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अभयारिष्ट सिरप क्या है? – (What is Abhayarishta Syrup in Hindi?)
अभयारिष्ट, जिसे अभयारिष्टम भी कहा जाता है, एक प्रभावी आयुर्वेदिक अरिष्ट औषधि है। इसका उपयोग पाचन में सुधार करता है, तथा पेट फूलना, एनोरेक्सिया (anorexia), बवासीर, कब्ज, भूख न लगना, डिस्यूरिया (Dysuria), और एनल फिस्टुला (anal fistula) के इलाज में मदद करता है। अभयारिष्ट “अभया” जड़ी बूटी (जिसे हरीतकी भी कहा जाता है) का किण्वित हर्बल सिरप है, जो एक उत्कृष्ट रेचक है और उचित पाचन को उत्तेजित करता है।
अभयारिष्ट सिरप एक अरिष्ट है जो एक विशिष्ट अवधि के लिए गुड़ के घोल के साथ हरीतकी, आमलकी, विडंग, पिप्पली आदि पौधों के हिस्सों के काढ़े को अवायवीय (anaerobic) रूप से किण्वित करके बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में इथेनॉल (ethanol) भी उत्पन्न होता है, जो परिरक्षक (preservative) के रूप में काम करता है।
आयुर्वेद के अनुसार, अभयारिष्ट सिरप का रेचक गुण कब्ज से राहत देने और एनल फिस्टुला के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसमें पाचन और क्षुधावर्धक (दीपन) गुण होते हैं, जो पेट फूलना, एनोरेक्सिया, और अत्यधिक प्यास लगना जैसी पाचन समस्याओं में राहत देते हैं। इसके अतिरिक्त, इस अरिष्ट के वात दोष को संतुलित करने वाले गुण पाचन-अग्नि (पचकाग्नि) को प्रोत्साहित करते हैं, जो बवासीर जैसे एनोरेक्टल रोगों (anorectal diseases) के प्रबंधन में सहायक होते हैं।
यदि अभयारिष्ट सिरप को अनुशंसित खुराक में लिया जाता है, तो यह आमतौर पर अच्छी तरह से सहन किया जाता है और इसका कोई नुकसान (दुष्प्रभाव) नहीं होता। लेकिन इस सिरप का इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
दोषों पर प्रभाव – (Effect On Doshas in Hindi)
आयुर्वेद के अनुसार, अभयारिष्टम के हर्बल घटक त्रिदोष (यानी वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने और शरीर से आम (हानिकारक विषाक्त पदार्थों) को निकालने में मदद करते हैं।
- यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है
- कफ को कम करता है
- वात को शांत करता है
- आम को निकालता है
अभयारिष्ट सिरप के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (Composition) Of Abhayarishta Syrup in Hindi?)
दोस्तो, अभयारिष्ट बनाने के लिए निम्नलिखित 3 प्रकार के घटक द्रव्य चाहिए होते हैं:
- क्वाथ द्रव्य
- संधान द्रव्य
- प्रक्षेपक द्रव्य
अभयारिष्ट बनाने के लिए आवश्यक क्वाथ द्रव्य (काढे के लिए जड़ी-बूटियाँ) निम्नलिखित हैं:
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक नाम | घटक द्रव्य की मात्रा |
हरीतकी (फल का छिलका) | Terminalia chebula | 4.8 कि.ग्रा. |
मृदविका (अंगूर) | Vitis vinifera | 2.4 कि.ग्रा. |
विडंग | Embelia ribes | 480 ग्राम |
मधूक पुष्प | Madhuca indica | 480 ग्राम |
पानी | — | 49.152 लीटर |
संधान द्रव्य (किण्वक एजेंट – Fermentative agents)
गुड़ | 4.8 कि.ग्रा. |
प्रक्षेपक द्रव्य (सुगंधित जड़ी-बूटियाँ – Aromatic herbs)
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक नाम | घटक द्रव्य की मात्रा |
धातकी | Woodfordia fruticosa | 96 ग्राम |
मोचरस | Salmalia malabarica | 96 ग्राम |
गोक्षुर | Tribulus terrestris | 96 ग्राम |
इंद्रवारुणी (or bitter apple) | Citrullus colocynthis | 96 ग्राम |
धान्यक (धनिया) | Coriandrum sativum | 96 ग्राम |
सौंफ | Foeniculum vulgare | 96 ग्राम |
दंती | Baliospermum montanum | 96 ग्राम |
चव्य (गज पिप्पली) | Piper retrofractum | 96 ग्राम |
त्रिवृत | Operculina turpethum | 96 ग्राम |
सोंठ (सूखा अदरक) | Zingiber officinale | 96 ग्राम |
अभयारिष्ट सिरप को बनाने की विधि क्या है? – (What Is The Method of Preparation Of Abhayarishta Syrup in Hindi?)
काढ़ा बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले क्वाथ द्रव्यों (काढ़ा जड़ी बूटियों) को धोकर धूप में सुखाया जाता है।
इन जड़ी-बूटियों को पीस लिया जाता है और अशुद्धियों को दूर करने के लिए इन्हें छान लिया जाता है।
इसके साथ ही, प्रक्षेपक द्रव्यों (सुगंधित जड़ी-बूटियों) को भी साफ किया जाता है, सुखाया जाता है, और पीसकर पाउडर बना लिया जाता है। इस पाउडर को छानकर एक अलग डिब्बे में रख दिया जाता है।
फिर काढ़े वाली जड़ी-बूटियों (यानी हरितकी, मृदविका, विडंग और मधूक पुष्प) को 49.152 लीटर पानी में डुबोया जाता है और रात भर भीगने दिया जाता है।
सुबह में, काढ़े वाली जड़ी-बूटियों और पानी को धीमी आंच पर तब तक गर्म किया जाता है, जब तक इसकी मात्रा कम होकर ¼ (यानी 12.288 लीटर) नहीं हो जाती। अशुद्धियों को दूर करने के लिए इसे मलमल के कपड़े से छान लिया जाता है।
जब यह काढ़ा ठंडा हो जाए तो इसमें 4.8 किलो गुड़ डालकर अच्छी तरह हिलाएं।
इसके बाद इस काढ़े को एक चौड़े मुंह वाले बर्तन में डालें, इस काढ़े में सभी दस सुगंधित जड़ी-बूटियों का चूर्ण (प्रत्येक 96 ग्राम की मात्रा में) मिला लें।
अब इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और कंटेनर के खुले हिस्से को बंद कर दें।
इस कंटेनर को 1 महीने के लिए सूखी, हवादार और छायादार जगह पर रखें और इसे किण्वित होने दें।
एक महीने के बाद इस कंटेनर को उस स्थान से हटा दें और किण्वित तरल को मलमल के कपड़े से छान लें ताकि ठोस कण और अशुद्धियां दूर हो जाएं।
छानने के बाद आपको जो तरल भाग मिलता है वह अभयारिष्ट सिरप है, जिसे बाद में कांच के जार या खाद्य ग्रेड प्लास्टिक की बोतलों में संग्रहित किया जाता है।
अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and Uses Of Abhayarishta Syrup in Hindi?)
अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे और उपयोग निम्नलिखित हैं (Benefits and Uses Of Abhayarishta Syrup in Hindi):
1) कब्ज के लिए अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Abhayarishta syrup Benefits for Constipation in Hindi)
कब्ज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति कठोर और सूखा मल त्याग करता है, या मल त्यागने में कठिनाई का सामना कर सकता है। यह एक सामान्य स्थिति है और किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार, कब्ज वात और पित्त दोषों के बीच असंतुलन का परिणाम है। ये दोष कई कब्ज पैदा करने वाले कारकों से असंतुलित हो जाते हैं, जैसे
- चाय या कॉफी का अत्यधिक सेवन
- रात को देर तक सोना
- तनाव
अभयारिष्ट वात और पित्त को संतुलित करने में मदद करता है, इसलिए आयुर्वेद कब्ज के इलाज में इसके उपयोग की दृढ़ता से अनुशंसा (strongly recommends) करता है।
साथ ही, यह अरिष्ट निम्न कार्यों के द्वारा बड़ी आंत से अपशिष्ट उत्पादों (waste products) को बाहर निकालने में मदद करता है:
- यकृत द्वारा पित्त का स्राव बढाकर, जो बदले में आंतों की क्रमाकुंचन (peristalsis) गति पर कार्य करता है
- मल में श्लेष्मा (mucous) और अतिरिक्त वसा की मात्रा को कम करने में मदद करता है, जो मल को आंतों की दीवारों पर चिपकने से रोकता है
कब्ज से राहत पाने के लिए अभयारिष्ट का उपयोग कैसे करें? – (How to Use Abhayarishta For Getting Relief from Constipation in Hindi?)
कब्ज के इलाज के लिए, 15-20 मिलीलीटर अभयारिष्ट सिरप को समान मात्रा में पानी के साथ मिलाएं और दिन में दो बार भोजन के बाद इसका सेवन करें। आप अपनी स्थिति के अनुसार इसका सेवन रात में सिर्फ एक बार भी कर सकते हैं।
2) बवासीर के लिए अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Benefits of Abhayarishta Syrup for Piles in Hindi)
बवासीर (पाइल्स) गुदा के अंदर या आसपास सूजी हुई रक्त वाहिकाएं हैं। बवासीर के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- गुदा में या उसके आसपास दर्दनाक गांठ
- आपके गुदा क्षेत्र में खुजली या जलन
- मल में खून
- मलत्याग के दौरान और बाद में असहजता
आयुर्वेद में इसे अर्श कहा गया है। गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार बवासीर का कारण बन सकता है। इनसे तीनों दोषों, विशेषकर वात, में असंतुलन हो सकता है। वात के बढ़ने से पाचन-अग्नि (पचकाग्नि) कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप कब्ज होती है, और मलाशय क्षेत्र की नसों में सूजन आ जाती है।
अपने वात-संतुलन और रेचक गुणों के कारण, अभयारिष्ट सिरप पचकाग्नि (पाचन-अग्नि) को उत्तेजित करता है और कब्ज से राहत दिलाकर बवासीर के इलाज में मदद करता है।
अभयारिष्ट मल को नरम करता है और आंतों से मल को आसानी से बाहर निकालने में सहायता करता है। यह आंतों के निचले हिस्से पर तनाव को कम करता है और आंतों की ताकत में सुधार करता है।
यह सिरप पेरिअनल क्षेत्र (perianal area) की लोच (elasticity) में सुधार करके बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाने में भी मदद करता है (1)।
3) पाचन के लिए अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Abhayarishtam Syrup Benefits For Digestion in Hindi)
अभयारिष्ट सिरप एक बहुत शक्तिशाली पाचन उत्तेजक है। यह:
- पाचक रसों के स्राव को बढ़ावा देता है, और
- आमाशय और आंतों में भोजन के कणों को तोड़ने में मदद करता है
- आंतों के माध्यम से पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है
इस प्रकार यह पाचन को बढ़ावा देता है और निम्नलिखित दिक्कतों में मदद करता है:
- पेट की गैस का निवारण करता है
- पेट की सूजन, पेट का फूलना, और गैस के कारण पेट की ऐंठन को कम करता है
हार्टबर्न, एसोफैगिटिस (Esophagitis), पेप्टिक अल्सर, दस्त, और गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी), आदि विभिन्न गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं (gastrointestinal problems) के लिए यह सिरप एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है।
4) भूख न लगना में अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Benefits of Abhayarishta Syrup in Loss of Appetite)
भूख न लगना (या एनोरेक्सिया) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खाने की बहुत कम या बिल्कुल इच्छा नहीं होती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में कम पाचन-अग्नि (मंद पाचकाग्नि) से अपच हो सकता है, जिससे आम (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष) का निर्माण हो सकता है। इससे भूख कम हो सकती है और आयुर्वेद में इसे अरुचि के नाम से जाना जाता है।
अभयारिष्ट अपने पाचन और क्षुधावर्धक (दीपन) गुणों के परिणामस्वरूप भूख न लगना, गैस, प्यास और ब्लोटिंग (bloating) को ठीक करने में मदद करता है।
5) जलोदर के उपचार में अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Abhayarishta Syrup Benefits in Treating Ascites in Hindi)
अभयारिष्ट सिरप जलोदर के अंतर्निहित कारणों को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद है। यह निम्न तरह से लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) के खतरे को कम करता है, जिससे जलोदर हो सकता है:
- अत्यधिक शराब के सेवन से लीवर को होने वाले नुकसान से बचाता है
- फैटी लीवर (fatty liver) के निर्माण की क्रिया को नियंत्रित करता है
- पेट में रक्त वाहिकाओं की संकीर्णता (constriction of the blood vessels) को रोकता है
इसके एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण निम्नलिखित स्तिथियों के उपचार में भी सहायता करते हैं:
- अल्कोहलिक लिवर डिजीज (Alcoholic liver disease)
- हेपेटाइटिस (hepatitis), और
- शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने के कारण लिवर डैमेज (Liver damage)
6) एनल फिस्टुला (भगंदर) के लिए अभयारिष्ट सिरप पीने के फायदे – (Abhyarishta Syrup Benefits for Anal Fistula in Hindi)
एनल फिस्टुला एक छोटी सुरंग है जो गुदा के भीतर एक संक्रमित ग्रंथि और गुदा के आसपास की त्वचा पर एक छिद्र के बीच विकसित होती है। यह स्थिति निम्नलिखित लक्षण पैदा कर सकती है:
- गुदा के आसपास दर्द और सूजन
- गुदा द्वार के पास मवाद निकलना
- मल-त्याग के साथ दर्द होना
- मल-त्याग के समय खून आना
आयुर्वेद में इसे भगंदर के नाम से जाना जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, भगंदर दो संस्कृत शब्दों, भग और दारण से बना है। संस्कृत भाषा में भग का अर्थ है गुदा और जननांग के बीच का क्षेत्र (perineum), और दारण का अर्थ है चीरना। इसलिए, भगंदर का तात्पर्य पेरिनियल या पेरिअनल क्षेत्र (perineal or perianal region) में कटने या फटने से है।
लगातार कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं एनल फिस्टुला जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।
अभयारिष्ट का रेचक गुण कब्ज के प्रबंधन में सहायता करता है और एनल फिस्टुला के लक्षणों में राहत प्रदान करता है।
7) अभयारिष्ट सिरप मूत्र संबंधी विकारों को रोकने में मदद करता है – (Abhayarishta syrup Helps in Preventing Urinary Disorders in Hindi)
अभयारिष्ट सिरप के प्रभावी सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुण बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकते हैं और मूत्र पथ की सूजन को कम करते हैं।
इस सिरप से यूरिनरी इनकंटीनेंस (urinary incontinence), डिस्यूरिया (Dysuria), और गुर्दे की पथरी (renal stones) का प्रभावी ढंग इलाज किया जा सकता है।
अभयारिष्ट सिरप पीने के नुकसान क्या हैं? – (What Are The Side Effects Of Abhayarishta Syrup in Hindi?)
अभयारिष्ट सिरप कई तरह की बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। आयुर्वेदिक साहित्य में इस सिरप का कोई दुष्प्रभाव या नुकसान नहीं बताया गया है। लेकिन, आपको अभयारिष्ट का उपयोग करने से पहले हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और निर्धारित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए। निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में अभयारिष्टम का सेवन करने से कुछ नुकसान (दुष्प्रभाव) हो सकते हैं।
3 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए अधिक मात्रा में अभयारिष्ट सिरप का सेवन करने के नुकसान – (Side Effects of Consuming Abhayarishta Syrup in Large Doses for Children Above 3 Years in Hindi)
हालाँकि, अनुशंसित खुराक में यह सिरप 3 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है, लेकिन अनुशंसित खुराक से अधिक मात्रा में इसके सेवन से कुछ प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं जैसे:
- ब्लोटिंग (bloating)
- सिर दर्द (headache)
- चक्कर आना (dizziness)
गर्भवती महिलाओं में अभयारिष्ट सिरप के सेवन के नुकसान – (Side Effects of Consuming Abhayarishta Syrup In Pregnant Women in Hindi)
इंद्रवारुणी के कारण गर्भाशय में संकुचन हो सकता है और गर्भपात हो सकता है; अतः इंद्रवारुणी की उपस्थिति के कारण यह गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से निषिद्ध है।
मधुमेह के रोगियों में अभयारिष्ट सिरप के सेवन के नुकसान – (Side Effects of Consuming Abhayarishta Syrup In Diabetic patients in Hindi)
मधुमेह के रोगियों को अभयारिष्ट का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि इस सिरप में गुड़ एक घटक के रूप में होता है, जो उनके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
अभयारिष्ट सिरप की खुराक क्या है? – (What is the Dosage Of Abhayarishta Syrup in Hindi?)
दोस्तो, अभयारिष्ट की अनुशंसित खुराक (recommended dosage) 15 से 20 मिलीलीटर समान मात्रा में पानी के साथ मिश्रित है।
अभयारिष्टम का सेवन भोजन के बाद सुबह और शाम यानी दिन में दो बार करना चाहिए। इस सिरप को आप सिर्फ एक बार रात को सोने से पहले भी ले सकते हैं।
रोगी की उम्र, स्थिति और गंभीरता के आधार पर, चिकित्सीय खुराक प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। इस सिरप का सेवन करने से पहले आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि वह आपकी स्थिति का उचित विश्लेषण करेगा और आपको आवश्यक समय के लिए सटीक खुराक बताएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या अभयारिष्ट की लत लग सकती है? – (Can abhayarishta be addictive in Hindi?)
नहीं, इसकी लत नहीं लगती।
क्या अभयारिष्ट सिरप में मीठा होती है? – (Does abhayarishta Syrup contain sugar in Hindi?)
हाँ, इसमें मीठा, गुड़ के रूप में, होता है।
अभयारिष्ट सिरप का सेवन कब करना चाहिए, भोजन से पहले या बाद में? – (When should Abhayarishta Syrup be consumed, before or after meals?)
भोजन के बाद पानी की समान मात्रा के साथ इस सिरप का सेवन करना चाहिए।
क्या मधुमेह रोगी अभयारिष्ट सिरप ले सकता है? – (Can a diabetic person take Abhayarishta syrup in Hindi?)
मधुमेह रोगियों को डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही अभयारिष्ट का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें गुड़ एक घटक के रूप में होता है जो उनके रक्त शर्करा के स्तर (blood sugar levels) को प्रभावित कर सकता है।
क्या मैं अभयारिष्ट सिरप प्रतिदिन ले सकता हूँ? – (Can I take Abhayarishta syrup daily in Hindi?)
नहीं।
आपको इस सिरप को डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और अवधि में ही लेना चाहिए।
संदर्भ (References):
1) Chemical changes during fermentation of Abhayarishta and its standardization by HPLC-DAD
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/20433076/
2) Abhayarishta: Uses, Health Benefits, Dose, Side Effects
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|
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1) अर्जुनारिष्ट के फायदे, लाभ, मात्रा, और दुष्प्रभाव
2) अशोकारिष्ट सिरप के फायदे – Ashokarishta Benefits in Hindi
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5) चंदनासव सिरप के फायदे Chandanasava Syrup Uses in Hindi
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