आर्थराइटिस (गठिया) के प्रकार, लक्षण, इलाज Arthritis in Hindi

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आर्थराइटिस (गठिया) क्या है?  – What is Arthritis (Gathiya) in Hindi?

आर्थराइटिस यानि गठिया (Gathiya) एक प्रकार की जोड़ों की सूजन होती है, जिसे संधिशोथ भी कहते हैं| यह रोग एक या एक से ज्यादा जोड़े को प्रभावित कर सकता है| आमतौर पर अर्थराइटिस के लक्षण समय के साथ विकसित होते रहते हैं लेकिन ये अचानक भी दिखाई दे सकते हैं|

आर्थराइटिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है| ज्यादातर यह 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है परंतु यह युवाओं, टीनएजर्स और बच्चों में भी हो सकता है|

दोस्तों आजकल की बदली हुई जीवनशैली, गलत खानपान, मोटापा आदि कारणों से ही आर्थराइटिस (गठिया) बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गया बल्कि युवा वर्ग भी इसका शिकार होते जा रहे हैं|

इस रोग का सबसे ज्यादा असर घुटनों, कूल्हों, तथा हाथ की उंगलियों के जोड़ों पर दिखाई देता है| इस रोग में मरीज का चलना-फिरना, तथा उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है|

तो आइए दोस्तों इस लेख में मैं आपको बताता हूं कि यह आर्थराइटिस (गठिया) रोग क्या है,आर्थराइटिस रोग में क्या परहेज करना चाहिए, आर्थराइटिस रोग के क्या लक्षण हैं, और आर्थराइटिस रोग का इलाज, दवा और घरेलू उपाय क्या हैं|

दोस्तों दो हड्डियाँ जहां आपस में मिलती है उसे जोड़ कहा जाता है, जैसे कोहनी का जोड़, घुटने का जोड़, आदि| इन जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने पर या कैल्शियम की कमी होने पर या किसी अन्य कारण से सूजन और अकडन आ जाती है| तथा इन जोड़ों के उत्तक (टिश्यू) भी टूट कर नष्ट होने लगते हैं| इसी अवस्था को आर्थराइटिस या गठिया कहा जाता है|

आर्थराइटिस में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुबने जैसी पीड़ा होती है, इसीलिए इसे गठिया (Gathiya) कहते हैं|

इस रोग में रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकडन या सूजन आ जाती है, इसलिए इसे संधिशोथ भी कहते हैं|

आर्थराइटिस (गठिया) के कितने प्रकार हैं? – What are the Types of Arthritis (Gathiya) in Hindi?

आर्थराइटिस रोग 100 से भी अधिक प्रकार के होते हैं| इनमें से सबसे ज्यादा व्यापक है ओस्टियोआर्थराइटिस| अन्य प्रकार के अर्थराइटिस है – वातरक्त (Gout), रयूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), सोरिअटिक आर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis), रिएक्टिव आर्थराइटिस (Reactive Arthritis), टेम्पोरल आर्थराइटिस (Temporal Arthritis) आदि|

ओस्टियोआर्थराइटिस – Osteoarthritis in Hindi

हड्डियों के अंतिम सिरे को सुरक्षित रखने के लिए एक सुरक्षात्मक टिशू होता है जिसे कार्टिलेज कहते हैं| जब किसी कारण से यह कार्टिलेज टूट जाता है तो इस कारण से हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं, जिसके कारण जोड़ों में अकड़न, दर्द और कई तरह की समस्याएं होती हैं| इस स्थिति को ओस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं|

यह गठिया ज्यादातर उन्हीं जोड़ों में होता है, जिन जोड़ों पर शरीर का ज्यादा भार आता है अर्थात यह वेट बेअरिंग जॉइंट्स को अधिक प्रभावित करता है, जैसे घुटने का जोड़, कूल्हे का जोड़|

आम तौर पर यह गठिया 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को होता है|

ओस्टियोआर्थराइटिस को वेयर एंड टियर अर्थराइटिस या डिजेनेरेटिव आर्थराइटिस भी कहते हैं|

रयूमेटाइड आर्थराइटिस – Rheumatoid Arthritis in Hindi

रयूमेटाइड आर्थराइटिस वह स्थिति है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ही आपके शरीर के जोड़ों को ही नुकसान पहुँचाने लगती है अर्थात यह एक ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर (autoimmune disorder) है|

इस गठिये (arthritis) में शरीर की रक्षा प्रणाली शरीर के जोड़ों पर आघात करती है, तो उन जोड़ों में द्रव इकठ्ठा हो जाता है और उनमें सोजिश हो जाती है| और अंत में हड्डियों का घिसना और जोड़ों की विकृति जैसी समस्याएं प्रकट हो जाती हैं|

रयूमेटाइड आर्थराइटिस में बड़े जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं परन्तु ज्यदातर छोटे जोड़ जैसे हाथों की अंगुलियाँ, आदि ही प्रभावित होते हैं |

आयुर्वेद में इसे आमवात कहते हैं|


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ओस्टियोपोरोसिस – Osteoporosis in Hindi

ओस्टियोपोरोसिस या अस्थिसुषिरता हड्डियों का एक ऐसा रोग है जिसमें अस्थि खनिज घनत्व या बोन मैरो डेंसिटी कम हो जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है|

यह रोग अनुवांशिक हो सकता है और उम्र बीतने के साथ प्रकट होता है| यह विशेष रूप से घुटना, पीठ, कमर, और पैरों को प्रभावित करता है|

सोरिअटिक आर्थराइटिस – Psoriatic Arthritis in Hindi

सोरायसिस एक चर्म रोग है जिसकी वजह से त्वचा पर खुजलीदार, मोटे, और लाल धब्बे बन जाते हैं| सोरायसिस से ग्रस्त 7 से 42% लोगों को सोरिअटिक आर्थराइटिस हो जाता है|

जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द, सूजन और तनाव हो जाता है| ज्यादातर यह हल्का होता है लेकिन कभी-कभी गंभीर भी हो सकता है और कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है|

रिएक्टिव आर्थराइटिस – Reactive Arthritis in Hindi

शरीर में किसी तरह के संक्रमण फैलने के बाद रिएक्टिव अर्थराइटिस होने का खतरा रहता है| मूत्रमार्ग (यूरिनरी) संक्रमण या आंत का संक्रमण होने के बाद इसके होने की संभावना बढ़ जाती है|

यह जोड़ों, आंखों, मूत्रमार्ग, व त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इन जगहों पर सूजन व दर्द महसूस होती है। यह समस्या संक्रमण के कारण होती है|

शरीर के विभिन्न अंगों में इसे अलग-अलग लक्षणों के द्वारा पहचाना जा सकता है| ये लक्षण अचानक और गंभीर या बहुत धीरे-धीरे प्रकट हो सकते हैं|

गाउट – Gout in Hindi

रक्त में जब यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो इस रोग की उत्पत्ति होती है| यूरिक एसिड हमारे शरीर की विविध चयापचयिक क्रियाओं के कारण पैदा होता है, जिसके निर्माण में कुछ खास प्रकार के आहारों का योगदान होता है| इस रोग को ही गाउट के नाम से जाना जाता है।

यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड नुकीले सुई जैसे क्रिस्टल्स का रूप लेकर शरीर के विभिन्न जोड़ों के इर्द-गिर्द इकट्ठे होकर उस जोड़ के आसपास सूजन, और तीव्र दर्द को पैदा करता है| और इसमें जोड़ों के कार्टिलेज नष्ट होने लगते हैं, जिससे आर्थराइटिस की समस्या होती है|

आयुर्वेद में इसे वातरक्त के नाम से जाना जाता है|

एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस – Ankylosing spondylitis in Hindi

एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस सामान्यत: पीठ व शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में होती है। इसमें दर्द हल्‍का होता है, परन्तु लगातार बना रहता है।

इस रोग से पीड़ित मरीजों को चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है।

जुवेनाइल आर्थराइटिस – Juvenile arthritis in Hindi

इस गठिये का शिकार बच्चे होते हैं, इसलिए इसे जुवेनाइल आर्थराइटिस कहते हैं| यह 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाता है।

स्पष्ट तौर पर इसका कारण बताना मुश्किल है, परंतु ऐसा अनुमान है कि यह ऑटोइम्यून विकार के कारण हो सकता है।

आर्थराइटिस (गठिया) के क्या कारण हैं? – What are the Causes of Arthritis (Gathiya) in Hindi?

आर्थराइटिस (गठिया या gathiya) Arthritis in Hindi
आर्थराइटिस (गठिया)

दोस्तो, सभी प्रकार के गठिया का कोई एक कारण नहीं होता| गठिया के प्रकार या रूप के अनुसार ही इसके कारण भी अलग-अलग होते हैं।

आर्थराइटिस (Gathiya) के निम्नलिखित संभावित कारण हो सकते हैं:

कार्टिलेज की क्षति

जोड़ों में मौजूद एक सुरक्षात्मक टिशु जिसे कार्टिलेज कहते हैं, हड्डियों के लिए कुशन का काम करता है| इस कार्टिलेज के नष्ट होने पर जोड़ आपस में रगड़ खाने लगते हैं जिससे आर्थराइटिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है|

पुरानी चोट

अगर पहले कभी हड्डियों के जोड़ में चोट लगी हो, तो भविष्य में आर्थराइटिस की समस्या होने की आशंका बढ़ सकती है और ये अपक्षयी गठिया का कारण बनती है|

असामान्य चयापचय

जो गाउट और स्यूडोगाउट का कारण बनता है|

इनहेरिटेंस या आनुवंशिक

अगर आपके परिवार में किसी को कभी गठिया की समस्या रही है, तो हो सकता है कि आपको भी इसका सामना करना पड़े। जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस में|

संक्रमण

शरीर में किसी बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण होने पर भी गठिया हो सकता है। जैसे कि लाइम रोग का गठिया|

ऑटो इम्यून रोग (autoimmune disorders)

जब किसी जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही उत्तकों या शरीर में उपस्थित अन्य पदार्थों को रोगाणु समझने की गलती कर बैठती है और उन्हें समाप्त करने के लिए उन्हीं पर हमला कर देती है, तो उस रोग को ऑटो इम्यून रोग कहते हैं| जैसे आरए (RA) और एसएलई (SLE)|

आयु

60 वर्ष के आसपास पहुंचने पर भी यह समस्या होने लगती है|

मोटापा

मोटापा अधिक होना भी आर्थराइटिस का अहम कारण माना गया है। क्यूंकि इससे शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा होने पर घुटनों, कूल्हों व कमर पर ज्यादा बोझ पड़ता है, जिससे आगे चलकर गठिया हो सकता है।

गठिया (Gathiya) के कारण संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

अधिकांश प्रकार के गठिया अपने स्पष्ट कारण से जुड़े होते हैं, लेकिन कुछ का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है और उनके उद्भव में अप्रत्याशित प्रतीत होते हैं।

कुछ लोगों में आनुवंशिक रूप से किसी गठिये की स्थिति के विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है। परंतु कुछ अतिरिक्त कारक, जैसे पुरानी चोट, संक्रमण, धूम्रपान और शारीरिक रूप से मांग वाले व्यवसाय, गठिया के जोखिम को और बढ़ाने के लिए आपकी जींस (genes) पर प्रभाव डाल सकते हैं।

दोस्तो, आपका आहार गठिया के जोखिम और उसके प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|

खाद्य पदार्थ जो सूजन को बढ़ाते हैं, विशेष रूप से पशुओं से प्राप्त खाद्य पदार्थ और रिफाइंड चीनी में उच्च आहार, आपके गठिये के लक्षणों को और खराब कर सकते हैं|

गाउट (वातरक्त) एक प्रकार का गठिया है जो आहार से ही संबंधित है, क्योंकि यह यूरिक एसिड के ऊंचे स्तर के कारण होता है जो कि आहार में उच्च प्यूरीन के परिणामस्वरूप हो सकता है। ऐसे आहार जिनमें उच्च-प्यूरीन खाद्य पदार्थ होते हैं, जैसे कि समुद्री भोजन (seafood), मीट, आदि गाउट को भड़का सकते हैं।

आर्थराइटिस (गठिया) रोग के क्या लक्षण हैं? – What are the symptoms of Arthritis (Gathiya) in Hindi?

जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन आर्थराइटिस (गठिया) के सबसे आम लक्षण हैं। कुछ लोगों में सुबह के समय जब वे बिस्तर से उठते हैं या आराम करने के बाद खड़े होते हैं तो उनके लक्षण जैसे दर्द आदि भी ज्यादा बदतर महसूस हो सकते हैं।

इसके अलावा, अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जो इस पर निर्भर करते हैं कि आपको कौन सा गठिया है| जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों के बारे में मैं आगे आपको विस्तार से बता रहा हूँ:

ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण – Symptoms of Osteoarthritis in Hindi

ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) उम्र के कारण जोड़ों के घिसने के कारण होने वाला गठिया है, इसमें केवल उसी जोड़ में दिक्कत होती है जिसको ओस्टियोआर्थराइटिस ने प्रभावित किया हो और पूरे शरीर में इससे कोई दिक्कत नहीं होती |

इसके अन्य लक्षण हैं:

  • गति की सीमित सीमा जो कभी-कभी मूवमेंट के बाद दूर हो जाती है
  • जोड़ों में हलचल (गति) होने से आवाज भी आती है
  • जोड़ के आसपास की मांसपेशियों की कमजोरी
  • जोड़ की अस्थिरता या बकलिंग
  • घुटनों में झंझरी या खुरचने का एहसास

रयूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण – Symptoms of Rheumatoid Arthritis in Hindi

रयूमेटाइड आर्थराइटिस में जोड़ों के इलावा बाकी शरीर भी प्रभावित हो सकता है, इसमें फेफडे, हृदय, आदि भी प्रभावित हो सकते हैं |

इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • सुबह की जकड़न जो 30 मिनट या उससे अधिक समय तक रह सकती है
  • एक से अधिक प्रभावित जोड़
  • पैरों और हाथों जैसे छोटे जोड़ों में शुरुआत
  • कम श्रेणी का बुखार
  • आंख और मुंह की सूजन
  • शरीर के दोनों किनारों पर समान जोड़ प्रभावित होते हैं
  • थकान
  • हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं की सूजन


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आर्थराइटिस (गठिया) का निदान कैसे किया जाता है? – How Is Arthritis Diagnosed in Hindi?

दोस्तो, आर्थराइटिस का निदान (यानि Diagnosis of Arthritis) करना इसके उपचार की ओर पहला कदम है।

आपका डॉक्टर गठिये का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण कर सकता है:

संपूर्ण मेडिकल हिस्ट्री

आपका डॉक्टर आपकी संपूर्ण मेडिकल हिस्ट्री (medical history) की जानकारी प्राप्त करेगा| इसमें आपके लक्षणों का संपूर्ण विवरण शामिल होता है|

शारीरिक परीक्षा (Physical Examination)

डॉक्टर आपकी शारीरिक परीक्षा (physical examination) करेगा| इसमें आपका डॉक्टर जोड़ों में सूजन, लालिमा, गर्माहट, या जोड़ों की गति के नुकसान की जाँच करेगा।

एक्स-रे जैसे इमेजिंग परीक्षण

डॉक्टर एक्स-रे जैसे इमेजिंग परीक्षणों का भी उपयोग कर सकता है| ये परीक्षण यह पता करने के लिए बहुत सहायक होते हैं कि आपको किस तरह का गठिया है। एक्स-रे का उपयोग ऑस्टियोआर्थराइटिस के निदान के लिए किया जाता है; जिसमें कार्टिलेज के नुकसान, बॉन स्पर्स (bone spurs), और गंभीर मामलों में, हड्डी से हड्डी की रगड़ दिखाई देती है।

जॉइंट फ्लूड (joint fluid) का परीक्षण

डॉक्टर आपके जॉइंट फ्लूड (joint fluid) का भी परीक्षण कर सकता है|

यदि आपके डॉक्टर को किसी अन्य बीमारी की जटिलता के रूप में संक्रामक आर्थराइटिस (गठिया) का संदेह होता है, तो आपके प्रभावित जोड़ से तरल पदार्थ के नमूने का परीक्षण गठिये के निदान की पुष्टि तो करेगा ही, साथ में यह भी निर्धारित करेगा कि इसका इलाज कैसे किया जाएगा।

रक्त या मूत्र का परीक्षण

ये परीक्षण आपके डॉक्टर को यह बताने में मदद कर सकते हैं कि आपको किस प्रकार का गठिया है या यह बता सकते हैं कि आपके लक्षणों का कारण कोई अन्य बीमारी तो नहीं है|

रयूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) के निदान के लिए रूमेटोइड फैक्टर (RF) नामक एंटीबॉडी के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है, जो रूमेटोइड गठिया वाले अधिकांश लोगों के रक्त में होता है| यहाँ यह बात भी आपको ध्यान में रखनी चाहिए कि आरएफ (RF) अन्य विकारों में भी मौजूद हो सकता है।

रयूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक नया परीक्षण जो रक्त में एंटीबॉडी के स्तर को मापता है (जिसे Anti-CCP  या Anti-Cyclic Citrullinated Peptides परिक्षण कहा जाता है) अधिक विशिष्ट है और केवल उन लोगों में अधिक होता है जिन्हें रयूमेटाइड आर्थराइटिस होता है या होने वाला है। एंटी-सीसीपी (Anti-CCP) एंटीबॉडी की उपस्थिति का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए भी किया जा सकता है कि किन लोगों को अधिक गंभीर रयूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) होगा।

आर्थराइटिस (गठिया) का इलाज क्या है? – What is the Treatment of Arthritis (Gathiya) in Hindi?

दोस्तो, आर्थराइटिस की समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता, इसी कारण आर्थराइटिस (गठिया) के इलाज (उपचार) का निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य है:

  • दर्द और सूजन को कम करना,
  • जोड़ों की क्षति को कम करना, तथा
  • कार्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना या बनाए रखना है।

दवाओं और लाइफस्टाइल स्ट्रेटेजीज (lifestyle strategies) से यह उद्देश्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है और जोड़ों को और नुकसान से बचाया जा सकता है।

आर्थराइटिस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं

कौन सी दवा का उपयोग किया जाएगा यह आर्थराइटिस (गठिया) के प्रकार पर निर्भर करता है|

आर्थराइटिस (गठिया) के बिना सोजिश वाले प्रकार, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस, का ज्यादातर इलाज दर्द कम करने वाली दवाओं, शारीरिक गतिविधि, अगर मरीज मोटा है तो वजन घटाकर, और आत्म-प्रबंधन (self-management) शिक्षा के साथ किया जाता है।

इन उपचारों को गठिया के सोजिश वाले प्रकारों, जैसे आरए (RA), पर भी लागू किया जाता है| इनके इलाज में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids), गैर-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDs), और डिजीज-मोडिफायिंग एंटी रूमेटिक ड्रग्स (DMARDs), आदि का भी उपयोग किया जाता है|

आमतौर पर आर्थराइटिस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में शामिल हैं:

एनाल्जेसिक (Analgesics)

ये दवाएं दर्द को कम करती हैं, लेकिन सूजन पर इनका कोई प्रभाव नहीं होता| एनाल्जेसिक में एसिटामिनोफेन (acetaminophen), ट्रामाडोल (tramadol), आदि शामिल हैं|

नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Non-steroidal anti-inflammatory drugs or NSAIDS)

ये दर्द और सूजन दोनों को कम करती हैं। एनएसएआईडी (NSAIDs) में इबुप्रोफेन (ibuprofen) और नेप्रोक्सन सोडियम (naproxen sodium), आदि शामिल हैं। कुछ एनएसएआईडी (NSAIDs) क्रीम, जैल या पैच के रूप में भी उपलब्ध हैं जिन्हें विशिष्ट जोड़ों पर लगाया जा सकता है।

काउंटर-इर्रीटेंट (Counter-irritants)

कुछ क्रीम और मलहम में मेन्थॉल या कैप्साइसिन (capsaicin – वह घटक जो मिर्च को मसालेदार बनाता है) होता है| एक दर्दयुक्त जोड़ की त्वचा पर इन्हें रगड़ने से जोड़ के दर्द के संकेतों को नियंत्रित किया जा सकता है और दर्द भी कम हो सकता है।

डिजीज-मोडिफायिंग एंटी रूमेटिक ड्रग्स (Disease-modifying antirheumatic drugs – DMARDs)

आरए (RA) का इलाज करने के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जाता है| डीएमएआरडी (DMARDs) प्रतिरक्षा प्रणाली को जोड़ों पर हमला करने से रोकता अथवा उसके हमले को धीमा करता है। मेथोट्रेक्सेट (methotrexate) और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) इसके उदाहरण हैं।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids)

प्रेडनिसोन (prednisone) और कोर्टिसोन (cortisone) जैसी दवाएं सूजन को कम करती हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाती हैं।

आर्थराइटिस के लिए सर्जरी

गठिया की परेशानी को कम करने या जोड़ (जॉइंट) की गतिशीलता को बहाल करने के लिए सर्जरी के विभिन्न रूपों की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

यदि गठिया का दर्द और सूजन वास्तव में असहनीय हो जाती है, या गठिया के जोड़ ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो इसके लिए सर्जिकल रिप्लेसमेंट (surgical replacement) करना पड़ता है। आजकल, घुटने और कूल्हे के जोड़ों को स्टेनलेस स्टील, प्लास्टिक और सिरेमिक सामग्री से बने कृत्रिम जोड़ों से बदला जाता है। कंधे के जोड़, तथा कोहनी और उंगलियों के छोटे जोड़ों को भी बदला जा सकता है।

रीढ़ की हड्डी की सर्जरी (Spinal surgery) कभी-कभी गर्दन और निचले रीढ़ की हड्डी के गठिया के लिए की जाती है। हालांकि इस तरह की सर्जरी के बाद गतिशीलता सीमित रहती है, परंतु ऑपरेशन कष्टदायी दर्द से राहत देते हैं और नसों या रक्त वाहिकाओं को और नुकसान होने से रोकने में मदद करते हैं।

आर्थराइटिस (गठिया) के लिए वैकल्पिक चिकित्सा – Alternative Medicine for Arthritis (Gathiya) in Hindi

गठिया के लिए विभिन्न प्रकार के वैकल्पिक उपचारों (alternative therapies) का उपयोग किया जाता है। यदि आप भी वैकल्पिक उपचारों के उपयोग पर विचार कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें|

ग्लूकोसामाइन (glucosamine) और कॉन्ड्रोइटिन (chondroitin)

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ग्लूकोसामाइन और कॉन्ड्रोइटिन की खुराक ऑस्टियोआर्थराइटिस में सूजन, दर्द, और कठोरता को कम करने के लिए कुछ मामलों में एनएसएआईडी (NSAIDs) के समान प्रभावी हैं|

ग्लूकोसामाइन के लिए विशिष्ट दैनिक खुराक 1,500 मिलीग्राम और कॉन्ड्रोइटिन के लिए 1,200 मिलीग्राम है।

एक्यूपंक्चर (Acupuncture)

ऑस्टियोआर्थराइटिस (विशेषकर घुटने के जोड़) के लिए एक्यूपंक्चर को भी वैकल्पिक उपचार माना जाता है|

अध्ययनों से पता चला है कि एक्यूपंक्चर दर्द को कम करने में मदद करके दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता को काफी हद तक कम कर सकता है|

मछली का तेल (Fish oil)

मछली का तेल जोड़ों की सूजन और जकडन को कम करने, तथा  दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता को कम करने में बहुत सहायक पाया गया है। मछली के तेल के पूरे फायदे लेने के लिए आप मछली के तेल के कैप्सूल, अथवा सैल्मन और मैकेरल जैसी तैलीय मछलियों का सेवन किया जा सकता है|

आयुर्वेदिक चिकित्सा – Ayurvedic Treatment

आयुर्वेदिक चिकित्सा में गठिया के लक्षणों से राहत पाने के लिए आंतरिक और बाह्य रूप से हर्बल यौगिकों का प्रयोग किया जाता है। अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा), शल्लकी (बोसवेलिया सेराटा), और हल्दी के संयुक्त उपयोग से ऑस्टियोआर्थराइटिस से ग्रस्त मरीजों के लिए दर्द और अक्षमता में उल्लेखनीय गिरावट आती है|

आर्थराइटिस (गठिया) के घरेलू उपाय (इलाज) – Home Remedies for Arthritis (Gathiya) in Hindi

1) अदरक

आर्थराइटिस की समस्या से राहत पाने के लिए अदरक का उपयोग बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं|

2) हल्दी

हल्दी को आर्थराइटिस (गठिया) के इलाज के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। इसमें में एंटी-आर्थराइटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं|

अतः इसका उपयोग जोड़ों में सूजन को कम करने में मदद करता है और आर्थराइटिस के असर को धीरे-धीरे कम कर सकता है।

3) अश्वगंधा

आर्थराइटिस (गठिया) रोग का इलाज करने के लिए आयुर्वेद में अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, और यह आर्थराइटिस के दर्द और सूजन को भी कम करने में मदद करता है।

4) लहसुन

दोस्तो, लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जिसकी वजह से यह जोड़ों में दर्द व सूजन को कम कर सकता है।

इसके अतिरिक्त लहसुन ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ सुरक्षा में मदद करता है |एक अध्ययन में यह पाया गया कि लहसुन में मौजूद डायलील सल्फाइड (diallyl sulfide)  मैट्रिक्स-डिग्रेडिंग प्रोटीज (matrix-degrading proteases) नामक एंजाइम का विरोध करने में मदद करता है और इस तरह हड्डियों को नुकसान से बचाता है|

5) नेटल्स

नेटल्स या बिच्छू बूटी से भी आर्थराइटिस में फायदा हो सकता है। हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाने वाले इस पौधे को छूने से शरीर में उसी प्रकार झनझनाहट होती है, जिस प्रकार बिच्छू के काटने पर होती है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आर्थराइटिस के दर्द को कम करने में मदद करते हैं|

6) गर्म सिकाई

आर्थराइटिस (गठिया) रोग के घरेलू उपचार में गर्म सिकाई का भी बहुत महत्व है। गठिया में गर्म सिकाई करने से जोड़ों की जकडन और दर्द कम होती है, तथा मांसपेशियां नरम होती हैं।

सिकाई लिए आप हीटिंग पैड, या तौलिये में लपेटी हुई गर्म पानी की बोतल, या गर्म पानी से स्नान, आदि का उपयोग कर सकते हैं। सिकाई और आराम गठिया रोग से पीड़ित अधिकांश लोगों के लिए अल्पावधि में बहुत प्रभावी होते हैं।

आर्थराइटिस (गठिया) से पीड़ित लोगों के लिए आउटलुक

शीघ्र निदान के साथ, अधिकांश प्रकार के आर्थराइटिस (गठिया) को प्रबंधित किया जा सकता है, तथा इस रोग से होने वाले दर्द और अक्षमता को कम किया जा सकता है। इसका शीघ्र निदान और उपचार गठिया के कारण होने वाले ऊतक क्षति को रोकने में सहायक हो सकते हैं।


अस्वीकरण (DISCLAIMER)

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|


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