इस लेख में आप खादिरादि वटी के फायदे, उपयोग, लाभ, नुकसान (दुष्प्रभाव), चिकित्सीय संकेत, सावधानियां, खुराक, (Khadiradi Vati uses, benefits, side effects, therapeutic indications, precautions, dosage, in Hindi) आदि के बारे में जानेंगे। तो, आइए इस लाभकारी आयुर्वेदिक औषधि के बारे में विस्तार से जानें।
Table of Contents
खदिरादि वटी क्या है? – (What is Khadiradi Vati in Hindi?)
खदिरादि वटी (khadiradi vati in hindi) एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जिसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। यह प्रमुख रूप से मुंह से संबंधित विभिन्न बीमारियों, जैसे मसूड़ों, दांतों, जीभ और गले के रोगों के इलाज में मदद करती है। इस फॉर्मूलेशन में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) मौजूद हैं जैसे एल्कलॉइड (alkaloids), वाष्पशील तेल (volatile oils), सैपोनिन (saponins), टैनिन (tannins), ग्लाइकोसाइड (glycosides) और फ्लेवोनोइड (flavonoids) (1)।
यह त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए भी फायदेमंद है।
खदिरादि वटी या गुटिका सबसे अच्छी औषधि है जिसमें कसैले, सूजन-रोधी, कफ निस्सारक (expectorant) और मौखिक एंटीसेप्टिक (oral antiseptic) गुण होते हैं। इसका उपयोग टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis), मुंह के छाले (mouth ulcers) और गले में खराश (sore throat) के इलाज के लिए किया जाता है (1)।
खदिर (Acacia catechu) इस फॉर्मूलेशन का मुख्य घटक है और इसके अधिकांश चिकित्सीय लाभों के लिए जिम्मेदार है। इसमें सामग्री के रूप में कंकोल, भीमसेनी कपूर, जावित्री और सुपारी आदि भी शामिल हैं (1)।
आयुर्वेद के अनुसार, खदिरादि वटी (गुटिका) में रोपन और कषाय गुण होते हैं, जो मुंह के छालों को जल्दी ठीक करने में सहायक होते हैं। इसमें एक सुखद गंध और कुछ विशिष्ट गुण हैं, जो कीटाणुओं के विकास (सांसों की दुर्गंध का एक प्रमुख कारण) को नियंत्रित करने में सहायक हैं। अपने कफ दोष को संतुलित करने वाले गुण के कारण, यह फॉर्मूलेशन खांसी को नियंत्रित करने, बलगम को बाहर निकालने और वायु मार्ग को साफ करने में भी मदद करता है, और परिणामस्वरूप आपके सांस लेने की स्थिति बेहतर होती है।
खदिरादि वटी के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (Composition) Of Khadiradi Vati In Hindi?)
यहां, आइए जानते हैं कि खदिरादि वटी को बनाने के लिए किन किन घटक द्रव्यों (सामग्रियों) का उपयोग किया जाता है और प्रत्येक घटक की मात्रा क्या है (7):
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक/आधुनिक नाम | घटक द्रव्य की मात्रा/अनुपात |
कर्पूर (कपूर) | Cinnamomum Camphora | 192 ग्राम |
जायफल | Myristica Fragrans | 48 ग्राम |
कंकोल | Piper Cubeba | 48 ग्राम |
व्याघ्रनखी (नख) | Capparis Zeylanica | 48 ग्राम |
लवंग (लौंग) | Syzygium Aromaticum | 48 ग्राम |
दारूहरिद्रा (जलीय अर्क) | Berberis Aristata (aqueous extract) | 12 ग्राम |
गैरिक | Purified red ochre | 12 ग्राम |
पत्रांग | Caesalpinia Sappan | 12 ग्राम |
अगरु | Aquilaria Agallocha | 12 ग्राम |
धमासा | Fagonia Cretica/ Arabica | 12 ग्राम |
वच | Acorus calamus | 12 ग्राम |
कटफल (कायफल) | Myrica Nagi | 12 ग्राम |
मंजिष्ठा | Rubia Cordifolia | 12 ग्राम |
इलाइची | Elettaria Cardamomum | 12 ग्राम |
फलिनी (प्रियंगु) | Callicarpa Macrophylla | 12 ग्राम |
दारूहरिद्रा | Berberis Aristata | 12 ग्राम |
हरिद्रा (हल्दी) | Curcuma Longa | 12 ग्राम |
सुगन्धबाला (बालक) | Pavonia Odorata | 12 ग्राम |
लोध्र (छाल) | Symplocos Racemosa | 12 ग्राम |
आमलकी | Phyllanthus Emblica | 12 ग्राम |
बिभीतकी (बहेड़ा ) | Terminalia bellirica | 12 ग्राम |
हरीतकी | Terminalia chebula | 12 ग्राम |
जटामांसी | Nardostachys jatamansi | 12 ग्राम |
रसांजन | Berberis aristata | 12 ग्राम |
लाख (लाक्षा) | Laccifer lacca | 12 ग्राम |
नागकेसर | Mesua ferrea | 12 ग्राम |
कमल | Nelumbium speciosum | 12 ग्राम |
दालचीनी | Cinnamomum zeylanicum | 12 ग्राम |
यष्टिमधु (मुलहठी या मुलेठी) | Glycyrrhiza glabra | 12 ग्राम |
प्रपौण्डरीक | Nymphaea stellata | 12 ग्राम |
मुस्ता (Nut grass) | Cyperus rotundus | 12 ग्राम |
धातकी | Woodfordia fruticosa | 12 ग्राम |
मंजिष्ठा (Indian Madder) | Rubia cordifolia | 12 ग्राम |
उशीर | Vetiveria zizanioides | 12 ग्राम |
पदम (पयां) | Prunus puddum | 12 ग्राम |
चंदन | Santalum Album | 12 ग्राम |
अरिमेद | Acacia Leucophloea | 9.6 किलोग्राम |
खदिर (काला कत्था) | Acacia Catechu | 4.8 किलोग्राम |
पानी (काढ़े के लिए) | – | 49.152 लीटर |
खदिरादि वटी (गुटिका) के औषधीय गुण क्या हैं? – (What Are The Medicinal Properties of Khadiradi Vati in Hindi?)
खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें निम्नलिखित औषधीय गुण हैं:
- कफ निस्सारक (expectorant)
- एंटीसेप्टिक (antiseptic)
- सूजन रोधी (anti-inflammatory)
- स्तंभक (astringent)
- एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant)
- एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial)
खदिरादि वटी किन शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके चिकित्सीय संकेत क्या हैं? – (What Are The Therapeutic Indications Of Khadiradi Vati in Hindi?)
खदिरादि वटी निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए लाभकारी है:
- गले में खराश (sore throat)
- टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis)
- मुंह के छाले (mouth ulcers)
- खांसी (cough) – मुख्यतः गले में जलन के कारण
- मसूड़े की सूजन (gingivitis)
- स्टोमेटाइटिस (stomatitis)
- लैरींगाइटिस (laryngitis)
खदिरादि वटी (गुटिका) के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What are the Uses and Benefits of Khadiradi Vati in Hindi?)
यहां, नीचे आप खदिरादि वटी के मुख्य फायदे और उपयोग जानेंगे जो किसी व्यक्ति को इस वटी की अनुशंसित खुराक में सेवन करने से मिल सकते हैं।
खदिरादि वटी (गुटिका) के मुख्य 7 फायदे और उपयोग हैं – (7 Uses and Benefits of Khadiradi Vati in Hindi):
1) खदिरादि वटी मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में फायदेमंद है – (Khadiradi Vati is Beneficial in Improving Oral Health in Hindi)
खदिरादि वटी (या गुटिका) किसी व्यक्ति के समग्र मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है। यह मौखिक रोगों के उपचार के लिए एक बेहतरीन उपाय है जैसे:
- मुख गुहा रोग (buccal cavity diseases)
- ढीले दांत (loose teeth)
- गले के रोग (throat diseases)
- दंत क्षय (dental caries)
- दंत रोग (tooth diseases)
- अरुचि (loss of taste)
- मुख-पाक (Stomatitis)
- मुख-दौर्गंध्य (Halitosis)
2) बलगम वाली खांसी के लिए खदिरादि वटी के फायदे – (Khadiradi Vati Benefits for Cough with Sputum in Hindi)
भारत का राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल बताता है कि खदिरादि वटी को चूसना खांसी में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह बलगम को ऊपर लाने और बाहर निकालने में मदद करता है (2)।
3) खदिरादि वटी टॉन्सिलाइटिस में लाभ करती है – (Khadiradi Vati Benefits in Tonsillitis in Hindi)
टॉन्सिल की सूजन या जलन को टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। टॉन्सिलाइटिस के इलाज के लिए खदिरादि वटी का उपयोग किया जा सकता है। यह टॉन्सिल की सूजन, दर्द और जलन को कम करने में मदद करती है।
आयुर्वेद के अनुसार, अपने कषाय गुण के कारण, यह वटी सूजन को कम करने में मदद करती है और टॉन्सिलाइटिस में राहत देती है।
यह वटी अकेले इस्तेमाल करने पर इतनी प्रभावशाली नहीं होती, परंतु यदि इसे गंधक रसायन, यशद भस्म और सितोपलादि चूर्ण के साथ प्रयोग किया जाए तो यह अधिक प्रभावी होती है।
4) गले की खराश के लिए खदिरादि वटी के फायदे – (Khadiradi Vati Benefits for Sore Throat in Hindi)
गले में खराश जिसे फैरिंजाइटिस (pharyngitis) भी कहा जाता है, किसी भी समय किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यह गले के क्षेत्र में भोजन नली (ग्रसनी) की सूजन है। जब यह सूजन लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसे क्रोनिक फैरिंजाइटिस (chronic pharyngitis) के रूप में जाना जाता है।
उचित आहार के साथ, खदिरादि वटी क्रोनिक फैरिंजाइटिस के उपचार में फायदेमंद है (3)।
खदिरादि वटी बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद करती है, जो गले में खराश का कारण हो सकता है। इस वटी को कुछ अन्य आयुर्वेदिक औषधियों जैसे यशद भस्म, सितोपलादि चूर्ण और गंधक रसायन के साथ लेने से गले की खराश में तुरंत राहत मिलती है।
5) मुंह के छालों के लिए खदिरादि वटी के फायदे – (Khadiradi Vati Benefits For Mouth Sores in Hindi)
स्टोमेटाइटिस (stomatitis) (आयुर्वेद में इसे मुखपाक के नाम से जाना जाता है) मौखिक गुहा की एक आम तौर पर होने वाली बीमारी है। यह होंठ, मसूड़े, तालू और गालों के अंदरूनी हिस्से को प्रभावित कर सकती है।
अपने एंटीसेप्टिक, सूजन-रोधी और स्तंभक (astringent) गुणों के कारण, खदिरादि वटी मुखपाक या स्टोमेटाइटिस अल्सर (stomatitis ulcers) के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकती है (4)।
यह वटी मुंह के छालों से जुड़ी जलन और दर्द, तथा श्लेष्मा झिल्ली की सूजन (inflammation of mucus membranes) को कम करके स्टोमेटाइटिस में राहत प्रदान करती है।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए इस वटी के साथ मुलेठी (यष्टिमधु) का भी उपयोग किया जा सकता है।
6) लैरींगाइटिस (आवाज़ का ख़राब होना या गला बैठना) में खदिरादि वटी के फायदे – (Benefits of Khadiradi Vati in Laryngitis in Hindi)
खदिरादि वटी जिसमें शांतिदायक (soothing) और सूजन-रोधी गुण हैं, स्वरयंत्र (या वॉयस बॉक्स) की सूजन को कम करने में मदद करती है। स्वरयंत्र की जलन और सूजन को कम करके, यह वटी “आवाज या गला बैठना” में फायदा करती है और आवाज के स्पष्ट होने में मदद करती है।
शीघ्र राहत के लिए शहद के साथ सितोपलादि चूर्ण का उपयोग खादिरादि वटी के साथ किया जा सकता है।
7) मसूड़ों के रोगों के लिए खदिरादि वटी के फायदे – (Khadiradi Vati Benefits For Gum Diseases in Hindi)
खदिरादि वटी मसूड़ों की बीमारियों के इलाज के लिए प्रभावी उपचारों में से एक है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो पेरियोडोंटाइटिस (periodontitis) से राहत दिलाने में सहायक होते हैं।
क्रोनिक पेरियोडोंटाइटिस (chronic periodontitis) के उपचार में इस वटी को क्लोरहेक्सिडिन chlorhexidine से बेहतर और दशनसंस्कार चूर्ण के बराबर पाया गया (5)।
खदिरादि वटी के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects of Khadiradi Vati in Hindi?)
खदिरादि वटी से कोई गंभीर नुकसान (दुष्प्रभाव) नहीं होता है। निर्धारित खुराक में लेने पर यह वटी आम तौर पर सुरक्षित होती है।
उच्च खुराक में खदिरादि वटी के नुकसान – (Side Effects of Khadiradi Vati in High Doses in Hindi)
लेकिन उच्च खुराक में सेवन करने पर यह वटी शरीर पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
इस वटी में कपूर की मात्रा होती है और अधिक मात्रा में कपूर का सेवन करने से कुछ प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। इसकी 250 मिलीग्राम की एक गोली में 31.25 मिलीग्राम या अधिक कपूर हो सकता है (तैयार करने की विधि और उपयोग की गई सामग्री के अनुसार)। इसके गंभीर प्रतिकूल प्रभाव तब दिखाई देते हैं जब कपूर की कुल दैनिक खुराक 750 मिलीग्राम प्रति दिन से अधिक होती है।
आम तौर पर कपूर की उच्च खुराक के साथ निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
- जी मिचलाना (nausea)
- पेशाब में जलन होना (dysuria)
- चक्कर आना (vertigo)
- बेचैनी होना (restlessness)
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि अधिक मात्रा में कपूर का सेवन दौरे (seizures) का कारण भी बन सकता है।
इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत खदिरादि वटी लेना बंद कर देना चाहिए और तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
खदिरादि वटी का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां – (Precautions to be Taken While Consuming Khadiradi Vati in Hindi)
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इसके उपयोग के बारे में सुझाव देने के लिए पर्याप्त प्रमाण (evidence) उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान खादिरादि वटी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
- बच्चों में इस आयुर्वेदिक वटी का उपयोग आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए, क्योंकि बच्चों में इसके उपयोग के बारे में कोई सुरक्षा अध्ययन नहीं हैं।
- खदिरादि वटी में कपूर की मात्रा अधिक होने के कारण इसका उपयोग लगातार 7 दिनों से अधिक नहीं करना चाहिए
- इस वटी (टैबलेट) को कमरे के सामान्य तापमान पर, सीधी धूप और गर्मी से बचाकर रखा जाना चाहिए।
एलोपैथिक दवाओं के साथ खदिरादि वटी का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां – (Precautions to be Taken While Consuming Khadiradi Vati with Allopathic medicines in Hindi)
यदि आप पहले से ही कोई एलोपैथिक दवा ले रहे हैं तो खदिरादि वटी का उपयोग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें, क्योंकि इस वटी में मौजूद कुछ तत्व एलोपैथिक दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
यदि आपको एक ही अवधि के दौरान खदिरादि वटी और एलोपैथिक दवा दोनों लेने के लिए डॉक्टर द्वारा कहा गया है, तो अपने डॉक्टर के सुझाव के अनुसार दवाओं का सेवन करें या दोनों दवाओं के सेवन के बीच 30 मिनट का अंतर रखें।
यह हमेशा बेहतर होता है कि पहले एलोपैथिक दवा लें, फिर अनुशंसित अंतराल के बाद खदिरादि वटी को चूसें या निगल लें।
खदिरादि वटी की अनुशंसित खुराक क्या है? – (What is The Recommended Dosage of Khadiradi Vati in Hindi?)
खदिरादि वटी गोली (या टेबलेट) के रूप में उपलब्ध है।
खदिरादि वटी की सटीक खुराक कुछ स्थितियों के आधार पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। अपने लिए आदर्श खुराक जानने के लिए आपको किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
अगर हम इस वटी की सामान्य खुराक के बारे में बात करें, तो वयस्क 1 गोली दिन में 4 से 6 बार ले सकते हैं, जबकि बच्चे 1 गोली दिन में दो या तीन बार ले सकते हैं।
आप इस गोली को पानी निगल सकते हैं या शहद के साथ चूस सकते हैं। इस वटी (टैबलेट) का सेवन भोजन से पहले या बाद में किया जा सकता है।
यहां इस लेख में आपने खदिरादि वटी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की। यह एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जिसके स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे लाभ हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर इस दवा के उपयोग से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इस टैबलेट का उपयोग करने से पहले हमेशा किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
खदिरादि वटी को और किस-किस नाम से जाना जाता है? – (By what other names is Khadiradi Vati known in Hindi?)
इस वटी को खदिरादि गुटिका और खदिरादि टैबलेट के नाम से भी जाना जाता है।
क्या खदिरादि वटी बच्चों के लिए सुरक्षित है? – (Is Khadiradi Vati safe for children in Hindi?)
बच्चों में इसके उपयोग के बारे में कोई सुरक्षा अध्ययन नहीं हैं, इसलिए बच्चों में इसका उपयोग डॉक्टर से परामर्श के बाद ही किया जाना चाहिए।
खदिरादि वटी का त्रिदोष पर क्या प्रभाव होता है? – (What is the effect of Khadiradi Vati on Tridosha in Hindi?)
यह वटी त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है।
खदिरादि वटी का उपयोग किस लिए किया जाता है? – (What is Khadiradi Vati used for in Hindi?)
खदिरादि वटी का उपयोग निम्न के लिए किया जाता है (1):
- गले में खराश (sore throat)
- स्टोमेटाइटिस (stomatitis)
- मुंह के छाले (mouth ulcers)
- टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis)
- मसूड़ों, दांतों और जीभ के विभिन्न रोग (various diseases of gums, teeth, and tongue)
क्या खदिरादि वटी खांसी के लिए अच्छी है?- ( Is Khadiradi Vati good for cough in Hindi?)
इसके कफ-संतुलन गुण के कारण खदिरादि वटी को चूसने से खांसी में फायदा हो सकता है। यह खांसी को नियंत्रित करने, बलगम को बाहर निकालने और वायुमार्ग (air passages) को साफ करने में मदद करता है, और परिणामस्वरूप सांस लेने की स्थिति (breathing condition) बेहतर होती है।
क्या खदिरादि वटी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित है? – (Is Khadiradi Vati safe for pregnant and breastfeeding women in Hindi?)
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान खादिरादि वटी के उपयोग के बारे में सुझाव देने के लिए पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस वटी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
संदर्भ (References):
1) Formulation and standardization of Khadiradi vati and comparative study with marketed formulation
https://www.phytojournal.com/archives/2019/vol8issue3/PartAE/8-2-491-350.pdf
2) Ardra-Kasa (Cough with expectoration)
https://www.nhp.gov.in/ardra-kasacough-with-expectoration_mtl
3) Ayurveda Treatment Protocol in the Management of Galagraha (Pharyngitis)- A Case Study http://www.ayurvedjournal.com/JAHM_202062_08.pdf
4) A CLINICAL CASE STUDY- ROLE OF TRIPHALA CHURNA PRATISARANA AND KHADIRADI VATI IN THE MANAGEMENT OF MUKHAPAKA WITH SPECIAL REFERENCE TO STOMATITIS
https://wjpr.s3.ap-south-1.amazonaws.com/article_issue/1599122413.pdf
5) Efficacy of Ayurvedic drugs as compared to chlorhexidine in management of chronic periodontitis: A randomized controlled clinical study
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5855265/
6) Khadiradi Vati (Gutika): Uses, Benefits, & Side Effects
7) भेषज रतनावली, गुल्म रोगाधिकार, अष्टांग हृदय
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|
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3) चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान – Chandraprabha Vati in Hindi
4) अग्नितुंडी वटी के फायदे और नुकसान Agnitundi Vati Uses in Hindi
5) चित्रकादि वटी के फायदे और नुकसान – Chitrakadi Vati Uses in Hindi
6) लवंगादि वटी के फायदे – Lavangadi Vati Benefits in Hindi