द्राक्षासव के फायदे और नुकसान Drakshasava Syrup Uses in Hindi

द्राक्षासव क्या है? – (What is Drakshasava in Hindi?)

द्राक्षासव (Drakshasava in hindi) एक आयुर्वेदिक द्रव औषधि (आसव) है, जिसमें प्राथमिक घटक के रूप में सूखे अंगूर या किशमिश का इस्तेमाल किया जाता है।

इसका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, “द्राक्षा” जिसका अर्थ है सूखे अंगूर या किशमिश और “आसव” का अर्थ है किण्वित द्रव।

आसव एक प्रकार का आयुर्वेदिक किण्वित मिश्रण है जो बिना काढ़ा बनाए बनाया जाता है, लेकिन द्राक्षासव ही एक ऐसा आसव है जो काढ़ा बनाकर तैयार किया जाता है।

द्राक्षासव सिरप में 5-10% स्व-निर्मित अल्कोहल होता है। इस आसव में मौजूद पानी और अल्कोहल शरीर में पानी और अल्कोहल में घुलनशील सक्रिय हर्बल घटकों को (active herbal components) पहुंचाने के लिए एक माध्यम का कार्य करते हैं।

द्राक्षासव कब्ज, गैस, बवासीर, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और श्वसन विकारों जैसे सर्दी, खांसी, और अस्थमा का इलाज करने में मदद करता है, हृदय के कामकाज को बढ़ावा देता है, और रक्तस्राव विकारों जैसे मेनोरेजिया (menorrhagia) और नाक से खून बहने (nasal bleeding) में उपयोगी है।

एक सामान्य टॉनिक और आहार अनुपूरक के रूप में इसका उपयोग ताकत के लिए और बुखार या पुरानी बीमारी के बाद दुर्बलता के इलाज के लिए भी किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, द्राक्षासव वात और पित्त दोष के असंतुलन से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य स्थितियों में लाभदायक है।

द्राक्षसव के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (Composition) Of Drakshasava in Hindi?)

द्राक्षासव की सामग्री (संरचना) इस प्रकार है (Ingredients (Composition) of Drakshasava in Hindi) (1):

घटक द्रव्य का सामान्य नामघटक द्रव्य का वैज्ञानिक/आधुनिक नामघटक द्रव्य की मात्रा/अनुपात
द्राक्षा (सूखा अंगूर या किशमिश)Vitis Vinifera4.8 किलोग्राम
धातकी के फूलWoodfordia Fruticosa336 ग्राम
लौंग (लवंग)       Syzygium Aromaticum24 ग्राम
दालचीनी  Cinnamomum Zeylanicum24 ग्राम
तेजपत्र (तेजपत्ता)  Cinnamomum Tamala24 ग्राम
इलायची (एला) Elettaria Cardamomum24 ग्राम
पिप्पली मूल (जड़)Piper Longum24 ग्राम
कंकोलPiper cubeba24 ग्राम
जाति (चमेली)Jasminum officinale24 ग्राम
सुंगधमूला (लवली या हरफारेवड़ी)Cicca acida24 ग्राम
चंदनSantalum album24 ग्राम
शर्करा4.8 किलोग्राम
मधु (शहद)4.8 किलोग्राम
पानी (काढ़े के लिए)49.152 लीटर

द्राक्षासव सिरप बनाने की विधि क्या है? – (What is The Method of Preparation of Drakshasava Syrup in Hindi?)

आमतौर पर आसव बिना काढ़ा बनाए बनाया जाता है, लेकिन द्राक्षासव आसव का एक ऐसा प्रकार है जो काढ़ा बनाने की विधि से तैयार किया जाता है।

  • सबसे पहले द्राक्षा (किशमिश) का काढ़ा बनाया जाता है। इसके लिए इसे पानी में डालकर तब तक उबाला जाता है जब तक इसका एक चौथाई (यानी ¼ भाग) शेष रह जाए, और फिर मलमल के कपड़े से इसे छान लिया जाता है।
  • इस काढ़े को ठंडा होने दें, फिर इसमें शर्करा और शहद मिलाकर मलमल के कपड़े से छान लें।
  • इसमें बाकी सामग्री (घटक द्रव्यों) का दरदरा पाउडर मिलाकर अच्छी तरह हिलाएं।
  • फिर कंटेनर को सील कर दिया जाता है और 30 दिनों के लिए एक स्थान पर रख दिया जाता है। स्व-निर्मित अल्कोहल का अवलोकन करने के बाद, द्रव भाग को छान (फ़िल्टर) लिया जाता है।
  • फ़िल्टर किया गया तरल भाग द्राक्षासव है और इसे उपयोग करने के लिए वायुरोधी कांच की बोतलों (airtight glass bottles) में संरक्षित किया जाता है।

द्राक्षासव के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and Uses of Drakshasava in Hindi?)

आयुर्वेद के अनुसार द्राक्षासव वात और पित्त दोष को शांत करता है।

द्राक्षासव सिरप के स्वास्थ्य संबंधित 12 फायदे और उपयोग हैं (12 Health Benefits and Uses of Drakshasava Syrup in Hindi):

1) पाचन के लिए द्राक्षासव के फायदे – (Drakshasava Benefits for Digestion in Hindi)

द्राक्षासव में असाधारण पाचन गुण होते हैं। इसका एंटी-फ्लैटुलेंट (anti-flatulent) गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) में गैस बनने से रोकता है; इसलिए यह पेट फूलना, गैस, आदि को कम करता है।

इस सिरप का एंटासिड (antacid) गुण पेट में अत्यधिक एसिड के निर्माण को रोकता है, जिससे अल्सर, अपच और गैस्ट्राइटिस (gastritis) के इलाज में मदद मिलती है।

2) द्राक्षसव रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है – (Drakshasava Boosts Immunity in Hindi)

इस आसव का शरीर की समग्र सहनशक्ति और ऊर्जा स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इसका मुख्य घटक, द्राक्षा, और अन्य जड़ी-बूटियाँ शारीरिक कमजोरी और थकावट को कम करती हैं, और शरीर की जीवन शक्ति (vitality) को बढ़ाती हैं। एक मजबूत कामोत्तेजक (aphrodisiac) के रूप में, यह अधिवृक्क ग्रंथियों (adrenal glands) को भी उत्तेजित करता है, जो बदले में तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती हैं।

3) सिरदर्द के लिए द्राक्षसव के फायदे – (Drakshasava Benefits for Headache in Hindi)

इस किशमिश-आधारित सिरप में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो मस्तिष्क में स्पंदित रक्त वाहिकाओं (pulsating blood vessels) को शांत करने में मदद करते हैं। एक एंटीडिप्रेसेंट (antidepressant) के रूप में, यह व्यक्ति के मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत दिलाता है।

4) दुर्बलता और थकान के लिए द्राक्षासव सिरप के फायदे – (Drakshasava Syrup Benefits for Debility & Fatigue in Hindi)

द्राक्षासव दुर्बलता और थकान के लिए भी फायदेमंद है।     

यह आसव प्रकुपित पित्त-दोष वाले लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है। यह लिवर से पित्त (bile) के स्राव को बढ़ाता है और इसके उन्मूलन में भी मदद करता है, जिससे प्रकुपित हुए पित्त-दोष को कम करने में मदद मिलती है। दरअसल, यह पित्त दोष की अधिकता को कम करता है और कम हुए पित्त दोष को बढ़ाता है।

यह बुखार या कुछ पुरानी बीमारियों के कारण होने वाली दुर्बलता और कमजोरी का इलाज करने में भी मदद करता है।

5) द्राक्षसव हृदय क्रिया में सुधार करता है – (Drakshasava Improves Cardiac Function in Hindi)

प्राकृतिक कार्डियोप्रोटेक्टिव फॉर्मूलेशन के रूप में प्रसिद्ध द्राक्षासव विभिन्न हृदय रोगों के इलाज के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण द्राक्षसव हार्ट ब्लॉक (heart blocks), दिल के दौरे (heart attacks) और रक्त के थक्कों (blood clots) के जोखिम को कम करता है।

यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

6) कब्ज के लिए द्राक्षासव सिरप के फायदे – (Drakshasava Syrup benefits for Constipation in Hindi)

द्राक्षा (किशमिश) इस आसव का मुख्य घटक है, जिसमें हल्के रेचक गुण होते हैं तथा यह यकृत से पित्त के स्राव को उत्तेजित करता है, जो छोटी आंत में जाता है और क्रमाकुंचन (peristalsis) को प्रेरित करता है। यह पाचन, यकृत कार्यों और मल त्याग में सुधार करने में मदद करता है; और द्राक्षसव को कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं के लिए एक प्रभावी उपचार बनाता है।

7) श्वसन संबंधी विसंगतियों के लिए द्राक्षासव के लाभ – (Drakshasava Benefits for Respiratory Anomalies in Hindi)

द्राक्षासव के अधिकांश सक्रिय तत्व श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे सीओपीडी (COPD), अस्थमा (asthma), ब्रोंकाइटिस (bronchitis), सर्दी (cold) और खांसी के लक्षणों से राहत प्रदान करते हैं।

यह आसव श्वसन संबंधी बीमारियों में निम्न प्रकार से सहायता करता है:

  • श्वसन तंत्र से जमा कफ को हटाता है
  • खांसी, गले में खराश और जमाव से राहत प्रदान करता है
  • आसानी से सांस लेने में मदद करता है

8) एनोरेक्सिया नर्वोसा के लिए द्राक्षासव सिरप के फायदे – (Drakshasava Syrup Benefits for Anorexia Nervosa in Hindi)

एनोरेक्सिया नर्वोसा एक खाने का विकार है, जिसमें एक व्यक्ति वजन कम करने या वजन बढ़ने से बचने के लिए जानबूझकर अपने भोजन का सेवन सीमित कर देता है।

यह मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है क्योंकि व्यक्ति खराब आत्मसम्मान (poor self-esteem), वजन बढ़ने का डर और वजन कम करने की तीव्र इच्छा से पीड़ित होता है। इसके अतिरिक्त, व्यक्ति को भूख या कोई भी भोजन लेने की इच्छा नहीं होती है।

एक प्राकृतिक पाचक (digestive) और क्षुधावर्धक (appetizer) के रूप में द्राक्षसव भोजन के पाचन में मदद करता है और भूख को उत्तेजित करता है।

9) डकार के लिए द्राक्षासव के फायदे – (Drakshasava Benefits for Belching in Hindi)

डकार पेट से अतिरिक्त गैस को मुंह के माध्यम से बाहर निकालना है। कुछ मामलों में यह अत्यधिक और परेशान करने वाला हो जाता है।

लेकिन, द्राक्षासव सिरप आहार नाल में अतिरिक्त गैस को कम करने में मदद करता है, इसलिए अत्यधिक डकार की समस्या को कम करता है।

10) द्राक्षसव इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से राहत दिलाता है – (Drakshasava Relieves IBS in Hindi)

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS), जिसे आयुर्वेद में ग्रहणी के नाम से जाना जाता है, अक्सर निम्नलिखित कारणों से होता है:

  • ऐसे खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन जिन्हें पचाना मुश्किल हो
  • अस्वास्थ्यकर आहार विकल्प (unhealthy dietary choices)
  • ओवर ईटिंग (overeating)
  • एलर्जी पैदा करने वाले या पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन
  • खाने के अनियमित अंतराल (Irregular eating intervals), और
  • विभिन्न अन्य शारीरिक और मानसिक कारक

यह स्थिति कब्ज और दस्त दोनों का कारण बन सकती है।

द्राक्षासव सिरप में अतुल्य तत्वों की मौजूदगी इसे इस बीमारी के लिए एक इष्टतम उपाय बनाती है।

11) रक्तस्राव विकारों के लिए द्राक्षासव सिरप के फायदे – (Drakshasava Syrup Benefits for Bleeding Disorders in Hindi)

रक्तस्राव विकारों का कारण बनने वाली विसंगतियों के उपचार में द्राक्षासव बहुत फायदेमंद है। यह स्वस्थ रक्त के थक्के जमने (healthy blood clotting) में मदद करता है, जो चोटों के मामलों में आवश्यक होता है और इस प्रकार रक्त की अत्यधिक हानि को रोकता है।

इसका उपयोग निम्नलिखित के इलाज में किया जा सकता है:

  • महिलाओं में अत्यधिक मासिक स्राव (Excessive menstrual flow in women)
  • एपिस्टेक्सिस (Epistaxis) – नाक से खून बहना

12) त्वचा के लिए द्राक्षासव सिरप के फायदे – (Drakshasava Syrup Benefits For Skin in Hindi)

द्राक्षासव कई त्वचा रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण यह शरीर से हानिकारक मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) को हटाने में अत्यधिक प्रभावी है।

इसकी एंटीप्रुरिटिक (antipruritic) प्रकृति एक्जिमा, खुजली, सोरायसिस, और सनबर्न जैसी एलर्जिक स्थितियों के कारण होने वाली खुजली की अनुभूति को कम करने में मदद करती है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि इस आसव में महत्वपूर्ण जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण हैं, जिनका उपयोग शरीर से बैक्टीरिया को हटाने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। इस सिरप के बायोएक्टिव यौगिक (bioactive compounds) घावों को भी ठीक करने में मदद करते हैं।

द्राक्षासव के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects Of Drakshasava in Hindi?)

दोष के अनुसार और अनुशंसित खुराक में सेवन करने पर द्राक्षासव आमतौर पर अधिकांश व्यक्तियों के लिए सुरक्षित होता है।

लेकिन, जब इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो यह कुछ लोगों में दस्त का कारण बन सकता है।

एहतियात (Precautions)

द्राक्षासव सिरप का सेवन करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • मधुमेह रोगियों को इस सिरप के सेवन से बचना चाहिए, या अपने चिकित्सक से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें शहद और शर्करा जैसे तत्व होते हैं, जो उनकी रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी इसका सेवन अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।

द्राक्षासव की कितनी मात्रा लेनी चाहिए? – (What is the Dose of Drakshasava in Hindi?)

विभिन्न आयु वर्ग के लिए द्राक्षासव की अनुशंसित खुराक (recommended dosage of Drakshasava in Hindi) निम्नलिखित है:

श्रेणी (Category)एकल अधिकतम खुराक (Single Maximum Dose)
शिशु (12 माह तक)  1 मि.ली.
बच्चा (1 से 3 वर्ष)   1 to 3 मि.ली.
प्रीस्कूलर (Preschooler) (3 से 5 वर्ष)        5 मि.ली.
ग्रेड-स्कूलर (5 से 12 वर्ष)            10 मि.ली.
किशोर (13 से 19 वर्ष)   15 मि.ली.
वयस्क (19 से 60 वर्ष)30 मि.ली.
वृद्धावस्था (60 वर्ष से अधिक)               15 to 30 मि.ली.
गर्भावस्था            15 मि.ली.
स्तनपान (Lactation)     15 to 30 मि.ली.

आपको भोजन के तुरंत बाद बराबर मात्रा में पानी के साथ द्राक्षासव का सेवन दिन में दो बार करना चाहिए।

द्राक्षासव की प्रभावी चिकित्सीय खुराक प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और दोष के आधार पर भिन्न हो सकती है।

एक दिन में द्राक्षासव सिरप की अधिकतम संभव खुराक (maximum possible dosage) 60 मिलीलीटर है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या मधुमेह रोगी द्राक्षासव सिरप ले सकता है? – (Can a diabetic person take Drakshasava syrup in Hindi?)

मधुमेह रोगियों को इस सिरप का सेवन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए, क्योंकि इस सिरप में शहद और शर्करा जैसे तत्व होते हैं जो उनके शुगर लेवल को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या द्राक्षासव का सेवन भोजन से पहले करना चाहिए या बाद में? – (Should Drakshasava be consumed before or after meals in Hindi?)

भोजन के बाद पानी के साथ इस सिरप का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

द्राक्षासव का दोषों पर क्या प्रभाव पड़ता है? – (What is the effect of Drakshasava on Doshas in Hindi?)

द्राक्षासव वात और पित्त दोष को शांत करता है।

क्या द्राक्षसव सिरप से वजन बढ़ता है? – (Does Drakshasava Syrup increase weight in Hindi?)

द्राक्षासव सीधे तौर पर आपके वजन पर असर नहीं डालता, लेकिन इसका नियमित सेवन आपके पाचन में सुधार करता है और आपकी भूख को बढाता है, जिससे शरीर का वजन बढ़ सकता है।

द्राक्षासव के लिए भंडारण और सुरक्षा आवश्यकताएँ क्या हैं? – (What are The Storage and Safety Requirements for Drakshasava in Hindi?)

द्राक्षासव के लिए भंडारण और सुरक्षा आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं:

  • इसे सूखी जगह पर रखना चाहिए।
  • इसे गर्मी और सीधी धूप से दूर रखना चाहिए।
  • बोतल को कमरे के सामान्य तापमान पर रखें।
  • इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।


संदर्भ (References):

1) भैषज्यरत्नावली, अर्शरोग चिकित्सा

2) Drakshasava: Uses, Benefits, Dose, Ingredients, Side Effects


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


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