मोच (स्प्रेन) के लक्षण, कारण, व इलाज – Sprain in Hindi

मोच क्या है? – (What is a Sprain in hindi?)

मोच (स्प्रेन) स्नायुबंधन (लिगामेंट – ligaments), जो रेशेदार ऊतक (fibrous tissue) के सख्त बैंड होते हैं और आपके जोड़ों में दो हड्डियों को एक साथ जोड़ते हैं, में खिंचाव या फटने वाली चोट है। स्नायुबंधन जोड़ को स्थिरता प्रदान करते हैं। जब आपको मोच आती है, तो इसका सीधा असर संबंधित जोड़ पर पड़ता है और आपके एक या अधिक स्नायुबंधन घायल हो सकते हैं।

स्प्रेन (मोच) तब आ सकती है जब आप अपने जोड़ को बहुत अधिक मोड़ देते हैं या घुमा देते हैं और आपके लिगामेंट को चोट लग जाती है। मोच के लिए सबसे आम जगह आपके टखने (ankle) में होती है।

मोच हल्की (लिगामेंट का हल्का सा फटना) या गंभीर (लिगामेंट का पूरा फटना) हो सकती है। मोच की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि लिगामेंट को कितना नुकसान हुआ है।

लोगों को ये चोटें अक्सर खेल या किसी कठिन गतिविधि जैसे जिमिंग (gymming) या व्यायाम के दौरान लगती हैं। लेकिन कभी-कभी रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियां भी इन चोटों का कारण बन सकती हैं।

कभी-कभी इसका इलाज घर पर भी किया जा सकता है जबकि कई बार मोच के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस लेख में, हम मोच के प्रकार, कारण, लक्षण, उपचार, निदान, जोखिम कारक, रोकथाम आदि की हर एक जानकारी साझा करेंगे।

मोच के प्रकार; या मोच कहाँ आती है? – (Types of Sprains; or Where do sprains occur in hindi?)

मोच संभवतः शरीर के किसी भी जोड़ पर आ सकती है। लेकिन हम यहां उन सबसे सामान्य स्थानों पर चर्चा कर रहे हैं जहां मोच अधिक बार आती है। इस आधार पर मोच के प्रकार हैं:

टखने की मोच – (Ankle Sprain in hindi)

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मोच टखनों पर होती है। यह आमतौर पर तब होती है, जब दौड़ते समय, मुड़ते समय, या कूदने के बाद व्यक्ति का पैर अंदर की ओर मुड़ जाता है।

घुटने की मोच – (Knee Sprain in hindi)

जैसा कि नाम से पता चलता है यह मोच घुटनों पर आती है। यह आमतौर पर घुटने के बल गिरने या घुटने पर किसी प्रहार के बाद होती है; ऐसे मामलों में घुटने के अचानक मुड़ने से मोच आ सकती है।

कलाई की मोच – (Wrist Sprain in hindi)

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मोच कलाई पर होती है। यह आमतौर पर तब होती है जब कोई व्यक्ति हाथ फैलाकर जमीन पर गिरता है।

अंगूठे की मोच – (Thumb Sprain in hindi)

रैकेट के खेल जैसे टेनिस, या स्कीइंग खेलते समय अत्यधिक तनाव के कारण अंगूठे में मोच आ सकती है।

मोच के ग्रेड – (Grades of Sprain in hindi)

मोच की गंभीरता मामूली से लेकर गंभीर तक हो सकती है। क्षति की मात्रा के आधार पर, आपका डॉक्टर संभवतः आपकी मोच को तीन श्रेणियों में से एक में रखेगा:

प्रथम-डिग्री मोच (First-degree sprain)द्वितीय-डिग्री मोच (Second-degree sprain)तृतीय-डिग्री मोच (Third-degree sprain)
यह मोच का एक बिनाइन (benign) रूप है।यह मोच का एक मध्यम (moderate) रूप है। यह तब होता है जब एक या अधिक स्नायुबंधन (ligaments) क्षतिग्रस्त हो गए हों।यह मोच का एक गंभीर (severe) रूप है। यह तब होता है जब स्नायुबंधन (ligaments) फट जाते हैं।  
थोड़ा सा खिंचाव (slight stretching)।लिगामेंट का आंशिक रूप से फटना (partial tearing of the ligament)।लिगामेंट का पूरा टूटना (complete tear of the ligament)।
न्यूनतम ऊतक क्षति (minimal tissue damage)।अधिक सूजन होना और नील पड़ना (more swelling and bruising)।बहुत दर्दनाक और साथ में चटकने की आवाज भी (very painful and accompanied by a popping sound)। इससे नील पड़ना (bruising), सूजन आना (swelling), और पैर पर वजन सहन करने में असमर्थता भी हो सकती है।
रिकवरी (recovery) जल्दी हो जाती है। इसका इलाज घर पर ही पैर को आराम देकर, उस पर बर्फ लगाकर और उसे ऊंचा करके किया जा सकता है।रिकवरी के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता होती है। चिकित्सा के लिए चिकित्सक के परामर्श की आवश्यकता हो सकती है।आपको डॉक्टर से मिलना आवश्यक होता है, तथा ब्रेसिंग (bracing) या कास्टिंग (casting) की भी आवश्यकता हो सकती है।
अधिकतर, इस प्रकार की मोच 1 सप्ताह से भी कम समय में ठीक हो जाती है।   पूरी तरह से ठीक होने में 2 से 6 सप्ताह का समय लगता है।  पूरी तरह से ठीक होने में 6 से 12 सप्ताह का समय लग सकता है।

मोच के कारण क्या हैं? – (What Are The Causes of Sprains in hindi?)

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मोच या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आघात (trauma) से आती है, जो आपके जोड़ पर अत्यधिक खिंचाव या तनाव करता है और जिससे कभी-कभी सहायक स्नायुबंधन (ligaments) फट जाते हैं। कुछ परिस्थितियाँ जो मोच का कारण बन सकती हैं वे इस प्रकार हैं:

अंगूठा: बैडमिंटन आदि जैसे रैकेट खेल खेलते समय अत्यधिक खिंचाव या स्कीइंग के कारण चोट।

कलाई: जब कोई व्यक्ति हाथ फैलाकर गिरता है।

घुटना: एथलेटिक गतिविधि करते समय घूमना।

टखना: कूदने के दौरान घिरना, तथा ऊबड़-खाबड़ जगह पर चलना, जॉगिंग करना, या व्यायाम करना।

बच्चों के मामले में, उन्हें मोच की तुलना में फ्रैक्चर का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है क्योंकि उनकी हड्डियों के सिरों के पास नरम ऊतक (जिसे ग्रोथ प्लेट्स के रूप में जाना जाता है) के क्षेत्र होते हैं; तथा जोड़ के आसपास के स्नायुबंधन आमतौर पर इन ग्रोथ प्लेटों की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं।

मोच के चिन्ह और लक्षण क्या हैं? – (What are the Signs and Symptoms of Sprain in hindi?)

मोच के चिन्ह और लक्षण उसकी गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा, अधिक गतिविधि और कम आराम की स्थिति में लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं। आइए, यहां उन लक्षणों पर एक नजर डालते हैं, जो मोच के कारण किसी व्यक्ति में दिखाई देते हैं:

1) दर्द

2) नील पड़ना (bruising)

3) सूजन (जोड़ों में या जोड़ों के आस-पास के नरम ऊतकों में अंतर्निहित सूजन का संकेत)

4) प्रभावित जोड़ को हिलाने और उपयोग करने की सीमित क्षमता

5) चोट लगने के समय आपके जोड़ में “पॉप (pop)” सुनना या महसूस होना

6) अस्थिरता (मुख्य रूप से घुटने या टखने जैसे वजन सहने वाले जोड़ों पर)

7) घायल क्षेत्र पर दबाव पड़ने पर दर्द होना

मोच का निदान कैसे करें? – (How to Diagnose Sprain in hindi?)

मोच (स्प्रेन) के निदान के लिए 2 महत्वपूर्ण तरीकों का उपयोग किया जाता है और ये हैं:

1) शारीरिक परीक्षा (Physical Examination)

इस परीक्षा में डॉक्टर आपका रोग से संबंधित इतिहास लेगा और यह देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षण करेगा कि क्या इतिहास और परीक्षण जोड़ की चोट के अनुरूप हैं, जिससे एक या अधिक स्नायुबंधन घायल हो सकते हैं। वह किसी भी दर्द, सूजन आदि के लिए प्रभावित क्षेत्र की गहराई से जांच करेगा। यहां डॉक्टर दर्द की तीव्रता और उसके स्थान के आधार पर क्षति की प्रकृति और सीमा का निर्धारण करेगा।

2) इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests)

इसमें खेल चिकित्सा विशेषज्ञ या हड्डी रोग विशेषज्ञ टूटी हुई हड्डी की संभावना को दूर करने के लिए एक्स-रे से शुरुआत करेंगे। हालाँकि, एक्स-रे में लिगामेंट को नहीं देखा जा सकता है, लेकिन यह फ्रैक्चर की संभावना को दूर करने और जोड़ की दूरी को देखने में मदद करता है। कभी-कभी, चोट की सीमा निर्धारित करने के लिए एमआरआई (MRI) या अल्ट्रासाउंड (ultrasound) का भी उपयोग किया जाता है।

मोच के जोखिम कारक क्या हैं? – (What are the Risk Factors For Sprain in hindi?)

अन्य बीमारियों के विपरीत, मोच (स्प्रेन) किसी निश्चित आयु वर्ग या लिंग तक ही सीमित नहीं है। यह चोट किसी को भी किसी भी समय लग सकती है। बच्चे, वयस्क और बूढ़े सभी को मोच का खतरा एक समान रहता है।

हालाँकि, निम्नलिखित कारकों से मोच (sprain in hindi) का खतरा बढ़ जाता है:

1) थकान (Fatigue)

यदि आप थके हुए हैं, तो आपकी थकी हुई मांसपेशियाँ आपके जोड़ों को अच्छा समर्थन प्रदान करने की कम संभावना रखती हैं।

2) पर्यावरणीय स्थितियाँ (Environmental Conditions)

यदि आप अपनी शारीरिक गतिविधियाँ फिसलन वाली या असमान सतहों पर करते हैं, तो इन सतहों पर आपको चोट लगने की संभावना अधिक हो सकती है।

3) ख़राब उपकरण (Poor Equipment)

खराब फिटिंग वाले जूते या खराब रखरखाव वाले खेल उपकरण भी मोच के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

4) मोटापा या ख़राब शारीरिक स्थिति (Obesity or Poor Physical Condition)

यदि आप मोटे हैं या आपकी शारीरिक स्थिति खराब है, तो मोच आने का खतरा बढ़ जाता है।

मोच का इलाज क्या है? – (What is the Treatment of Sprain in hindi?)

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दोस्तो, मोच (स्प्रेन) का उपचार उसकी गंभीरता के स्तर पर निर्भर करता है। इसके इलाज के लिए शुरुआती 1 से 2 दिन यानी 24 से 48 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। और इसके लिए आपका डॉक्टर आपको P.R.I.C.E का पालन करने की सलाह देगा, जिसका अर्थ है सुरक्षा (protection), आराम (rest), बर्फ (ice), संपीड़न (compression), और एलिवेशन (elevation)।

क) P.R.I.C.E. अर्थात सुरक्षा (protection), आराम (rest), बर्फ (ice), संपीड़न (compression), और एलिवेशन (elevation)

आइए P.R.I.C.E की प्रत्येक कड़ी को विस्तार से समझें:

1) सुरक्षा (Protection)

सुरक्षा ही सर्वोत्तम उपाय है। प्रभावित क्षेत्र को और अधिक हलचल से बचाने की कोशिश करें और उस पर तनाव या भार डालने से बचें। आपके डॉक्टर द्वारा आपको घायल क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ब्रेस/स्प्लिंट (brace/splint) या बैसाखी (crutches) का उपयोग करने का सुझाव दिया जा सकता है।

2) आराम (Rest)

अधिक से अधिक आराम करें। ऐसी शारीरिक गतिविधियों से बचें जो असुविधा, सूजन या दर्द का कारण बन सकती हैं। लेकिन शरीर को पूरी तरह से आराम न दें; थोड़ी सी गतिविधि हमेशा फायदेमंद होती है।

3) बर्फ़ (Ice)

प्रभावित जगह पर तुरंत बर्फ लगाएं। इसके लिए आप लगभग 10 से 15 मिनट के लिए बर्फ और पानी का एक स्लश बाथ (slush bath), एक आइस पैक, या एक तौलिया में लपेटे हुए बर्फ से भरे प्लास्टिक बैग का उपयोग कर सकते हैं। चोट लगने के बाद पहले कुछ दिनों तक आप इस प्रक्रिया को हर 2 से 3 घंटे में दोहरा सकते हैं।

कोल्ड इंजरी (cold injury) और शीतदंश (frost bite) से बचने के लिए, एक बार में 20 मिनट से अधिक समय तक बर्फ न लगाएं। एक बार जब आप सुन्न या असहज महसूस करने लगें, तो आपको बर्फ लगाना बंद कर देना चाहिए।

4) दबाव (Compression)

सूजन को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र को इलास्टिक पट्टी (elastic bandage) से लपेटें। परिसंचरण को प्रभावित होने से बचाने के लिए इसे बहुत कसकर लपेटने से बचें। याद रखें कि पट्टी को अपने हृदय से दूर वाली साइड से लपेटना शुरू करें। यदि आप निम्नलिखित में से कुछ भी महसूस कर रहे हों तो आवरण को हटा दें या ढीला कर दें:

  • लिपटे हुए क्षेत्र के नीचे सूजन होना
  • प्रभावित क्षेत्र में सुन्नता
  • दर्द का बढ़ना

5) एलिवेशन (Elevation)

विशेष रूप से सोते समय प्रभावित क्षेत्र को हृदय के स्तर से ऊपर उठाने से गुरुत्वाकर्षण (gravity) को सूजन को कम करने में मदद मिलेगी।

ख) मोच की दवा – (medicine for sprain in hindi)

दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाएं जैसे एसिटामिनोफेन (acetaminophen), इबुप्रोफेन (ibuprofen), डिक्लोफेनाक (diclofenac), या आपके डॉक्टर द्वारा सुझाई गई किसी अन्य दवा का उपयोग किया जा सकता है।

ग) अन्य सुझाव (Other suggestions)

पहले 2 दिनों के बाद धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र का उपयोग शुरू करें। इसके बाद आपको सुधार दिखना शुरू हो जाएगा। लेकिन चोट की गंभीरता के आधार पर पूरी तरह ठीक होने की प्रक्रिया में कई दिनों से लेकर महीनों तक का समय लग जाता है।

आपका डॉक्टर घायल जोड़ की ताकत और स्थिरता को अधिकतम करने में आपकी मदद कर सकता है। डॉक्टर आपको ब्रेस (brace) या स्प्लिंट (splint) से क्षेत्र को स्थिर करने का सुझाव दे सकता है। कुछ चोटों के लिए, जैसे फटे लिगामेंट के मामले में, सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

मोच की रोकथाम – (Prevention of Sprain in hindi)

स्प्रेन (मोच) किसी को भी कभी भी आ सकती है, लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे आप इसके खतरे को कुछ हद तक रोक सकते हैं। मोच की रोकथाम के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • ऐसी कठिन शारीरिक या खेल गतिविधि करने से बचें जिसमें आप प्रशिक्षित नहीं हैं।
  • किसी भी खेल या शारीरिक गतिविधि से पहले स्ट्रेचिंग और वार्मअप करना सुनिश्चित करें।
  • यदि आप आरामदायक नहीं हैं तो ऊँची एड़ी के जूते या सैंडल न पहनें।
  • हमेशा ऐसे जूते पहनें जो आपके पैरों पर ठीक से फिट हों।
  • किसी भी शारीरिक या खेल गतिविधि के दौरान सुरक्षात्मक जूते पहनना सुनिश्चित करें।
  • हड्डियों के संतुलन और मजबूती को बनाए रखने के लिए दैनिक स्ट्रेचिंग व्यायाम (daily stretching exercises) सहायक होते हैं।
  • गिरने से बचने के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करना सुनिश्चित करें।
  • संतुलित आहार और स्वस्थ वजन बनाए रखने से मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • यदि आप थके हुए हैं या दर्द है, तो व्यायाम न करें या खेल न खेलें।

मोच के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? – (When to See the Doctor for a Sprain in hindi?)

हल्की मोचें समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती हैं और इसके लिए किसी आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है। हल्की मोच का इलाज आप घर पर ही कर सकते हैं। लेकिन, कुछ स्थितियाँ ऐसी होती हैं जब आपको क्षति की गंभीरता के बारे में निश्चितता प्राप्त करने के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसी स्थितियों में शामिल हैं:

  • आपके पैर की हड्डी वाले हिस्से पर लालिमा, दर्द या सूजन
  • एक ही क्षेत्र में बार-बार चोट लगना
  • प्रभावित क्षेत्र से लाल धारियाँ या लालिमा फैल रही हो, तो यह संक्रमण का लक्षण हो सकता है
  • यदि आपको प्रभावित क्षेत्र के किसी हिस्से में सुन्नता महसूस हो रही हो
  • प्रभावित जोड़ को हिलाने में कठिनाई महसूस होना
  • आप प्रभावित और सामान्य जोड़ों के बीच विषमता पाते हैं; या प्रभावित क्षेत्र में उभार और गांठें हैं (जिसमें सूजन नहीं है), या टेढ़ा दिखाई देता है
  • गंभीर दर्द होना और घायल जोड़ पर वजन न डाल पाना
  • आप अपनी चोट को लेकर चिंतित हैं

आशा है कि मोच के संबंध में आपको सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। मैंने प्रत्येक तथ्य को विस्तार से साझा करने का प्रयास किया, ताकि आपको सूचित और चौकस रखा जा सके। इसके अलावा, किसी भी बीमारी के बारे में अधिक निश्चितता प्राप्त करने के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।



संदर्भ (References):

Sprains: Types, Causes, Symptoms, Risk Factors, Treatment


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


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