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अर्जुनारिष्ट (Arjunarishta)
हेलो दोस्तों, आज मैं आपको बताऊंगा अर्जुनारिष्ट (Arjunarishta) के बारे में, यह एक तरल (लिक्विड) हर्बल दवा है जिसको अर्जुन, महुए का फूल, द्राक्षा, धातकी (धाय) के फूल, गुड और पानी को प्राकृतिक तरीके से किण्वन (फर्मेंटेशन) करके बनाया जाता है |
इसका मुख्य घटक अर्जुन होने के कारण इसे अर्जुनारिष्ट कहते हैं | इसे पार्थद्यरिष्ट भी कहा जाता है |
दोस्तों अर्जुनारिष्ट हृदय से संबंधित रोगों के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी औषधि है |
यह अरिष्ट किसी भी दोष का विचार किए बिना (अर्थात वात, पित्त और कफ), सभी तरह के हृदय रोगों में दिया जा सकता है | परंतु यह यह पित्त प्रधान लक्षणों में बहुत ही ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है |
अर्जुनारिष्ट धमनियों कि निष्क्रियता को दूर करता है उन्हें मजबूत बनाता है | हृदय की मांसपेशियों को बल देता है जिससे कि हृदय सारे शरीर में रक्त पहुंचाने के अपने कार्य को सही तरीके से कर सके | अर्जुनारिष्ट हृदय से संबंधित विकार जैसे कि सीने में दर्द, हृदय कि कमजोरी, हृदय की सामान्य धड़कन, आदि में बहुत फायदा करता है |
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि
दोस्तों आइए अब मैं आपको बताता हूं इस अरिष्ट को बनाने की विधि के बारे में |
अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए सामग्री:
अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री चाहिए:
- अर्जुन की छाल
- द्राक्षा
- महुए के फूल
- गुड़
- धाय के फूल
- जल (पानी)
दोस्तो इन घटकों की कितनी मात्रा चाहिए या कितना तुलनात्मक वजन चाहिए वो मैं आपको नीचे दी गई तालिका में बता रहा हूँ | इस तालिका में महुए के फूल या धाय के फूल की मात्रा को 1 गुना मानकर बाकी घटक कितनी मात्रा में लेने चाहिए, मैंने उसे भी बताया है ताकि अरिष्ट की मात्रा कम या ज्यादा बनाने में आपको आसानी रहे |
घटक | मात्रा | तुलनात्मक वजन |
अर्जुन की छाल | 1 किलो | 5 भाग (या 5 गुना) |
द्राक्षा | 500 ग्राम | 2.5 भाग (या 2.5 गुना) |
महुए के फूल | 200 ग्राम | 1 भाग (या 1 गुना) |
गुड़ | 1 किलो | 5 भाग (या 5 गुना) |
धाय के फूल | 200 ग्राम | 1 भाग (या 1 गुना) |
जल | 10 लीटर | 50 भाग (या 50 गुना) |
अर्जुनारिष्ट बनाने की विधि
अर्जुनारिष्ट बनाने के लिए सबसे पहले दोस्तो आपको 1 किलोग्राम अर्जुन की छाल, 200 ग्राम महुए के फूल और 500 ग्राम द्राक्षा को मिलाकर कूट लेना है | इन्हें मोटा मोटा ही कूटे बारीक चूर्ण करने की आवश्यकता नहीं है |
अब आप 10 लीटर पानी को एक बर्तन में डालें और इसमें कूटे हुए चूर्ण को पानी में मिलाकर, इस पानी को धीमी आंच पर गर्म करें और बीच बीच में इसे हिलाते रहें |
इसे आपको तब तक आग पर रखना है जब तक कि पानी एक चौथाई न रह जाए अर्थात 2 ½ लीटर रह जाए, तब इसे आग से उतार लेना है और ठंडा करना है |
जब ये क्वाथ (उतारा हुआ पानी) ठंडा हो जाए तब इसमें 200 ग्राम धाय के फूल और 1 किलोग्राम गुड डाल दें | आप सारे मिश्रण को अच्छे से हिलाकर, इसका दक्कन बंद करके 1 महीने के लिए किसी सूखी, हवादार और छायादार जगह पर रख दें |
एक महीने के बाद इस बर्तन को निकालकर इस मिश्रण को छान लें आपका अर्जुनारिष्ट तैयार हो जायेगा |
(इसे भी पढ़ें :द्राक्षासव के फायदे और नुकसान Drakshasava Syrup Uses in Hindi)
अर्जुनारिष्ट के फायदे (Arjunarishta Ke Fayde)
दोस्तो अर्जुनारिष्ट स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है और इसके निम्नलिखित 5 महत्वपूर्ण फायदे हैं:
1) अर्जुनारिष्ट हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी है
अर्जुनारिष्ट हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी है | यह धमनियों की मांसपेशियों को बल देता है, धमनियों की निष्क्रियता को दूर करता है और उन्हें मजबूत बनाता है | यह हृदय की मांसपेशियों को बल देता है जिससे की हृदय सारे शरीर में रक्त पहुंचाने के अपने कार्य को सही तरीके से कर सके और हृदय के सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है |
इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित रखता है | दोस्तो अर्जुनारिष्ट में पोलीफेनोल्स (polyphenols) और फ्लेवोनॉयड (flavonoids) जैसे arjunone, arjunolone आदि भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो कि हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी होती हैं |
अर्जुनारिष्ट हृदय की कार्य क्षमता को बेहतर बनाता है जिससे कि हृदय पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को सुचारू रूप से बनाए रखता है |
अर्जुनारिष्ट आयुर्वेदिक डॉक्टरों के द्वारा हृदय रोगों में सुझाये जाने वाली एक प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है |
2) श्वास संबंधी दिक्कतों में फायदेमंद है
दोस्तो, अर्जुनारिष्ट श्वास संबंधी दिक्कतों में भी बहुत फायदेमंद है | यह श्वास-नलियों जमा हुए कफ को दूर करता है जिससे कि श्वास तंत्र अच्छे ढंग से काम करता है |
इसका सेवन ब्रोंकाइटिस (bronchitis), सीओपीडी (COPD), दमा (asthma) आदि श्वास संबंधी दिक्कतों में बहुत फायदेमंद होता है |
अर्जुनारिष्ट का नियमित सेवन करने से यह श्वास नलियों की कार्य क्षमता को बढ़ाता है और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है; जिससे पूरा श्वसन तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करता है |
3) एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है
अर्जुनारिष्ट में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं | इसमें अर्जुन, महुए के फूल, द्राक्षा जैसे घटक इसे पोलीफेनोल्स (polyphenols) और फ्लेवोनॉयड (flavonoids) आदि एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर बनाते हैं | इस तरह यह अरिष्ट एक बेहतर जनरल टॉनिक का काम भी करता है |
अर्जुनारिष्ट के नियमित सेवन से यह सेवन करने वाले को बेहतर एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करता हैं और यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं | डॉक्टर की सलाह के अनुसार 50 वर्ष के बाद लोग इसे जनरल टॉनिक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं |
4) उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित रखने में मदद करता है
अर्जुनारिष्ट में मौजूद फाइटोकेमिकल्स जैसे पदार्थ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं | अतः इसके नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) नियंत्रित रहता है |
5) हृदय की धड़कन को नियंत्रित रखता है
अर्जुनारिष्ट हृदय की धड़कन को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है | जैसे कि ह्रदय की धड़कन का कभी बहुत तेज होना, या कभी हृदय की धड़कन का बहुत कम होना; जिसे कार्डियक अर्हय्थमिया (cardiac arrhythmia) भी कहते हैं; से बचाव रखता है और हृदय की धड़कन को नॉर्मल बनाए रखता है |
अर्जुनारिष्ट की मात्रा
अर्जुनारिष्ट की मात्रा आपको लेनी है 15 मिलीलीटर सुबह-शाम समानभाग जल के साथ |
अर्थात 15 मिलीलीटर ( 3 चम्मच ) अर्जुनारिष्ट को 15 मिलीलीटर पानी के साथ मिलाकर सुबह शाम खाना खाने के बाद सेवन करना चाहिए |
अर्जुनारिष्ट का सेवन किसे नहीं करना चाहिए
अर्जुनारिष्ट का सेवन मधुमेह के रोगी, गर्भवती स्त्रियों और अपने शिशुओं को स्तनपान कराने वाली माताओं को नहीं करना चाहिए |
क्या अर्जुनारिष्ट के दुष्प्रभाव भी हैं ?
दोस्तों, अब यह प्रश्न भी उठता है कि क्या अर्जुनारिष्ट के कोई दुष्प्रभाव भी है तो दोस्तों अगर इसे चिकित्सक की सलाह के अनुसार और निर्धारित मात्रा में लिया जाए तो इसके सेवन से कोई दुष्प्रभाव नहीं आते |
निर्धारित मात्रा से अर्थ है 15 मिलीलीटर सुबह और 15 मिलीलीटर शाम को लेनी चाहिए तथा 60 मिलीलीटर से कभी भी ज्यादा नहीं लेनी चाहिए |
इसकी अधिकतम मात्रा 60 मिलीलीटर है, इस मात्रा से अधिक लेने पर इसके दुष्प्रभाव आ सकते हैं जैसे कि रक्तचाप का कम होना (हाइपोटेंशन), सिरदर्द, चक्कर आना आदि अन्यथा इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं आते और यह बहुत बेहतर आयुर्वेदिक दवा है जिसका चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन किया जाए तो हृदय रोगों में बहुत फायदा करती है |
अस्वीकरण (DISCLAIMER): इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|
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सर मेरे हाथ और पैर कपते है और सीधे हाथ और पैर के पंजों में अजीब सी हलचल होती हैं और घबराहट भी होती है और गुस्सा आने पर पैर ठंडे होते है।।
सर इसके लिए मैं अस्वगंधा रिस्ट और अर्जुनरिस्त ले रहा हूं
4 दिन हो रहे है
क्या ये दवाई ठीक है
और कितने दिन लेना है ताकि आराम लग सके