactic Radiosurgery or Gamma Knife)

इस सर्जिकल प्रक्रिया में, सर्जन दर्द को कम करने या खत्म करने तथा ट्राइजेमिनल तंत्रिका को नुकसान पहुंचाने के लिए विकिरण (radiation) का उपयोग करता है। विकिरण की अत्यधिक संकेंद्रित मात्रा (highly concentrated amount) ट्राइजेमिनल तंत्रिका की जड़ (root of the trigeminal nerve), जहां यह मस्तिष्क स्टेम से मिलती है, की ओर निर्देशित की जाती है। इस प्रक्रिया से धीरे-धीरे राहत मिलती है, जिसमें एक महीने तक का समय लग सकता है।

यह प्रक्रिया ज्यादातर मामलों में दर्द से छुटकारा पाने में मदद करती है। लेकिन आम तौर पर 3 से 5 साल के बाद इसके दोबारा होने का खतरा रहता है। ऐसे मामलों में, सर्जरी दोहराई जा सकती है या वैकल्पिक विकल्प (alternative option) का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया का सबसे आम दुष्प्रभाव चेहरे का सुन्न होना है, जो इस प्रक्रिया के महीनों या वर्षों बाद हो सकता है।

ख) माइक्रोवैस्कुलर डीकम्प्रेशन (Microvascular Decompression)

माइक्रोवैस्कुलर डीकंप्रेशन एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग ट्राइजेमिनल तंत्रिका पर दबाव डालने वाली रक्त वाहिकाओं को स्थानांतरित करने या हटाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सर्जन आपकी खोपड़ी में एक छोटा सा छेद करता है और उन धमनियों को हटा देता है जो ट्राइजेमिनल तंत्रिका के संपर्क में होती हैं। यदि कोई नस (vein) तंत्रिका पर दबाव डाल रही है, तो आपका सर्जन उसे निकाल सकता है।

यदि धमनियां और नसें टीएन (TN) के लिए जिम्मेदार नहीं हैं तो सर्जन ट्राइजेमिनल तंत्रिका का हिस्सा भी काट (न्यूरेक्टॉमी) सकता है। यह प्रक्रिया टीएन दर्द से दीर्घकालिक राहत के लिए प्रभावी है। लेकिन ऐसी संभावना है कि कुछ मामलों में दर्द 10 साल तक दोबारा शुरू हो जाता है।

माइक्रोवैस्कुलर डीकंप्रेशन के सामान्य जोखिम निम्नलिखित हैं:

  • स्ट्रोक (stroke)
  • चेहरे का सुन्न होना (facial numbness)
  • चेहरे की कमजोरी (facial weakness)
  • बहरापन (hearing loss)
  • अन्य जटिलताएँ (Other complications)

ग) राइज़ोटॉमी (Rhizotomy in hindi)

इसके अलावा, ऐसी अन्य प्रक्रियाएं भी हैं जिनका उपयोग ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (त्रिनाड़ी शूल) के इलाज के लिए किया जा सकता है, जैसे राइज़ोटॉमी (rhizotomy)।

राइज़ोटॉमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आपका सर्जन दर्द संकेतों (pain signals) को अवरुद्ध करने के लिए नसों को क्षति पहुंचाता है। राइज़ोटॉमी के प्रकार निम्नलिखित हैं:

i) रेडियोफ्रीक्वेंसी थर्मल लिजनिंग (Radiofrequency thermal lesioning)

रेडियोफ्रीक्वेंसी थर्मल लिजनिंग का उपयोग दर्द पैदा करने वाले तंत्रिका तंतुओं को चुनिंदा रूप से नष्ट करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सर्जन आपको बेहोश रखते हुए आपके चेहरे के माध्यम से एक खोखली सुई डालकर उसे ट्राइजेमिनल तंत्रिका पर विशिष्ट दर्द बिंदु (specific pain point) तक निर्देशित करेगा। जब सुई सही जगह पर लग जाएगी, तब सर्जन आपको थोड़े समय के लिए बेहोशी से जगा देगा। खोखली सुई के माध्यम से, वह इलेक्ट्रोड डालेगा और इसकी नोक के माध्यम से हल्का विद्युत प्रवाह भेजेगा। फिर सर्जन आपसे वह स्थान पूछेगा जहां आपको झुनझुनी महसूस होती है।

जैसे ही सर्जन तंत्रिका के उस हिस्से का पता लगाता है जो दर्द का कारण बन रहा है, वह आपको फिर से बेहोश कर देगा। फिर इलेक्ट्रोड को तब तक गर्म किया जाता है जब तक कि यह तंत्रिका तंतुओं (nerve fibers) को नष्ट न कर दे और घाव का क्षेत्र न बना दे।

इस प्रक्रिया के बाद अस्थायी रूप से चेहरे का सुन्न होना एक आम दुष्प्रभाव है। आपको 3 से 4 साल बाद दोबारा दर्द भी हो सकता है।

ii) बैलून कम्प्रेशन (Balloon compression)

बैलून कम्प्रेशन सर्जरी का उपयोग दर्द पैदा करने वाले तंत्रिका तंतुओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सर्जन आपके गाल से होते हुए ट्राइजेमिनल तंत्रिका तक एक खोखली सुई, जिसे कैनुला (cannula) कहते हैं, डालता है। उसके बाद, सर्जन सुई के छेद के माध्यम से एक पतली लचीली ट्यूब (जिसे कैथेटर कहा जाता है) डालता है जिसके एक सिरे पर एक बैलून (गुब्बारा) होता है। फिर वह आवश्यक दबाव के साथ गुब्बारे को फुलाता है जहां तंत्रिका तंतु दर्द पैदा करते हैं। गुब्बारा तंत्रिका को दबाता है और दर्द पैदा करने वाले तंतुओं को नुकसान पहुंचाता है। फिर सर्जन प्रक्रिया के अंत में गुब्बारा (बैलून) और कैथेटर हटा देता है।

यह प्रक्रिया लोगों को कम से कम एक से दो साल तक दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। चेहरे का अस्थायी सुन्न होना (temporary facial numbness) बैलून कम्प्रेशन सर्जरी का एक सामान्य दुष्प्रभाव है।

iii) ग्लिसरॉल इंजेक्शन राइज़ोटॉमी (Glycerol injection rhizotomy)

ग्लिसरॉल इंजेक्शन राइज़ोटॉमी में, सर्जन आपके गाल और आपकी खोपड़ी के आधार (base of your skull) में एक छेद से एक खोखली सुई डालेगा। सर्जन एक्स-रे द्वारा सुई को स्पाइनल फ्लूइड (spinal fluid) की एक छोटी थैली, जो ट्राइजेमिनल तंत्रिका की जड़ को घेरे रहती है, तक निर्देशित करता है। जब सुई अपनी जगह पर होती है, तो सर्जन थोड़ी मात्रा में स्टेराइल ग्लिसरॉल (sterile glycerol) को इंजेक्ट करता है। ग्लिसरॉल ट्राइजेमिनल तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है और दर्द संकेतों को अवरुद्ध करता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में आमतौर पर केवल कुछ मिनट लगते हैं और आपको उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है।

चेहरे में झुनझुनी या सुन्नता (facial tingling or numbness) इस प्रक्रिया का एक सामान्य दुष्प्रभाव है। इसके अलावा, कुछ लोगों में सर्जरी के एक से दो साल बाद दर्द दोबारा हो सकता है।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के लिए वैकल्पिक उपचार या प्राकृतिक उपचार – (Alternative Treatment or Natural Treatment for Trigeminal Neuralgia in hindi)

कुछ व्यक्तियों को दर्द और उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रबंधित करने के लिए वैकल्पिक या प्राकृतिक उपचार (आमतौर पर दवा उपचार के साथ संयोजन में) उपयोगी लगते हैं (2)।

इन उपचारों में शामिल हैं:

  • सपोर्टिव  काउंसलिंग या थेरेपी (Supportive counseling or therapy)
  • चिरोप्रैक्टिक (Chiropractic)
  • न्यूट्रिशन थेरेपी (Nutritional therapy)
  • विटामिन थेरेपी (Vitamin therapy)
  • बायोफीडबैक (Biofeedback)
  • एक्यूपंक्चर (Acupuncture)
  • लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज (Low-impact exercise)
  • अरोमाथेरेपी  (Aromatherapy)
  • ध्यान या मैडिटेशन (Meditation)
  • योग (Yoga)

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के कुछ उपयोगी घरेलू उपचार – (Some Useful Home Remedies for Trigeminal Neuralgia in hindi)

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के मामले में घरेलू उपचार का सबसे अच्छा उपयोग दर्द के ट्रिगर (pain triggers) से बचना है। यदि कोई व्यक्ति दर्द या हमले का कारण बनने वाली गतिविधियों या कार्यों का पता लगा सकता है, तो वह भविष्य में होने वाली दर्द की घटनाओं से बचने के लिए कुछ घरेलू तरीकों का उपयोग कर सकता है। कुछ घरेलू उपचार इस प्रकार हैं:

  • मसले हुए या तरल खाद्य पदार्थों का सेवन करें, ताकि आपको ज्यादा चबाने की जरूरत न पड़े
  • कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए स्ट्रॉ (straws) का इस्तेमाल करें
  • ठंडा, गर्म या मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचें
  • एसी, पंखे आदि के बिल्कुल नजदीक न बैठें
  • घर में ठंडी हवा के झोंकों को आने से रोकें
  • चेहरे को सीधी हवा के झोकों से बचाने के लिए स्कार्फ का प्रयोग करें

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया की जटिलताएँ क्या हैं? – (What are The Complications of Trigeminal Neuralgia in hindi?)

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ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया की जटिलताएँ (complications of trigeminal neuralgia in hindi) निम्नलिखित हैं:

1) संक्रमण का विकास (Development of an Infection)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की सबसे आम जटिलता संक्रमण का विकास होना है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि तंत्रिका में सूजन हो जाती है, जिससे यह जीवाणु संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है। संक्रमण विकसित होने का एक अन्य जोखिम कारक ऐसी दवाएं लेना है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा देती हैं, जैसे स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स।

2) चेहरे का पक्षाघात या पैरेस्थीसिया (Facial Paralysis or Paresthesia)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से चेहरे का पक्षाघात या पैरेस्थीसिया (झुनझुनी या सुन्नता) का विकास भी हो सकता है। चेहरे का पक्षाघात तब होता है जब ट्राइजेमिनल तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो जाती है और चेहरे की मांसपेशियों को संकेत नहीं भेज पाती है। यदि उपचार न किया जाए, तो चेहरे के पक्षाघात के कारण भोजन को चबाने और निगलने में कठिनाई हो सकती है, साथ ही स्पष्ट रूप से बात करने में भी कठिनाई हो सकती है क्योंकि बोलने के लिए चेहरे की मांसपेशियों के उपयोग की आवश्यकता होती है।

3) सामाजिक अलगाव (Socially Withdrawn)

शर्मिंदगी और आसन्न हमले के डर (fear of an impending attack) के कारण गंभीर दर्द वाले मरीज़ सामाजिक रूप से अलग हो सकते हैं।

4) ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome)

एक अन्य संभावित जटिलता ड्राई आई सिंड्रोम है। ड्राई आई सिंड्रोम में आंसू उत्पादन (tear production) कम होने के कारण आंखों में सूखापन और जलन होती है। आंसू उत्पादन में कमी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया अथवा मधुमेह, रुमेटीइड आर्थराइटिस आदि जैसी संबंधित स्थितियों के कारण सूजन के परिणामस्वरूप हो सकती है। यदि आपको ड्राई आई सिंड्रोम है, तो आपको आंखों में चुभन/जलन जैसे लक्षण अनुभव हो सकते हैं। इसके अलावा, लक्षणों में धुंधली दृष्टि, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, रात के समय गाड़ी चलाने में कठिनाई, और आंखों का लाल होना आदि शामिल हैं।

5) अवसाद (Depression)

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में दर्द बहुत गंभीर और असहनीय होता है; और यदि इसका प्रभावी ढंग से इलाज नहीं किया जाए तो मरीज़ अवसादग्रस्त हो सकता है।

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के रोगियों के लिए पूर्वानुमान क्या है? – (What is The Prognosis for Patients With Trigeminal Neuralgia in hindi?)

ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (त्रिनाड़ी शूल) जीवन-घातक स्थिति नहीं है, लेकिन यह जीवन-परिवर्तनकारी (life-altering) हो सकती है। इससे आजीवन दर्द हो सकता है और यह बहुत गंभीर हो सकता है। कुछ रोगियों में दर्द की घटनाएँ हफ्तों या महीनों तक रह सकती हैं, उसके बाद दर्द रहित अंतराल (pain-free intervals) होते हैं। कुछ रोगियों में, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के साथ-साथ लगातार चेहरे का दर्द भी मौजूद रहता है।

सही निदान और उचित उपचार रोगियों के लिए फायदेमंद होता है और अच्छा पूर्वानुमान (prognosis) देता है। इस स्थिति का इलाज अक्सर दवा से किया जाता है और यदि आवश्यक हो तो सर्जरी तथा अन्य उपचारों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, समय के साथ दवाएं अपना प्रभाव खो सकती हैं।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया को रोकने का कोई सिद्ध तरीका नहीं है, लेकिन इसके दर्द को रोकने के लिए कुछ तकनीकें अपनाई जा सकती हैं।


1) Trigeminal Neuralgia

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK554486/

2) Trigeminal Neuralgia Fact Sheet

https://www.ninds.nih.gov/trigeminal-neuralgia-fact-sheet

3) Trigeminal Neuralgia: Causes, Symptoms, Treatment & Surgery


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


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