संजीवनी वटी के फायदे, उपयोग, घटक द्रव्य, खुराक, और नुकसान

इस लेख में मैं एक बहुत ही लाभकारी आयुर्वेदिक औषधि, जिसे संजीवानी वटी कहा जाता है, के बारे में आवश्यक जानकारी दूंगा। यहाँ मैं संजीवनी वटी के उपयोग, लाभ, हानि, घटक द्रव्य, इसकी अनुशंसित खुराक, और इसके औषधीय गुणों आदि के बारे में आपको विस्तार से बताने जा रहा हूँ।

Table of Contents

संजीवनी वटी क्या है? – (What is Sanjivani (or Sanjeevani) Vati in hindi?)

संजीवानी वटी एक आयुर्वेदिक हर्बल दवा है जिसका उपयोग प्राचीन काल से बुखार का इलाज करने और आम दोष को खत्म करने के लिए किया जाता है।

इस वटी के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य नाम निम्नलिखित हैं:

  • संजीवनी टैबलेट
  • संजीवनी गुटिका
  • अमृत संजीवानी

गोमूत्र के साथ शुण्ठी, विडंग, हरीतकी, पिप्पली, बिभीतक, वाच, आमलकी, गुडुची, शुद्ध वत्सनाभ और शुद्ध भल्लातक जैसी दस सामग्रियों को मिलाकर संजीवनी वटी का निर्माण किया जाता है।

इस वटी में डायफोरेटिक (diaphoretic) और ज्वरनाशक (antipyretic) गुण होते हैं, जो पसीना आने की प्रक्रिया को उत्तेजित करके और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर बुखार को कम करने में मदद करते हैं। इसमें रोगाणुरोधी (antimicrobial) और एंटी-वायरल (anti-viral) गुण भी होते हैं जो बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, इस टैबलेट में जवरनाशक गुण होता है जो बुखार को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें पाचन और दीपन (भूख बढ़ाने वाला) गुण भी होते हैं, जो पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद करते हैं और अपच के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं।

आम (या विषाक्त पदार्थ) शरीर में जमा हो जाता है, जो शरीर के स्रोतों में रुकावट उत्पन्न करता है और इस तरह ऑटोइम्यून विकारों (जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, सारकॉइडोसिस), अवरुद्ध धमनियों और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। संजीवनी वटी निम्न 2 तरह से इन स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद करती है:

1) पाचक-अग्नि (इसके पाचन और दीपन गुणों के कारण) को प्रज्वलित करके और

2) शरीर से आम (विषाक्त पदार्थों) को निकालने के लिए जिगर (लीवर) की सहायता करके

इसका कफ को संतुलित करने वाला गुण (Kapha balancing property) खांसी को नियंत्रित करने, बलगम को बाहर निकालने, श्वसन मार्ग को साफ करने; और इस प्रकार व्यक्ति को आसानी से सांस लेने में मदद करता है।

संजीवनी वटी आहार नली (alimentary canal) और श्वसन तंत्र से संबंधित संक्रमणों, तथा जोड़ों के सूजन संबंधी विकारों के उपचार में अत्यधिक लाभकारी है (2)। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी सहायक है (3)।

संजीवनी वटी के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (Composition) of Sanjeevani Vati in hindi?)

संजीवनी वटी 10 औषधीय जड़ी बूटियों से बनी है। आइए यहाँ जानते हैं कि इस आयुर्वेदिक वटी को बनाने के लिए किन घटक द्रव्यों (सामग्री) का उपयोग किया जाता है।

घटक द्रव्य का सामान्य नामलैटिन या वैज्ञानिक नाममात्रा
शुद्ध वत्सनाभAconitum ferox (Purified)1 भाग
शुद्ध भल्लातकSemecarpus anacardium (Purified)1 भाग
गिलोय (गुडूची)Tinospora cordifolia1 भाग
वचAcorus calamus1 भाग
आंवला (आमलकी या आमला)Emblica officinalis1 भाग
बिभीतक (बहेड़ा)Terminalia bellirica1 भाग
हरीतकी (हरड़)Terminalia chebula1 भाग
पिप्पलीPiper longum1 भाग
सोंठ (शुण्ठी)Zingiber officinale1 भाग
वायविडंग (विडंग)Embelia ribes1 भाग
गोमूत्र (गाय का मूत्र)मात्रा पर्याप्त

संजीवनी वटी के आयुर्वेद के अनुसार क्या कर्म (क्रियाएं) हैं? – (What Are the Actions (Karma) of Sanjivani Vati According to Ayurveda in hindi?)

आयुर्वेद के अनुसार संजीवनी वटी के निम्नलिखित कर्म (अथवा क्रियाएं) हैं:

  • पाचन
  • दीपन (क्षुधावर्धक)
  • ज्वरनाशक (ज्वरघ्न)
  • कृमिघ्न (कृमिनाशक)
  • विषनाशक
  • वातहार (वात दोष को शांत करने वाला)
  • कफहर (कफ दोष को शांत करने वाला)
  • आमपाचन (आम दोष उन्मूलन या विष पाचक)

संजीवनी वटी किन शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके चिकित्सीय संकेत क्या हैं? – (What Are The Therapeutic Indications of Sanjivani Vati in hindi?)

वात और कफ संबंधी विकारों के इलाज में संजीवनी वटी (गुटिका) सहायक है। यह हर्बल आयुर्वेदिक वटी चेहरे की मांसपेशियों के दर्द के साथ-साथ आंखों में जलन को कम करने में मददगार है। यह इन्फ्लूएंजा (फ्लू) से संबंधित लक्षणों जैसे बुखार, ठंड लगना, उल्टी, सिरदर्द, नाक बंद होना, आंखों से पानी आना, और खांसी आदि में राहत देता है।

संजीवनी वटी निम्नलिखित शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके निम्नलिखित चिकित्सीय संकेत हैं:

  • विसूची (Gastro-enteritis with piercing pain),
  • आम दोष
  • हैज़ा (cholera in hindi)
  • मतली और उल्टी
  • पेट में दर्द
  • सर्पदंश (सर्पदंश)
  • आंत के कीड़े
  • बुखार
  • बलगम वाली खांसी
  • अपच (dyspepsia in hindi)

संजीवनी वटी के औषधीय गुण क्या हैं? – (What Are The Medicinal Properties of Sanjeevani Vati in hindi?)

संजीवनी वटी आम दोष (विषाक्त पदार्थों) को कम करने, तथा वात दोष और कफ दोष को शांत करने में उपयोगी है। इस वटी के औषधीय उपयोग निम्नलिखित औषधीय गुणों के कारण होते हैं:

  • आम दोष पाचक (Ama Dosha Eliminator)
  • कासरोधक (antitussive)
  • रोगाणुरोधी (antimicrobial)
  • जीवाणुरोधी (antibacterial)
  • एंटी वाइरल (anti-viral)
  • विषनाशक (antivenin)
  • एंटीटॉक्सिक (anti-toxic)

संजीवनी वटी के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are the Benefits & Uses of Sanjivani (Sanjeevani) Vati in hindi?)

यह वटी विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोगी और फायदेमंद है। यहां, हम संजीवनी वटी (गुटिका) के 6 प्रमुख उपयोग और फायदों पर चर्चा करेंगे। य़े हैं:

1) पुराने बुखार के लिए संजीवनी वटी के फायदे – (Sanjivani Vati Benefits for Chronic Fever in hindi)

10 से 14 दिनों से अधिक समय तक रहने वाले बुखार को पुराना बुखार कहते हैं। ये बुखार हल्के संक्रमण या पुरानी स्वास्थ्य स्थिति के कारण हो सकता है। संजीवनी वटी में डायफोरेटिक (पसीना आने की प्रक्रिया को प्रेरित करना) प्रभाव होता है जो बुखार के चक्र (fever cycle) को तोड़ता है और शरीर के तापमान में वृद्धि को रोकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, आम दोष (अनुचित पाचन के कारण विषाक्त पदार्थ) भी बुखार का कारण बन सकता है। अपने ज्वरघ्न (antipyretic) गुण के कारण, यह वटी बुखार को कम करने में सहायक है। इसके पाचन और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुण आम को बनने से रोककर बुखार को कम करने में भी मदद करते हैं।

2) अपच के लिए संजीवनी वटी के फायदे – (Sanjeevani Vati Benefits for Indigestion in hindi)

अपच के कारण आपके ऊपरी पेट में दर्द या बेचैनी की अनुभूति और पेट फूलना आदि हो सकते हैं। यह विभिन्न पाचन तंत्र संबंधी रोगों का लक्षण भी हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, अपच को अग्निमान्ध्य कहा जाता है, और यह पित्त दोष असंतुलन के कारण होता है। इसके असंतुलन से पाचक अग्नि मंद हो जाती है, और जब मंद-अग्नि के कारण खाया हुआ भोजन अच्छे से नहीं पचता, तो यह आम (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ) का निर्माण करता है।

संजीवनी वटी अपच से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए अत्यधिक लाभकारी औषधि है। इसके दीपन और पाचन गुणों के कारण यह आम को पचाने में मदद करती है, जो अपच का इलाज करने में फायदेमंद होता है।

3) संजीवनी वटी सांप के काटने को ठीक करने में मदद करती है – (Sanjivani Vati Helps to Heal Snake Bite in hindi)

संजीवनी वटी विभिन्न जानवरों और कीड़ों के काटने के इलाज के लिए एक प्रभावी उपाय है। लेकिन मुख्य रूप से यह सांप के काटने को ठीक करने के लिए जानी जाती है। यह वटी (टेबलेट) अपने विषनाशक (antivenin) गुणों के कारण सांप के जहर से जुड़े लक्षणों और जोखिमों को कम करने में मददगार है। इसके अलावा, यह तेजी से स्वास्थ्यलाभ में भी मदद करती है।

4) डायरिया के इलाज में फायदेमंद है संजीवनी वटी – (Sanjeevani Vati is Beneficial in the Treatment of Diarrhoea in hindi)

जिस स्थिति में एक व्यक्ति को दिन में तीन बार से अधिक बार पानी जैसा मल आता है, उसे डायरिया (अतिसार) कहा जाता है। यह आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के सेवन से, तनाव और विषाक्त पदार्थों के कारण होता है।

आयुर्वेद के अनुसार बढ़ा हुआ वात विभिन्न ऊतकों से आंत में तरल पदार्थ लाता है और उन्हें मल के साथ मिलाता है, जिससे दस्त (diarrhea in hindi) होता है। संजीवनी वटी वात दोष को संतुलित करके और आम (विषाक्त पदार्थों) को पचाने में मदद करके दस्त (डायरिया) को रोकने में मदद करती है

5) टाइफाइड बुखार के लिए संजीवनी वटी के फायदे – (Sanjeevani Vati Benefits for Typhoid Fever in hindi)

इस वटी में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, जीवाणुरोधी और ज्वरनाशक गुण होते हैं जो टाइफाइड बुखार के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

टाइफाइड बुखार (आन्त्रिक ज्वर) से पीड़ित लगभग 5 से 10 प्रतिशत लोगों को एलोपैथिक दवा से प्रारंभिक उपचार के बाद, यह बुखार फिर से हो जाता है। यदि तुलसी चूर्ण और प्रवाल पिष्टी के साथ दिन में दो बार लगभग 45 दिनों तक संजीवनी वटी का सेवन किया जाए तो टाइफाइड बुखार को दोबारा होने से रोका जा सकता है

6) रूमेटाइड अर्थराइटिस (आमवात) के लिए संजीवनी वटी के लाभ – (Sanjivani Vati Benefits for Rheumatoid arthritis (RA) in hindi)

आयुर्वेद में रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) को आमवात कहा जाता है, और यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में आम (अनुचित पाचन के कारण विषाक्त पदार्थ) का संचय और वात दोष की गड़बड़ी होती है।

संजीवनी वटी अपने दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पाचन गुणों के कारण आम को कम करने में और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है। इस प्रकार, यह आमवात के लक्षणों जैसे सूजन, जोड़ों में दर्द आदि में राहत प्रदान करती है।

संजीवनी वटी के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects of Sanjivani Vati in hindi?)

संजीवनी वटी एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो पित्त दोष को बढ़ा सकती है। इसलिए बढ़े हुए पित्त दोष वाले व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे उनको कुछ नुकसान (दुष्प्रभाव) हो सकते हैं, जैसे:

  • पेट में जलन (heartburn)
  • सूखी खाँसी (dry cough)
  • अम्ल प्रतिवाह (एसिड रिफ्लक्स – acid reflux)

संजीवनी वटी का सेवन करते समय सावधानियां – (Precautions While Taking Sanjivani Vati in hindi)

गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान संजीवनी वटी के उपयोग का सुझाव देने के लिए पर्याप्त प्रमाण (या रिसर्च) उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस टैबलेट का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

उच्चरक्तचापरोधी दवा (anti-hypertensive medication) लेने वाले मरीजों को भी संजीवनी वटी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

संजीवनी वटी का सेवन किसे नहीं करना चाहिए? – (Who should not consume Sanjeevani Vati  in hindi?)

जो व्यक्ति निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में से किसी एक या अधिक से ग्रसित हों, उन्हें संजीवनी वटी का सेवन नहीं करना चाहिए:

  • दिल के रोग
  • निम्न रक्तचाप (हाइपोटेंशन – hypotension)
  • कम हृदय गति (ब्रैडीकार्डिया – bradycardia)
  • सूखी खाँसी
  • अम्ल प्रतिवाह (एसिड रिफ्लक्स – acid reflux)
  • बढ़ा हुआ पित्त दोष

संजीवनी वटी की चिकित्सीय खुराक क्या है? – (What is The Therapeutic Dosage of Sanjivani Vati in hindi?)

स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और दोष के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए संजीवनी वटी की अलग-अलग चिकित्सीय खुराक हो सकती है। अतः इसका सेवन करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें, क्योंकि वह आपकी चिकित्सीय स्थिति की जांच करेगा और आपको सही खुराक बताएगा।

विभिन्न आयु समूहों के लिए संजीवनी वटी (125 मिलीग्राम टैबलेट) की खुराक मैं आपको आगे बता रहा हूँ:

वयस्क: 1 से 3 गोलियां (अर्थात एक दिन में 125 से 375 मिलीग्राम)

बच्चे: शरीर के वजन के हिसाब से (2 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन का)

बुजुर्ग: एक दिन में 1 गोली

संजीवनी वटी की अधिकतम संभव खुराक प्रति दिन 750 मिलीग्राम है।

इस टैबलेट को 1 से 2 महीने की समयावधि के लिए या आपके डॉक्टर द्वारा अनुशंसित समयावधि के लिए लिया जा सकता है।

यहाँ इस लेख में मैंने आपको संजीवनी वटी के बारे में हर आवश्यक जानकारी दी है। आशा करता हूँ कि यह लेख आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। इस वटी की खुराक या इसके सेवन से संबंधित यदि आपको कोई भी संदेह होता है, तो मैं आपको इस टेबलेट के सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह देता हूं।

संजीवनी वटी के बारे में अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

संजीवनी वटी कैसे लें?

इस वटी को भोजन के बाद दिन में दो या तीन बार पानी के साथ लिया जाना चाहिए।

मैं कितने समय तक संजीवनी वटी ले सकता हूं?

आप इसे 1-2 महीने की समयावधि तक या आपने डॉक्टर के निर्देशानुसार ले सकते हैं।

संजीवनी वटी का त्रिदोष पर क्या प्रभाव पड़ता है?

यह वात और कफ दोष को शांत करती है और पित्त दोष को बढाती है।

क्या संजीवनी वटी के कारण उनींदापन (drowsiness) होता है?

नहीं, इससे चक्कर या उनींदापन (drowsiness) नहीं होता है।

मुझे संजीवनी वटी कब लेनी चाहिए?

आमतौर पर इस टैबलेट को भोजन के बाद दिन में दो से तीन बार लेने की सलाह दी जाती है।

क्या संजीवनी वटी बुजुर्गों और बच्चों को दी जा सकती है?

संजीवनी वटी बुजुर्गों और बच्चों दोनों को लाभ पहुंचा सकती है; लेकिन किसी भी दुष्प्रभाव या नुकसान से बचने के लिए इसे बुजुर्गों और बच्चों को देने से पहले आपको डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।



संदर्भ (References):

1) Sharangdhar Samhita

2) A Scientific Review on Sanjivani Vati with special reference to its Pharmacological Actions, Therapeutic Indications and Pharmaceutics

https://www.researchgate.net/publication/330245240_A_Scientific_Review_on_Sanjivani_Vati_with_special_reference_to_its_Pharmacological_Actions_Therapeutic_Indications_and_Pharmaceutics

3) COVID-19 pandemic: A pragmatic plan for ayurveda intervention

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7177084/


अस्वीकरण (DISCLAIMER):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय / नुस्खे / दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|


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