उपवास (व्रत): प्रकार, फायदे और नुकसान – Fasting in Hindi

दोस्तों चाहे आप किसी भी धर्म, जाति, या कस्बे से हों, आपने कभी न कभी उपवास या व्रत रखा होगा या उसके बारे में सुना होगा। आप सभी व्रत को आस्था से जोड़कर देखते होंगे और उसके धार्मिक महत्त्व से भलीभांति परिचित होंगे। परन्तु क्या आप जानते हैं कि व्रत अथवा उपवास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। जी हाँ, आपने बिलकुल सही सुना, हमारे शरीर पर व्रत करने के अलग-अलग फायदे एवं कुछ नुकसान भी होते हैं। तो आइये आज मैं इस लेख के ज़रिये आपको व्रत के उन्हीं फायदों और नुकसान से अवगत करवाता हूँ, और साथ ही हम बात करेंगे कि व्रत आखिर कितने प्रकार के होते हैं। परन्तु उसके पहले हम व्रत के बारे में कुछ प्रारम्भिक एवं आवश्यक बातें जान लेते हैं। तो आइये शुरू करते हैं।

उपवास (व्रत) क्या है? – (What is Fasting in Hindi?)

अलग-अलग जाति, धर्म और व्यक्ति के हिसाब से उपवास या फिर व्रत की विभिन्न-विभिन्न परिभाषाएं हैं। हर किसी का व्रत को करने का अलग तरीका हो सकता है। परन्तु अगर हम सरल भाषा में समझें तो एक निश्चित समयावधि के लिए अन्न जल आदि का त्याग उपवास (व्रत) कहलाता है। सामान्यतः व्रत की अवधि 12 या 24 घंटे की होती है, परन्तु कई व्रत कुछ दिनों, हफ़्तों या महीनों तक भी चल सकते हैं।

कुछ लोग व्रत में सिर्फ पानी या द्रव्य पदार्थ लेते हैं और कुछ फल इत्यादि भी लेते हैं। कुछ पूर्णतः निर्जला और निराहार व्रत रखते हैं तो कोई एक टाइम भोजन करके उपवास रखते हैं। सभी लोग अपनी-अपनी श्रद्धा, आस्था, मान्यता, और शक्ति के अनुसार उपवास करते हैं। हर एक व्रत की अलग-अलग मान्यता और परम्पराएं भी हैं, जिसका लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार पालन करते हैं। उदहारण के लिए नवरात्र के व्रत में फल, जूस, दूध आदि का सेवन किया जा सकता है, वहीं निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान आपको आपको कुछ भी खाना या पीना नहीं होता।

आइये अब उपवास (व्रत) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं, जैसे व्रत के प्रकार, फायदे, नुकसान, इत्यादि।

उपवास (व्रत) कितने प्रकार का होता है? – (What Are The Types of Fasting in Hindi?)

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उपवास (व्रत) के प्रकार

अब हम समझते हैं की आखिर व्रत या फिर उपवास के कितने प्रकार होते हैं, मतलब किस-किस तरह से लोग व्रत करते हैं या कर सकते हैं:

1) साप्ताहिक उपवास – (Weekly Fasting in hindi)

हर हफ्ते किसी एक विशेष दिन पर किया जाने वाला व्रत साप्ताहिक उपवास कहलाता है। व्रत करने वाला व्यक्ति नियमानुसार हर हफ्ते उसी दिन पर उपवास रखता है। यह पूरी तरह से व्यक्ति की भक्ति और शक्ति पर ही निर्भर करते है कि वह चाय पानी पीकर व्रत रखता है या फिर फल खाकर या फिर एक टाइम का खाना खाकर। 

2) सुबह का उपवास – (Morning Fasting in hindi)

सुबह का उपवास रखने के लिए सुबह के वक्त खाना नहीं खाते और सिर्फ दोपहर और रात के वक़्त ही खाना खाते हैं।

3) शाम का उपवास – (Evening Fasting in hindi)

शाम का उपवास रखने के लिए पूरे दिन में दो बार खाना खाने के बाद शाम ढलने पर कुछ भी नहीं खाते हैं अर्थात रात को खाना नहीं खाते हैं।

4) फलाहार उपवास – (Fruit Fasting in hindi)

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फलाहारी उपवास में व्रत करने वाला व्यक्ति सिर्फ फल खाकर ही व्रत रखता है। फल के साथ-साथ दूध, चाय, पानी, कॉफी, आदि भी ले सकते हैं ।

5) निराहार उपवास – (Nirahar Vrata in hindi)

निराहार उपवास वह व्रत होता है जिसमें व्यक्ति कुछ भी खाता नहीं है और केवल पानी का ही सेवन करता है। इसे पूर्णोपवास उपवास भी कहा जाता है।

6) निराहार और निर्जला उपवास – (Nirjala Vrata in hindi)

निर्जला उपवास में व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत के दौरान न कुछ खाता है और न ही कुछ पीता है। यह व्रत काफी कठिन होती है और हर किसी के लिए इसे करना संभव नहीं है।

7) दूध का उपवास – (Milk Fasting in hindi)

जब कोई व्यक्ति केवल दूध का सेवन करके व्रत रखता है तो वह दूध का उपवास कहलाता है ।

8) जूस या रस का उपवास – (Juice Fasting in hindi)

इस उपवास के दौरान व्यक्ति फलों और सब्जियों के रस का ही सेवन करता है और वह ठोस या भारी पदार्थों का सेवन नहीं करता।

9) दीर्घकालीन उपवास – (Prolonged Fasting in hindi)

यह उपवास लंबे समय तक चलते हैं, जैसे इसमें 21 दिन से लेकर 50 या 60 दिन भी लग सकते हैं। हर धर्म में किसी न किसी प्रकार के दीर्घकालीन व्रत होते हैं और हर धर्म में इस उपवास के दौरान खाने पीने के नियम अलग-अलग होते हैं ।

10) इंटरमिटेंट उपवास या इंटरमिटेंट फास्टिंग – (Intermittent Fasting in Hindi)

हर कोई आजकल फिट दिखना चाहता है, और इंटरमिटेंट उपवास (intermittent fasting) इसी का एक तरीका है। सामान्यतः इसे बढ़े हुए वज़न को कम करने के लिए किया जाता है । इस तरह के उपवास में लोगों के खाने के टाइमिंग (वक्त) और पैटर्न में बदलाव आ जाता है।  इस व्रत की समय अवधि 14 घंटे से ज्यादा होती है और इसके दौरान व्यक्ति को 1 से 2 दिन छोड़कर व्रत (उपवास) रखना होता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति खाना की मात्रा को कम करता है। इस व्रत में पौष्टिक तरल पदार्थों जैसे जूस आदि के सेवन की छूट होती है (1)।

11) नैदानिक उपवास – (Diagnostic Fast in hindi)

नैदानिक उपवास ज़्यादातर मेडिकल टेस्ट के दौरान किया जाता है। इसमें व्यक्ति को टेस्ट हो जाने तक खाली पेट रहने को कहा जाता है। इस व्रत में जब तक टेस्ट न हो जाए, तब तक वह व्यक्ति बिना कुछ खाए पिए ही रहता है। 

12) अन्य उपवास – (Other Fasts in hindi)

ऊपर बताए गए उपवासों के अलावा भी कई उपवास होते हैं जो व्यक्ति अपनी स्वास्थ्य स्थिति (medical condition) को ध्यान में रखते हुए करता है। अपनी सेहत को तंदरुस्त रखने के लिए भी लोग कुछ चीज़ों के सेवन से परहेज़ करते हैं। जैसे लोग शुगर युक्त चीज़ों का सेवन कम या ना के बराबर कर देते हैं। कई उपवास में लोग ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम कर देते हैं। किस तरह का व्रत करना है, यह व्यक्ति की इच्छा, शारीरिक क्षमता, और ज़रूरतों पर निर्भर करता है। 

उपवास (व्रत) रखने के क्या फायदे हैं? – (What are the Benefits of Fasting in hindi?)

उपवास अथवा व्रत रखने के प्रमुख 9 फायदे निम्नलिखित हैं:

1) बुरी लत से निजात दिलाने में उपवास के फायदे – (Fasting benefits in giving relief from bad addiction in hindi)

यह पाया गया है कि उपवास करने से बुरी लत को छुड़ाया जा सकता है। किसी भी प्रकार की लत चाहे वो खाने से सम्बंधित हो या फिर किसी अन्य चीज़ से, उपवास से ज़रिये उसे छुड़ाया जा सकता है। रिसर्च में यह पाया गया है कि उपवास (व्रत) ब्रेन न्यूरो केमिस्ट्री में बदलाव ला सकता है जिसका नतीजा यह होता है कि किसी चीज़ को बार-बार खाने या सेवन करने की इच्छा कम होती जाती है (2)।

2) इम्युनिटी बढ़ाने में उपवास के फायदे – (Fasting benefits in boosting immunity in hindi)

ज़ाहिर है कि इम्युनिटी से हम सभी परिचित हैं। एक रिसर्च के मुताबिक उपवास या फिर व्रत रखने से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। इससे ऑटोफेगी (autophagy) अर्थात शरीर के सेल्स को साफ़ करने की क्षमता बेहतर होती है। साथ ही शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति (इम्युनिटी) भी बढ़ती है (3)। 

3) ब्लड शुगर नियंत्रित करने में उपवास के फायदे – (Fasting benefits in controlling blood sugar in hindi)

ब्लड शुगर बढ़ने से इंसान को तरह-तरह की बीमारियों और दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उपवास करके ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा एक शोध ने भी सिद्ध किया है कि ब्लड शुगर से पीड़ित लोगों के लिए व्रत काफी फायदेमंद साबित हो सकता है (4)। परन्तु जिसका भी ब्लड शुगर अधिक है, उसे डॉक्टर के परामर्श के बाद ही उपवास रखना चाहिए।

4) कोलेस्ट्रॉल कम करने में उपवास के फायदे – (Fasting benefits in lowering cholesterol in hindi)

एक रिसर्च के मुताबिक यह पाया गया है कि उपवास करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है। इस रिसर्च में पाया गया कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन के अंतराल पर व्रत रखता है, तो वज़न कम होने के साथ-साथ उसका कोलेस्ट्रॉल स्तर भी कम होता है। व्रत रखने से ट्राइग्लिसराइड और ख़राब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम किया जा सकता है (5)।

एक अन्य रिसर्च में यहं पाया गया कि रमजान के दौरान किए जाने वाला उपवास प्लाज्मा लिपिड्स और लिपोप्रोटीन को कम करने में मदद करता है (6)।

इसलिए अगर आपके खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) का स्तर बढ़ रहा है, तो आपको सप्ताह में एक बार उपवास (व्रत) जरूर रखना चाहिए; इससे आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी नियंत्रण हो सकता है।

5) ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में उपवास के फायदे – (Fasting benefits in controlling blood pressure in hindi)

हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति के लिए उपवास करना काफी फायदेमंद हो सकता है। एक शोध के मुताबिक सही तरीके से एक हफ्ते तक उपवास रखने से उच्च रक्तचाप को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है (5)।

6) त्वचा के लिए उपवास के फायदे – (Fasting benefits for skin in hindi)

क्रीम और अन्य कॉस्मेटिक उत्पाद त्वचा को सिर्फ ऊपर से चमकदार बनाते हैं, परन्तु अच्छे खान-पान से त्वचा को आंतरिक रूप से चमकदार और बेहतर बनाया जा सकता है। रूखी बेजान और कील मुंहासे वाली त्वचा को ठीक करने के लिए व्रत लाभकारी हो सकता है। इससे शरीर में मौजूद विषाक्त बाहर निकलते हैं और त्वचा खूबसूरत और चमकदार दिखने लगती है।

7) पाचन तंत्र के लिए उपवास के फायदे – (Fasting benefits for digestive system in hindi)

जी हाँ, उपवास या व्रत पाचन तंत्र के लिए भी फायदेमंद है। इससे पाचन संबंधी विकारों को ठीक किया जा सकता है। एक रिसर्च रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 62.33% लोगों को उपवास करते वक़्त अपच की समस्या नहीं हुई तो वहीं 27% लोगों की यह समस्या ठीक हो गई (7)।

उपवास या व्रत रखने से आपके पाचन तंत्र को आराम मिलता है और यह एक हीलिंग थरेपी की तरह काम करता है। अतः यदि आप अक्सर पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं तो आप व्रत रख कर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

8) उपवास के मानसिक और भावनात्मक लाभ – (Mental and emotional benefits of fasting in hindi)

उपवास रखने से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे एकाग्रता में सुधार होता है और ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलती है। इसके इलावा चिंता, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याएं दूर करने के लिए भी उपवास फायदेमंद है (7)।

9) वज़न कम करने में मदद करता है उपवास – (Fasting helps to reduce weight in hindi)

आजकल मोटापा एक आम समस्या है और हर कोई इसे कम करने की जद्दोजहद में लगा रहता है। साथ ही मोटापे से कई सारी अन्य शारीरिक दिक्कतें भी जुड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि उपवास अत्यधिक चर्बी को कम करने का एक कारगर उपाय है।

एक शोध के अनुसार, अनिरंतर उपवास (Intermittent Fasting) से बढ़ती चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। इस उपवास के दौरान व्यक्ति को 1 से 2 दिन छोड़कर व्रत (उपवास) रखना होता है। इस में व्यक्ति के खाने के वक्त और पैटर्न में बदलाव आ जाता है (1)। 

उपवास (व्रत) रखने से क्या नुकसान हो सकते हैं? – (What are the Side Effects of Fasting in Hindi?)

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उपवास (व्रत) के नुकसान

दोस्तो, उपवास रखने के बहुत से स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन अगर आप उपवास को ठीक से नहीं रखते या समय से ज्यादा रखते हैं तो इसकी वजह से कई नुकसान भी हो सकते हैं। आइए अब जानते हैं कि व्रत या उपवास रखने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं:

1) पानी की कमी – (Dehydration)

व्रत के दौरान पानी की कमी होना आम बात है। मूत्र और पसीने की वजह से शरीर का पानी कम हो जाता है और अगर व्रत के पहले शरीर (बॉडी) को अच्छे से हाइड्रेट ना किया जाये तो शरीर व्रत के दौरान आसानी से डिहाइड्रेट हो जाता है। अगर निर्जला व्रत रखा जाता है तो ये समस्या और भी अधिक देखी जाती है।

2) कब्ज़ – (Constipation)

उपवास के समय भूखे पेट रहने से कब्ज़ की समस्या हो जाती है। इसलिए इससे बचाव के लिए सलाह दी जाती है कि आप व्रत के दौरान अधिक पानी पियें और फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।

3) व्रत के बाद भारी भोजन करने से नुकसान – (Side effects of eating heavy food after fasting)

अक्सर कई लोग व्रत ख़त्म होने के बाद एकदम से भारी भोजन करने लगते हैं। परंतु लंबे समय तक उपवास करने के तुरंत बाद यदि भारी खाना खा लिया जाए तो इसकी वजह से पेट सम्बन्धी समस्याएं जैसे तेज पेट दर्द आदि हो सकती हैं। अतः उपवास ख़त्म होने के तुरंत बाद भारी भोजन नहीं करना चाहिए।

4) सीने में जलन – (Heartburn)

कई लोग व्रत में तेल, मसाले वाला और भारी खाना खाते हैं; जिससे सीने में जलन, खट्टी डकार, और उल्टी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसीलिए ये सलाह दी जाती है कि जितना हो सके तो व्रत में हल्का भोजन ही करें।

5) हाइपोग्लाइसीमिया – (Hypoglycemia)

व्रत के दौरान शुगर से पीड़ित लोगों में हाइपोग्लाइसीमिया (यानी ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से भी कम होना) की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए शुगर के मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि उन्हें उपवास रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिएं। जैसे उन्हें:

  • हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही उपवास करना चाहिए।
  • व्रत रखने के पहले ब्लड शुगर के स्तर की जांच करनी चाहिए।
  • अगर उपवास के दौरान बहुत अधिक पसीना या फिर चक्कर आने लगें, तो जल्द से जल्द कोई मीठा पेय पदार्थ या पानी में चीनी घोलकर पीनी चाहिए।

6) सिरदर्द – (Headache)

व्रत के दौरान कई बार भूख, आराम की कमी अथवा कैफीन या निकोटीन की कमी से सिरदर्द होने लगता है इससे बचाव के लिए आप तेज़ धूप में न जाएँ, अधिक से अधिक पेय पदार्थ पियें, और हल्का भोजन करें। अतः जो लोग माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें लंबे समय तक उपवास नहीं रखना चाहिए।

7) पोषक तत्वों की कमी – (Deficiency of Nutrients)

यदि व्रत रखने के दौरान पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं किया जाए तो शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है और शरीर में कमजोरी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

यदि लंबे समय तक का उपवास रखा जाए तो एनीमिया भी हो सकता है (8)।

उपवास रखने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? – (What are the things to keep in mind during fasting in hindi?)

अगर आप उपवास या व्रत रखना चाहते हैं तो आपको इसे रखने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आप उपवास के दौरान और इसके बाद होने वाली समस्याओं (या नुकसान) का सामना नहीं करना पड़ेगा:

  • व्रत तोड़ने के तुरंत बाद हमेशा हल्का और पौष्टिक भोजन ही करें।
  • किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या के चलते या फिर अगर आप किसी प्रकार की दवाई ले रहे हैं तो उपवास ना करें।
  • व्रत के दौरान या उसके बाद एकदम से ज़्यादा खाना नहीं खायें।
  • उपवास रखने से पहले हमेशा पौष्टिक आहार ही खाएं, ताकि उपवास के दौरान कोई परेशानी न हो।
  • अगर आप पहली बार व्रत कर रहे हैं तो शुरुआत में कम समय के लिए ही रखें। लंबी अवधि के उपवास रखने से आपको बचना चाहिए।
  • गैस या एसिडिटी की समस्या होने पर उपवास के वक़्त खाली पेट चाय या कॉफ़ी नहीं पीनी चाहिए।
  • उपवास के दौरान ज्यादा देर तक व्यायाम अथवा कठिन व्यायाम न करें। क्योंकि व्रत के दौरान आपके शरीर को ज्यादा उर्जा की आवश्यकता होती है और व्यायाम करने से आपके शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है; जिससे आपको थकावट तथा कमजोरी महसूस हो सकती है।

तो दोस्तो, हमने यहाँ पर उपवास (या व्रत) रखने के फायदे और नुकसान के बारे में जाना। आशा है कि आपको मेरा ये लेख पसंद आया होगा।



संदर्भ (References):

1) Intermittent Fasting: The Choice for a Healthier Lifestyle

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6128599/

2) Fasting: Molecular Mechanisms and Clinical Applications

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3946160/

3) Intermittent fasting, a possible priming tool for host defense against SARS-CoV-2 infection: Crosstalk among calorie restriction, autophagy and immune response

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7351063/

4) Effects of intermittent fasting on health markers in those with type 2 diabetes: A pilot study

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5394735/

5) Intermittent Fasting in Cardiovascular Disorders—An Overview

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6471315/

6) Fasting during Ramadan induces a marked increase in high-density lipoprotein cholesterol and decrease in low-density lipoprotein cholesterol

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/9363296/

7) An Observational Study to Assess the Physical, Social, Psychological and Spiritual Aspects of Fasting

https://www.iosrjournals.org/iosr-jdms/papers/Vol14-issue3/Version-6/F014362530.pdf

8) Effect of short-term food restriction on iron metabolism, relative well-being and depression symptoms in healthy women

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4143608/


अस्वीकरण (DISCLAIMER):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय / नुस्खे / दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|


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