इस लेख में आपको आरोग्यवर्धिनी वटी के उपयोग, लाभ, घटक द्रव्य (सामग्री), नुकसान (दुष्प्रभाव) और चिकित्सीय खुराक के बारे में समग्र ज्ञान प्राप्त होगा।
Table of Contents
आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? – (What is Arogyavardhini Vati in Hindi?)
आरोग्यवर्धिनी वटी को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे:
- आरोग्यवर्धिनी गुटिका
- आरोग्यवर्धिनी रस
- सर्वरोगहर वटी
- आरोग्यवर्धिनी टैबलेट
- सर्वरोग प्रशमणि
- आरोग्यवर्धिनी गुटिका रस
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग हृदय, दांत, मसूड़े, त्वचा, पित्ताशय, यकृत (लीवर), आंत और पेट से संबंधित असंख्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
“आरोग्यवर्धिनी” का शाब्दिक अर्थ ‘अच्छे स्वास्थ्य में सुधार लाने वाला’ है, जिसमें आरोग्य का अर्थ ‘अच्छा स्वास्थ्य’ है और वर्धनी का अर्थ ‘सुधारने वाला’ है, अर्थात यह औषधि अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने या सुधारने के लिए प्रभावी है। इसे सर्वरोग प्रशमनी के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘सभी प्रकार के रोगों का शमन करने वाली’।
इस औषधि के 13 घटक द्रव्य होते हैं, जिनमें प्रसंस्कृत (processed) धातुएं और खनिज, पौधों के अर्क आदि शामिल हैं। इन घटक द्रव्यों (सामग्रियों) में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह वटी तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करती है। अपने दीपन और पाचन गुणों के कारण यह वटी पाचन से संबधित समस्याओं का इलाज करने में मदद करती है। और अपनी शोधन (विषहरण) प्रकृति के कारण, यह चयापचय (metabolism) में सुधार करने और शरीर से अपशिष्ट उत्पादों (waste products) को बाहर निकालने में भी मदद करती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी का आयुर्वेद के ग्रंथों में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है। पित्त को संतुलित करने के गुण के कारण इस वटी का व्यापक रूप से त्वचा विकारों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है (1)। रसरत्नसमुच्चय (एक आयुर्वेदिक ग्रंथ) में कुष्ठ रोग के उपचार के लिए और भैषज्यरत्नावली (आयुर्वेदिक ग्रंथ) में यकृत विकारों के उपचार के लिए भी इसके सेवन की पुरजोर वकालत की गई है।
इस आयुर्वेदिक औषधि को बनाने का श्रेय आचार्य नागार्जुन को जाता है।
हालांकि, आपको आरोग्यवर्धिनी गुटिका लेने से पहले हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक का ही सेवन करना चाहिए। इस वटी के निर्माण में पारा, सीसा आदि का घटक द्रव्य के रूप में उपयोग होने के कारण इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
संवेदनशील जनसंख्या समूह (sensitive population groups) जैसे बच्चे, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताएं और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति वाले लोगों को आरोग्यवर्धिनी गुटिका (वटी) के सेवन से बचना चाहिए।
आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (or Composition) of Arogyavardhini Vati in Hindi?)
आइए आगे इस लेख में यह जानते हैं कि आरोग्यवर्धिनी वटी को बनाने के लिए कौन-से घटक द्रव्यों (सामग्री) का उपयोग किया जाता है (4):
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक नाम | घटक द्रव्य का भाग अथवा प्रकार | घटक द्रव्य की मात्रा/अनुपात |
नीम | Azadirachta indica | नीम की पत्ती का स्वरस | आवश्यकता के अनुसार |
ताम्र भस्म | Copper | तांबे से तैयार की गई भस्म | 1 भाग |
अभ्रक भस्म | Mica | शुद्ध और संसाधित अभ्रक | 1 भाग |
लौह भस्म | Iron | आयरन (लौह) से तैयार की गई भस्म | 1 भाग |
शुद्ध गंधक | Sulphur | हर्बल शुद्ध गंधक | 1 भाग |
शुद्ध पारद | Mercury | हर्बल शुद्ध पारद (पारा) | 1 भाग |
कुटकी | Picrorhiza kurroa | पौधे के सूखे प्रकंद | 22 भाग |
चित्रक (चित्रकमूल) | Plumbago zeylanica | पौधे की सूखी जड़ | 4 भाग |
शुद्ध गुग्गुलु | Commiphora mukul | गुग्गुल निर्यास | 4 भाग |
शुद्ध शिलाजीत | Asphaltum | शुद्ध शिलाजीत | 3 भाग |
आमलकी | Emblica officinalis | सूखे फल का छिलका | 2 भाग |
बिभीतकी | Terminalia bellerica | सूखे फल का छिलका | 2 भाग |
हरीतकी | Terminalia chebula | सूखे फल का छिलका | 2 भाग |
ऊपर बताये गए सभी घटक द्रव्यों को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लिया जाता है, जो स्वाद में कड़वा और रंग में काला होता है (2)।
आरोग्यवर्धिनी वटी का पौषणिक मूल्य – (Nutritional Value of Arogyavardhini Vati in hindi)
इस आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन (Ayurvedic formulation) में निम्नलिखित पोषक तत्व शामिल हैं (4):
- अमीनो एसिड्स (Amino acids)
- स्टार्च (Starch)
- सैपोनिन्स (Saponins)
- स्टेरॉयड (Steroids)
- फ्लेवोनॉयड्स (Flavonoids)
- कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)
- प्रोटीन (Protein)
- फिनोल (Phenols)
- टैनिन (Tannins)
- अल्कलॉइड्स (Alkaloids)
- ग्लाइकोसाइड (Glycosides)
आरोग्यवर्धिनी वटी के औषधीय गुण क्या हैं? – (What Are The Medicinal Properties of Arogyavardhini Vati in Hindi?)
इस वटी के औषधीय गुणों में निम्नलिखित गुण शामिल हैं:
- हेपेटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective – liver protective)
- एंटीहाइपरलिपिडेमिक (Antihyperlipidemic – रक्त में लिपिड के स्तर को कम करने में मदद करता है)
- सूजनरोधी (Anti-inflammatory)
- खुजली नाशक (Antipruritics)
- मोटापा रोधी (Anti-obesity)
- क्षुधावर्धक (Appetizer)
- पाचन उत्तेजक (Digestive Stimulant
- हल्का रेचक (Mild laxative)
आरोग्यवर्धिनी वटी किन शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके चिकित्सीय संकेत क्या हैं? – (What Are The Therapeutic Indications of Arogyavardhini Vati in hindi?)
आयुर्वेदिक डॉक्टर निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी की सलाह देते हैं (2, 4):
- बुखार (Fever)
- मोटापा (Obesity)
- अपच (Indigestion)
- गैस बनना (Gas or flatulence)
- धमनीकाठिन्य (atherosclerosis)
- संक्रामक रोग (Infectious diseases)
- पायरिया (Pyorrhea)
- हेपेटाइटिस (Hepatitis)
- पित्ताशय की सूजन (कोलेसिस्टिटिस – cholecystitis)
- पित्ताशय की पथरी (कोलेलिथियसिस – cholelithiasis)
- अल्कोहल लिवर रोग (Alcoholic Liver Disease)
- त्वचा रोग जैसे मुँहासे, एक्जिमा, आदि (Skin diseases such as acne, eczema, etc.)
- इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS)
- उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर (High cholesterol levels)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and Uses of Arogyavardhini Vati in hindi?)
जब आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदों और उपयोग की बात आती है, तो सूची बहुत लंबी है। यह वटी वात, पित्त और कफ नामक त्रिदोषों को संतुलित करने के लिए प्रभावी है।
चिकित्सीय रूप से प्रभावी अवयवों से बना होने के कारण, इस वटी का असंख्य बीमारियों में उपयोग किया जाता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी के 10 महत्वपूर्ण फायदे और उपयोग इस प्रकार हैं:
1) यकृत विकार और हेपेटाइटिस के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Liver Disorders & Hepatitis in hindi)
इस आयुर्वेदिक औषधि के एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इसे लगभग सभी प्रकार के लीवर विकारों में प्रभावी बनाने में मदद करते हैं, जैसे:
- पीलिया (Jaundice)
- अल्कोहलिक हेपेटाइटिस (Alcoholic hepatitis)
- वायरल हेपेटाइटिस (Viral hepatitis)
- फैटी लिवर सिंड्रोम (Fatty liver Syndrome)
- जिगर की सूजन संबंधी बीमारियां (Inflammatory diseases of liver)
आरोग्यवर्धिनी वटी की पित्तरेचक प्रकृति (cholagogue nature) लिवर से छोटी आंत में पित्त स्राव को उत्तेजित करती है। यह पाचन तंत्र द्वारा पित्त को अवशोषित करने से पहले शरीर से अत्यधिक पित्त को छानने में भी मदद करता है। इससे यकृत (लिवर) और प्लीहा विकार होने की संभावना भी कम हो जाती है।
2) वजन घटाने के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Weight Loss in hindi)
मोटापा मुख्य रूप से या तो शारीरिक गतिविधियों की कमी या गलत खान-पान के कारण होता है। इस स्थिति में अपच के कारण आम (अनुचित पाचन के कारण विषाक्त अवशेष) का संचय होता है, जिससे मेद धातु का असंतुलन हो जाता है। आरोग्यवर्धिनी वटी अपने पाचन और दीपन (क्षुधावर्धक) गुणों के कारण आम को कम करके वजन कम करने में मदद करती है।
अपनी शोधन (विषहरण) प्रकृति के कारण, यह वटी शरीर से अपशिष्ट उत्पादों (waste products) को खत्म करने में भी सहायता करती है (1)।
आरोग्यवर्धिनी वटी भूख को कम करने और शरीर के चयापचय में सुधार करने में मदद करती है। इस प्रकार, यह वजन कम करने में मदद करती है।
अतः इस वटी का नियमित सेवन मोटापे के प्रबंधन के लिए किया जाता है; क्योंकि यह कुछ अवांछित पाउंड (वजन) को कम करने में मदद करती है।
3) पाचन के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Digestion in Hindi)
जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे अनियमित मल त्याग और अपच आदि की समस्या है, उन्हें आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से राहत मिल सकती है। इस वटी के कृमिनाशक और रेचक गुण पाचन संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। यह शरीर की पाचन क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ पेचिश और दस्त (डायरिया) को ठीक करने में मदद करती है। इस वटी में मौजूद तत्व (जैसे कुटकी और पिप्पली) भी पाचन और भूख में सुधार करने में भी मदद करते हैं (2)।
इस वटी का गैस को कम करने वाला अथवा आध्यमान में आराम पहुंचाने वाला (anti-flatulent) गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में गैस के निर्माण को कम करने में मदद करता है, इस प्रकार यह आध्यमान, पेट का फूलना आदि को कम करती है।
4) हृदय रोगों के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Heart Diseases in hindi)
आरोग्यवर्धिनी वटी हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाकर हृदय से संबंधित रोगों के इलाज में फायदेमंद साबित होती है (2)।
अध्ययनों में इस वटी ने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और रक्त में एचडीएल के स्तर को बढ़ाने में भी अपनी प्रभावशीलता दिखाई है (3)।
5) कब्ज के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Constipation in hindi)
कब्ज वह स्थिति है जब व्यक्ति को पूरी तरह से मल त्याग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है या मल त्याग के समय कठोर और सूखा मल निकलता है।
आरोग्यवर्धिनी वटी में रेचक गुण होता है, जो मल को नरम करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
वैसे तो यह वटी सभी प्रकार की कब्ज में उपयोगी है, लेकिन जीर्ण प्रकार की कब्ज (chronic constipation) में यह विशेष लाभकारी है। निम्नलिखित क्रियाओं से यह पुरानी कब्ज में राहत देती है:
इसमें शिलाजीत जैसे बायोएक्टिव खनिज होते हैं जो आंतों की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं।
यह यकृत से पित्त स्राव को प्रोत्साहित करती है, और पित्त क्रमाकुंचन (peristalsis) में सुधार करता है; और क्रमाकुंचन (peristalsis) शरीर से मल का बाहर निकलना आसान करता है।
यह वटी मल को नरम बनाती है और मल की अत्यधिक चिपचिपाहट को कम करती है।
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के बढ़ने से कब्ज होती है। निम्नलिखित कुछ कारक हैं जो आंत में वात दोष को बढ़ाते हैं और कब्ज पैदा करते हैं:
- कॉफी या चाय का अत्यधिक सेवन
- देर रात तक जागना
- जंक फूड्स (junk foods) का सेवन करना
- उच्च तनाव का होना
अपने वात संतुलन और रेचक गुणों के कारण यह वटी कब्ज को ठीक करने में मदद करती है (1)।
6) उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits For High Cholesterol in Hindi)
रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल (high cholesterol) के स्तर के कारण बहुत सारे हृदय रोग होते हैं। यह वटी एक शक्तिशाली कार्डियक-टॉनिक के रूप में कार्य करती है। यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) के स्तर को काफी कम कर देती है। इसके अलावा, यह धमनीकलाकाठिन्य (एथेरोस्क्लेरोसिस – atherosclerosis) के गठन को रोकता है और साथ ही रक्त वाहिकाओं में प्लाक (plaque) के जमाव को भी रोकने में मदद करता है, जिससे दिल के दौरे (heart attacks) और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
7) उच्च रक्तचाप के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits For High Blood Pressure in hindi)
इस वटी का उच्च रक्तचाप को कम करने में सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है; लेकिन यह रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है और धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) के गठन को रोकती है, जो कई बार उच्च रक्तचाप का मुख्य कारण होते हैं।
इस प्रकार, यह वटी उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करती है और रक्तचाप (बीपी) के स्तर को नियंत्रण में रखती है।
8) आरोग्यवर्धिनी वटी जीर्ण ज्वर में लाभ करती है – (Arogyavardhini Vati is Beneficial in Chronic Fever in hindi)
10 से 14 दिनों से अधिक समय तक रहने वाले बुखार को जीर्ण ज्वर या क्रोनिक फीवर (chronic fever) कहते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह या तो शरीर में किसी बाहरी कण या सूक्ष्म जीव के आक्रमण के कारण या आम (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष) के कारण हो सकता है।
अपने ज्वरघ्न (ज्वरनाशक), दीपन (क्षुधावर्धक) और पाचन गुणों के कारण आरोग्यवर्धिनी वटी भोजन के पाचन और अवशोषण में सुधार करके आम के गठन को रोकती है, और इस प्रकार बुखार को कम करने में मदद करती है।
9) आरोग्यवर्धिनी वटी सूजन को कम करने में मदद करती है – (Arogyavardhini Vati Helps in reducing inflammation in hindi)
जैसा कि हमने जाना है कि आरोग्यवर्धिनी वटी में सूजनरोधी गुण होते हैं। इसलिए यह लीवर के साथ-साथ आंत, प्लीहा (spleen), गर्भाशय, मूत्राशय और गुर्दे की सूजन को कम करने में मदद करती है।
10) त्वचा रोगों के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे – (Arogyavardhini Vati Benefits for Skin Diseases in hindi)
आरोग्यवर्धिनी गुटिका त्वचा के विभिन्न संक्रमणों के इलाज के लिए एक जादुई औषधि है। इसमें त्रिफला की उपस्थिति होने के कारण यह शरीर से आम (विषाक्त पदार्थों) को निकालने में मदद करती है।
इस वटी (टैबलेट) के सूजन-रोधी और एनाल्जेसिक गुण इसे एक्जिमा और मुँहासे के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद बनाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, बढ़े हुए कफ दोष के कारण सीबम का उत्पादन बढ़ जाता है और रोम छिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे सफेद (वाइट) और ब्लैक हेड्स दोनों बन जाते हैं। इसके अलावा, बढ़े हुए पित्त के कारण कुछ लाल दाने (red papules) और मवाद के साथ सूजन भी हो सकती है।
अपने पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने, और शोथहर (सूजनरोधी) गुणों के कारण आरोग्यवर्धिनी वटी कील-मुंहासों के इलाज में मदद करती है। इसका शोधन (डिटॉक्सिफिकेशन) गुण भी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है (1)।
आरोग्यवर्धिनी वटी के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects Of Arogyavardhini Vati in hindi?)
कई स्वास्थ्य विकारों अथवा रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करना सुरक्षित है।
लेकिन इस वटी का चिकित्सिक द्वारा बताई गई मात्रा से अधिक सेवन करना कुछ नुकसान (दुष्प्रभाव) कर सकता है, उदाहरण के लिए:
1) अधिक मात्रा में इस टैबलेट के सेवन से गैस्ट्राइटिस और पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।
2) इस औषधि में मौजूद धातुएं प्रकुपित पित्त के लक्षणों को अधिक बिगाड़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मुंह में छाले, चक्कर आना और रक्तस्राव आदि लक्षण बढ़ सकते हैं।
3) गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इस वटी के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में बिना डॉक्टर के परामर्श के इसका सेवन करना असुरक्षित है। .
4) किडनी या दिल से संबंधित बीमारी से ग्रस्त लोगों को इस टैबलेट के अधिक सेवन (ओवरडोज) से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे उनकी स्थिति और भी खराब हो सकती है।
(इसे भी पढ़ें: चित्रकादि वटी के फायदे और नुकसान – Chitrakadi Vati Uses in Hindi)
आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ बरती जाने वाली सावधानियां – (Precautions to be taken with Arogyavardhini Vati in hindi)
- भारी धातु विषाक्तता (heavy metal poisoning) के संभावित खतरे के कारण गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है (2)।
- आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने के बाद ही इस वटी का उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि इस के मात्रा से अधिक सेवन से रक्त में भारी धातुओं का संचय हो सकता है (2)।
आरोग्यवर्धिनी वटी की चिकित्सीय खुराक क्या है? – (What Is The Therapeutic Dosage Arogyavardhini Vati in hindi?)
यदि आप आरोग्यवर्धिनी वटी की चिकित्सीय खुराक (मात्रा) के बारे में भ्रमित हैं, तो यहां आपको इसका स्पष्टीकरण मिल सकता है। खैर, इस आयुर्वेदिक औषधि की सटीक खुराक रोगी की स्थिति और रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी की प्रभावी खुराक (effective dosage) 125 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम तक होती है, जिसे दिन में 1 से 3 बार तक लिया जा सकता है। अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार आपको इस टैबलेट को भोजन से पहले या बाद में सेवन करना चाहिए।
रोगियों को कभी-कभी इस वटी को सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी जाती है, तो कभी-कभी इस वटी को पानी में अदरक का रस, शहद या नीम का रस मिलाकर लेने की सलाह दी जाती है।
डॉक्टर की सलाह के आधार पर इस औषधि का 4 से 6 महीने तक सेवन करना सुरक्षित है। लेकिन, आरोग्यवर्धिनी वटी की अधिकतम खुराक एक दिन में 3 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
न्यूनतम प्रभावी खुराक | 125 मिलीग्राम दिन में दो बार |
मध्यम चिकित्सीय खुराक (बच्चे) | 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम दिन में दो बार |
मध्यम चिकित्सीय खुराक (वयस्क) | 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम दिन में दो बार |
अधिकतम संभावित खुराक | 1000 मिलीग्राम दिन में तीन बार |
आरोग्यवर्षिनी वटी एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इस लेख में मैंने इस वटी के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की है, जो आपको यह तय करने में मदद करेगी कि इसका सेवन करना है या नहीं और कब करना है। लेकिन किसी भी दवा को शुरू करने या बदलने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। इसके अलावा, यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है या पहले से ही किसी प्रकार की दवा ले रहे हैं, तो आपको आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या आरोग्यवर्धिनी वटी बच्चों के लिए सुरक्षित है? – (Is Arogyavardhini Vati Safe For Children in hindi?)
इस औषधि के घटक द्रव्यों में पारा भी एक है। अतः बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह भारी धातु विषाक्तता (heavy metal poisoning) कर सकता है (2)।
मैं कितने समय तक आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कर सकता हूँ? – (How long can I consume (take) Arogyavardhini vati in hindi?)
अपने डॉक्टर की सलाह के आधार पर आप आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन 4 से 6 महीने तक कर सकते हैं।
क्या हम प्रतिदिन आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कर सकते हैं? – (Can we take Arogyavardhini vati daily in hindi?)
आप 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन दिन में एक से तीन बार सामान्य पानी के साथ या अपने चिकित्सक के निर्देशानुसार कर सकते हैं।
क्या आरोग्यवर्धिनी वटी गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है? – (Is Arogyavardhini Vati safe for pregnant women in hindi?)
नहीं, यह वटी गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है और गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए (2)।
आरोग्यवर्धी वटी का दोषों पर क्या प्रभाव होता है? – (What is the effect of Arogyavardhii vati on Doshas in hindi?)
यह तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को प्रभावी ढंग से संतुलित करती है।
आरोग्यवर्धिनी वटी को और किन नामों से जाना जाता है? – (What are the synonyms of Arogyavardhini Vati in hindi?)
आरोग्यवर्धिनी वटी को निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है:
- सर्वरोग प्रशमनि
- आरोग्यवर्धिनी गुटिका
- आरोग्यवर्धिनी रस
- सर्वरोगहर वटी
- आरोग्यवर्धिनी गुटिका रस
- आरोग्यवर्धिनी टैबलेट
आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कैसे करें? – (How to consume Arogyavardhini vati in hindi?)
यह औषधि वटी या टेबलेट के रूप में उपलब्ध है। इसे आमतौर पर सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ, या पानी में अदरक का रस, शहद, या नीम का रस डालकर सेवन किया जाता है।
संदर्भ (References):
1) A Textbook of Rasa Shastra
https://www.chaukhambha.com/product/a-textbook-of-rasa-shastra/
2) Arogyavardhini Vati: A theoretical analysis
http://www.jsirjournal.com/Vol5_Issue6_05.pdf
3) The hypolipidemic activity of Ayurvedic medicine, Arogyavardhini vati in Triton WR-1339-induced hyperlipidemic rats: A comparison with fenofibrate
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3821191/
4) Quality Control Parameters of Arogyavardhini Rasa prepared by classical method
http://www.ayurvedjournal.com/JAHM_201624_03.pdf
अस्वीकरण (DISCLAIMER):
इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय / नुस्खे / दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|
इन्हें भी पढ़ें :
1) संजीवनी वटी के फायदे, उपयोग, घटक द्रव्य, खुराक, और नुकसान
2) चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान – Chandraprabha Vati in Hindi
3) अग्नितुंडी वटी के फायदे और नुकसान Agnitundi Vati Uses in Hindi
4) चित्रकादि वटी के फायदे और नुकसान – Chitrakadi Vati Uses in Hindi
5) खदिरादि वटी के फायदे और नुकसान Khadiradi Vati Uses in Hindi
6) लवंगादि वटी के फायदे – Lavangadi Vati Benefits in Hindi