रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) – Immunity in Hindi

रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) क्या है? – What is Immunity in Hindi?

रोग प्रतिरोधक क्षमता (यानि इम्युनिटी) किसी भी  मनुष्य के भीतर होने वाली जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है जो रोगाणुओं की पहचान करके और उन्हें मारकर मनुष्य की रोगों से रक्षा करती है|  इन रोगाणुओं में विषाणु, परजीवी कृमि, जीवाणु, और फफूंदी आते हैं| प्रतिरक्षा प्रणाली विषाणु से लेकर परजीवी कृमियों तक की पहचान करने में सक्षम है और उन्हें नुकसान पहुंचाने से रोकती है|

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अथवा प्रतिरक्षा शक्ति (immunity) में खराबी आने से वह रोगाणुओं को रोक नहीं पाती है और रोगाणु शरीर में प्रवेश करके उसे बीमार कर देते हैं; इस खराबी को इम्यूनोडिफिशिएंसी (immunodeficiency) कहते हैं| इम्यूनोडिफिशिएंसी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अनुवांशिक रोग, या किसी खास दवा का इस्तेमाल, या संक्रमण आदि के कारण|

रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) का कार्य यह भी है कि वो आपके शरीर को बाह्य पदार्थों (फॉरेन बॉडी) से मुक्त रखती है जैसे इनफेक्शंस से बचाव, और कैंसर सेल्स को मार देना|

बीमारी से बचाव के लिए हमारी इम्यूनिटी अथवा रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बहुत जरूरी है इसी के चलते हमारा शरीर कई बीमारियों से आसानी से लड़ लेता है|

सफेद रक्त कोशिकाएं, एंटीबॉडीज (antibodies), और कई अन्य तत्वों से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) बनती है|

रोग प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रकार – Types Of Immunity in Hindi

रोग प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा प्रणाली दो प्रकार की होती है:

1) सहज प्रतिरक्षा (Innate Immunity)

2) अर्जित प्रतिरक्षा (acquired immunity)

रोग प्रतिरक्षा क्षमता इम्युनिटी immunity in hindi
रोग प्रतिरक्षा शक्ति

सहज प्रतिरक्षा – Innate Immunity in Hindi

यह अविशिष्ठ प्रकार की प्रतिरक्षा होती है और यह जन्म के समय से मौजूद होती है| यह प्रतिरक्षा हमारे शरीर में बाह्य कारक (विदेशी पदार्थ) के प्रवेश के सामने विभिन्न प्रकार के रोधक खड़ा करते हैं|

इसमें निम्नलिखित रोधक होते हैं:

1) शारीरिक रोधक अथवा फिजिकल बैरियर

ये रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश को रोकते हैं| उदाहरण के लिए श्वसन तंत्र, जठरांत्र आदि की आंतरिक दीवार पर म्यूकस कोटिंग शरीर में घुसने वाले रोग वालों को रोकने में सहायता करती है|

2) कार्यकीय रोधक अथवा फिजियोलॉजिकल बैरियर

ये शरीर में रोगाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं| उदाहरण के लिए मुंह की लार, आमाशय का अम्ल, आंखों के आंसू, ये सभी रोगाणुओं के लिए कार्यकीय अवरोधक या फिजियोलॉजिकल बैरियर का काम करते हैं|

3) कोशिकीय रोधक या सेल्यूलर बैरियर

ये रोगाणुओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं| रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं जैसे न्यूट्रॉफिल्स, मोनोसाइट्स और लिम्फोसाइट्स, रोगाणुओं का भक्षण करते हैं और उन्हें नष्ट करते हैं|

4) साइटोकाइन रोधक

शरीर में विषाणु का संक्रमण हो जाने पर संक्रमित कोशिकाएं इंटरफेरॉन नामक प्रतिरक्षी का निर्माण करती हैं, जो भविष्य में विषाणु संक्रमण होने पर कोशिकाओं को विषाणु संक्रमण से बचाते हैं|

अर्जित (उपार्जित) प्रतिरक्षा अथवा एक्वायर्ड इम्युनिटी – Acquired Immunity in Hindi

अर्जित प्रतिरक्षा (acquired immunity) रोगजनक विशिष्ट होती है जिसका अर्थ है कि जब आपके शरीर का पहली बार किसी रोगजनक से सामना होता है तो वह एक निम्न तीव्रता की अनुक्रिया देता है जिसे प्राथमिक रिस्पॉन्स कहते हैं| बाद में उसी रोगजनक से सामना होने पर आपका शरीर बहुत ही उच्च तीव्रता की अनुक्रिया (द्वितीय रिस्पांस) देता है, और इसका प्रमुख कारण यह होता है कि हमारे शरीर को इस रोगाणु से प्रथम मुठभेड़ की समृति होती है|

प्रथम अनुक्रिया और द्वितीयक अनुक्रिया को सम्मिलित रूप से अर्जित प्रतिरक्षा कहते हैं|

प्राथमिक और द्वितीयक प्रतिरक्षा अनुक्रिया या रिस्पॉन्स आपके रक्त में मौजूद दो विशेष प्रकार के लसीका अनुओं द्वारा होती है और यह लसीका अनु हैं बी लासिकाणु (B Lymphocytes) और टी लासिकाणु (T Lymphocytes)|

रोगजनकों की अनुक्रिया में बी लसीकाणु (B Lymphocytes) आपके रक्त में प्रोटनों का निर्माण करते हैं, ताकि वे रोगजनकों से लड़ सकें| यह प्रोटीन प्रतिरक्षी (एंटीबॉडीज) कहलाते हैं| टी कोशिकाएं स्वयं से एंटीबॉडीज (antibodies) का निर्माण नहीं करती हैं लेकिन बी कोशिकाओं को प्रोटीन उत्पन्न करने में मदद करती हैं|

प्रतिरक्षी (antibody) अणु की सरंचना एवं प्रकार:

प्रत्येक प्रतिरक्षी अणु पोलीपेप्टाइड का बना होता है जिसमें 4 पेप्टाइड श्रृंखलाएं होती हैं, दो दीर्घ श्रृंखला एवं दो लघु श्रृंखला| ये आपस में डाइसल्फाइड बंध के द्वारा जुडी होती हैं, इसलिए प्रतिरक्षी को H2L2 के रूप में दर्शाया जाता है|

प्रतिरक्षी मुख्यतः पाँच प्रकार के होते हैं:

1) IgG

2) IgM

3) IgA

4) IgE

5) IgD

ये प्रतिरक्षी रक्त में पाए जाते हैं इसलिए इन्हें तरल प्रतिरक्षा अनुक्रिया या ह्युमोरल इम्यून रिस्पांस कहा जाता है|

अर्जित प्रतिरक्षा के प्रकार – Types of Acquired Immunity in Hindi

1) तरल माध्यित अर्जित प्रतिरक्षा (ह्युमोरल इम्यून रिस्पांस)

यह बी- कोशिकाओं द्वारा प्रदान की जाती है, तथा इसकी स्मृति कम होती है| अतः यह प्रतिरक्षा कम अवधि की होती है| इसके प्रतिरक्षी रक्त में पाए जाते है|

2) कोशिका माध्यित अर्जित प्रतिरक्षा (सेल मेडिएटेड इम्युनिटी)

यह टी कोशिकाओं कें द्वारा प्रदान की जाती है और इसकी अवधि अधिक होती है| और यह अंग प्रत्यारोपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है|

दोस्तो, जब किसी का हृदय, नेत्र, किडनी, आदि संतोषजनक रूप से काम करना बंद कर देते हैं तो उसका एकमात्र इलाज बचता है प्रतिरोपण; जिससे कि वह व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके| परंतु इसके लिए किसी भी व्यक्ति का निरोप (ग्राफ्ट) नहीं लगाया जा सकता क्योंकि देर या सवेर वह ग्राफ्ट नकार दिया जा सकता है| ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर अपने में और पराए में भेद करने में सक्षम होता है और इसका कारण होता है कोशिका माध्यित अर्जित प्रतिरक्षा| इसीलिए प्रतिरूप लेने से पहले दोनों का उत्तक मिलान और रक्त मिलान अति आवश्यक होता है, और इसके बाद भी रोगी को अपने पूरे जीवन भर प्रतिरक्षा-निरोधक (इम्युनोसप्रेसेंट) लेने पड़ते हैं|

सक्रिय प्रतिरक्षा एवम निष्क्रिय प्रतिरक्षा – Passive Immunity & Active Immunity in Hindi

सक्रिय प्रतिरक्षा या एक्टिव इम्यूनिटी – Active Immunity in Hindi

सक्रिय प्रतिरक्षा (वैक्सीनेशन) रोग प्रतिरक्षा शक्ति
वैक्सीनेशन (सक्रिय प्रतिरक्षा)

जब आपका शरीर प्रतिजनों अर्थात एंटीजेंस का सामना करता है तो उसमें प्रतिरक्षी (एंटीबॉडीज) पैदा होते हैं, यह प्रतिजन अथवा एंटीजेंस जीवित या मृत रोगाणुओं या प्रोटीनों के रूप में हो सकते हैं और इनके विरुद्ध इस प्रकार की प्रतिरक्षा को सक्रिय प्रतिरक्षा या एक्टिव इम्यूनिटी (active immunity) कहते हैं|

सक्रिय प्रतिरक्षा धीमी होती है और अपना पूरा प्रभाव देने में समय लेती है| इम्यूनाइजेशन या वैक्सीनेशन के दौरान जानबूझकर रोगाणुओं का टीका देना अथवा प्राकृतिक संक्रमण के दौरान संक्रामक जीवो का शरीर में पहुंचना आप की सक्रिय प्रतिरक्षा को प्रेरित करता है|

निष्क्रिय प्रतिरक्षा या पैसिव इम्यूनिटी – Passive immunity in Hindi

जब शरीर की रक्षा के लिए बने प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) सीधे ही शरीर में प्रविष्ट किए जाते हैं तो इसे निष्क्रिय प्रतिरक्षा या पैसिव इम्यूनिटी कहते हैं| प्रेगनेंसी के दौरान प्लेसेंटा से शिशु को मिलने वाले कुछ एंटीबॉडी शिशु की कुछ बीमारियों से रक्षा करते हैं, यह पैसिव इम्यूनिटी (passive immunity) का ही एक उदाहरण है|

कैसे पता लगाएंगे कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युन सिस्टम) मजबूत है या कमजोर

इन बातों से पता चल जायेगा कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर है:

1) अगर आप घर के बाकी सदस्य के मुकाबले बहुत जल्दी बीमार पड़ते हैं, जैसे बार बार जुकाम होना, तो समझ जाइए कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) कमजोर है|

2) अगर खाने पीने की चीजों से जल्दी ही आपको इंफेक्शन हो जाती है, तब भी यह समझना चाहिए कि आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) कमजोर है|

3) जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उनको बदलते मौसम के साथ ही कोई ना कोई समस्या होती है|

कैसे पता चलेगा कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) मजबूत है

दोस्तो, नीचे लिखी बातों से आप पता लगा सकते हैं कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) मजबूत है:

1) आप बिना दवा के ही कई तरह के संक्रमण से खुद ही ठीक हो जाते हैं तो समझ जाइए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) मजबूत (स्ट्रांग) है|

2) मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युन सिस्टम) सिर्फ सर्दी जुकाम से लड़ने में काम नहीं आता, बल्कि हर तरह के संक्रमण से आपको बचाने में काम करता है|

3) अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता स्ट्रांग है तो आपके घाव भी जल्दी भर जाते हैं|


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अस्वीकरण (DISCLAIMER): इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्यूंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुक्सान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|

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1) बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) – BMI (Body Mass Index) in Hindi

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