लवंगादि वटी के फायदे – Lavangadi Vati Benefits in Hindi

इस लेख में, आप लवंगादि वटी के फायदे, उपयोग, लाभ, घटक द्रव्य (सामग्री), नुकसान (साइड इफेक्ट्स) से लेकर इसकी खुराक तक सब कुछ जानेंगे।

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लवंगादि वटी क्या है? – (What is Lavangadi vati in Hindi?)

यदि मौसमी परिवर्तनों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया जाए तो स्वस्थ व्यक्तियों को भी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। श्वसन संबंधी लक्षण मौसम परिवर्तन के कारण उत्पन्न हो सकते हैं; इसलिए श्वसन-तंत्र संबंधी समस्याओं वाले लोगों को ऐसे परिवर्तनों की स्थिति में अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए। मौसम में परिवर्तन के कारण सामान्य सर्दी, इन्फ्लूएंजा, खांसी, अस्थमा और अन्य श्वसन संक्रमण जैसी संक्रामक बीमारियाँ बहुत आम हैं। इसलिए बीमार होने के बजाय, सुरक्षित और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियां हैं जो इन मौसमी बीमारियों को रोकने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती हैं। लवंगादि वटी इन्हीं में से एक है और इसका उपयोग पुरानी खांसी, गले में खराश और विभिन्न अन्य श्वसन विकारों को कम करने के लिए किया जाता है। यह गले की जलन को कम करती है, बलगम को बाहर निकालती है और वायुमार्ग को साफ करती है।

लवंगादि वटी पांच जड़ी-बूटियों से बनी है, ये हैं लौंग, बबूल, काली मिर्च, बिभीतकी और काला कत्था (black catechu); ये संयुक्त होने पर खांसी, अस्थमा और बुखार में लाभकारी परिणाम प्रदान करते हैं (1)। इस वटी में सूजनरोधी (anti-inflammatory), शांतिदायक (demulcent), एंटीसेप्टिक (antiseptic) और कफ निस्सारक (expectorant) गुण होते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, इसमें वात और कफ को संतुलित करने वाले गुण होते हैं, जो एलर्जिक राइनाइटिस (allergic rhinitis) के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। कफ संतुलन गुण के कारण, यह फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को हटा देती है, जिससे खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) के लक्षणों से राहत मिलती है।

यह गोली (टैबलेट) के रूप में उपलब्ध है; आप 1 से 2 टैबलेट दिन में दो बार या डॉक्टर की सलाह के अनुसार ले सकते हैं। यह टैबलेट आम तौर पर अच्छी तरह से सहन की जाती है और निर्धारित खुराक में सेवन करने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं डालती।

लवंगादि वटी के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (Composition) Of Lavangadi Vati In Hindi?)

यहां, इस लेख में आगे जानते हैं कि लवंगादि वटी को बनाने के लिए किन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है और प्रत्येक घटक द्रव्य की मात्रा क्या है:

घटक द्रव्य का सामान्य नामघटक द्रव्य का वैज्ञानिक/आधुनिक नामघटक द्रव्य की मात्रा/अनुपात
लौंग (लवंग)Syzygium aromaticum1 भाग
काली मिर्चPiper nigrum1 भाग
बिभीतकी (बहेड़ा )Terminalia bellirica1 भाग
काला कत्था (Black Catechu)Acacia catechu3 भाग
बबूल की छाल (बाबुल की छाल का काढ़ा)Acacia arabicaमात्रा पर्याप्त

लवंगादि वटी कैसे बनाएं? – (How to make Lavangadi Vati in Hindi?)

लवंगादि वटी बनाने की विधि:

  • सबसे पहले, 4 घटक द्रव्यों (यानी लौंग, काली मिर्च, बिभीतकी और काला कत्था) को आवश्यक अनुपात में एक पत्थर की ओखली (mortar) में लें और बारीक पाउडर बना लें।
  • अब बबूल की छाल का 1 भाग और 10 भाग पानी लेकर एक बर्तन में काढ़ा बना लें। इसके लिए बबूल की छाल तथा पानी वाले बर्तन को गैस पर रखें और इसे तब तक गर्म करें जब तक काढ़ा एक चौथाई भाग तक कम न हो जाए। इस काढ़े को छान लें और ठंडा होने दें।
  • फिर इस काढ़े को उसी ओखली (जिसमें बाकी घटक द्रव्यों का मिश्रण है) में मिला लें। इसे लगभग 12 घंटे तक मूसल की सहायता से बारीक पीस लें।
  • फिर इसकी मटर के आकार की गोलियां बना लें। ये तैयार गोलियां ही लवंगादि वटी हैं।

लवंगादि वटी के औषधीय गुण क्या हैं? – (What Are The Medicinal Properties of Lavangadi Vati in Hindi?)

इस हर्बल वटी के निम्न औषधीय गुण हैं:

  • सूजन रोधी (anti-inflammatory)
  • ब्रोन्कोडायलेटर (bronchodilator)
  • एंटी-एलर्जिक (anti-allergic)
  • एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial)
  • म्यूकोलाईटिक (mucolytic)
  • कासरोधक (antitussive)

लवंगादि वटी किन शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके चिकित्सीय संकेत क्या हैं? – (What Are The Therapeutic Indications Of of Lavangadi Vati in Hindi?)

आयुर्वेदिक डॉक्टर कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए लवंगादि वटी लिखते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • खाँसी (cough)
  • दमा (अस्थमा – asthma)
  • मुंह के छाले (mouth ulcers)
  • टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis)
  • गले में खराश (sore throat)
  • ग्रसनीशोथ (pharyngitis)

लवंगादि वटी के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and uses of Lavangadi Vati in Hindi?)

यहां, नीचे आप लवंगादि वटी के मुख्य फायदे और उपयोग जानेंगे जो एक व्यक्ति अनुशंसित खुराक में इस वटी का सेवन करके प्राप्त कर सकता है।

लवंगादि वटी (गुटिका) के मुख्य फायदे और उपयोग निम्नलिखित हैं (main benefits and uses of Lavangadi Vati):

1) पुरानी खांसी के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits for Chronic Cough in Hindi)

लवंगादि वटी वायुमार्ग को शांत करके तथा गले की जलन और खराश को कम करके बार-बार होने वाली खांसी के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है। यह उत्पादक (गीली) और अनुत्पादक (सूखी) दोनों प्रकार की खांसी में उपयोगी है।

अनुत्पादक खांसी (non-productive cough) के इलाज के लिए लवंगादि वटी के साथ सितोपलादि चूर्ण और यष्टिमधु का उपयोग करना फायदेमंद है। जबकि तालीसादि चूर्ण के साथ मिलाने पर यह उत्पादक खांसी (productive cough) को कम करने में सहायक होता है।

2) अस्थमा के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits for Asthma in Hindi)

अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के वायुमार्ग में सूजन, और संकीर्णता हो जाती है; और वायु मार्ग अतिरिक्त बलगम पैदा करता है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, वात और कफ अस्थमा में शामिल मुख्य दोष हैं। प्रकुपित वात दोष फेफड़ों में असंतुलित कफ दोष के साथ मिलकर श्वसन मार्ग में रुकावट पैदा करता है। इससे सांस लेने में कठिनाई होती है और इस स्थिति को आयुर्वेद में तमक श्वास रोग (अस्थमा) के रूप में जाना जाता है।

लवंगादि वटी कफ को संतुलित करके और फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को हटाकर अस्थमा के लक्षणों से राहत देती है।

इस वटी का मुख्य घटक लौंग (लवंग), अस्थमा के इलाज में अत्यधिक फायदेमंद है। यह अस्थमा में निम्न रूप से राहत प्रदान करता है:

  • संकीर्ण हुए वायुमार्ग को खोलकर
  • फेफड़ों में रक्त परिसंचरण में सुधार करके
  • श्वसन मार्ग की सूजन को कम करके

इस वटी में बायोएक्टिव यौगिक (bioactive compounds) होते हैं जो खाँसी, घरघराहट (wheezing), सीने में दर्द और साँस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों को कम कर सकते हैं।

3) टॉन्सिलाइटिस और ग्रसनीशोथ के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits For Tonsillitis and Pharyngitis in Hindi)

टॉन्सिलाइटिस और ग्रसनीशोथ के इलाज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा लवंगादि वटी (टैबलेट) की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। यह प्राकृतिक रूप से गले की खराश और टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद करती है।

इसके अतिरिक्त, यह गले में पेरिटॉन्सिलर एब्सेस (peritonsillar abscesses) के विकास को रोकती है। बेहतर परिणामों के लिए इसका उपयोग यशद भस्म, सितोपलादि चूर्ण और गंधक रसायन के साथ किया जा सकता है।

(इसे भी पढ़ें: सितोपलादि चूर्ण के फायदे Sitopaladi Churna Benefits in Hindi)

4) लवंगादि वटी मुंह के छालों के इलाज में फायदेमंद है – (Lavangadi Vati is Beneficial in Treating Mouth Ulcers in Hindi)

यह वटी मुंह के छालों के इलाज में बहुत कारगर है। “कत्था अर्क” छाले से संबंधित दर्द, सूजन और लालिमा को कम करने में सहायता करता है। जब इस वटी को यष्टिमधु चूर्ण के साथ दिया जाता है तो यह दांतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मुंह के छालों को ठीक करने में बहुत प्रभावी होती है।

5) दर्द से राहत के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits for Pain Relief in Hindi)

लवंगादि वटी का एक घटक लौंग है, जिसमें दर्द निवारक गुण होते हैं। दांत दर्द और एनल फिशर (anal fissures) से राहत के लिए इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह वटी पीठ के निचले हिस्से में दर्द और कटिस्नायुशूल (साइटिका – sciatica) के लिए फायदेमंद हो सकती है (2)।

6) फंगल संक्रमण के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits for Fungal Infections in Hindi)

पशु मॉडल पर किए गए अध्ययनों में कृंतकों (rodents) में योनिशोथ (vaginitis) के लिए लौंग और काली मिर्च के तेल (लवंगादि वटी के प्रमुख घटक) की प्रभावशीलता देखी गई है।

लवंगादि वटी एस्परगिलस फ्यूमिगेटस (aspergillus fumigatus), कैंडिडा अल्बिकन्स (candida albicans) और क्रिप्टोकोकस नियोफॉर्मन्स (cryptococcus neoformans) के विकास को बहुत अच्छी तरह से रोकती है। और अधिक शोध मनुष्यों में फंगल संक्रमण के प्रति इसकी प्रभावशीलता प्रदर्शित कर सकते हैं (2, 3)।

7) वायरल संक्रमण के लिए लवंगादि वटी के फायदे – (Lavangadi Vati Benefits for Viral Infections in Hindi)

लवंगादि वटी बनाने में उपयोग किए जाने वाले लौंग (के अर्क) में वायरल डीएनए के संश्लेषण (synthesis) को दबाने की क्षमता होती है। पशु अध्ययनों ने हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes Simplex Virus) के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता दिखाई है।

लेकिन मनुष्यों में हर्पीस संक्रमण (herpes infection) के इलाज के लिए इसका उपयोग करने से पहले अधिक शोध की आवश्यकता है (2)।

लवंगादि वटी के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects of Lavangadi Vati in Hindi?)

दोस्तो, लवंगादि वटी का कोई दुष्प्रभाव नहीं है और स्वस्थ व्यक्तियों के लिए इसके सेवन की कोई भी मनाही (निषेध) नहीं है।

लवंगादि वटी की अधिक मात्रा के नुकसान (दुष्प्रभाव) – (Side effects of overdose of Lavangadi vati in Hindi)

लवंगादि वटी की अधिक मात्रा के नुकसान मुख्य रूप से लौंग के कारण होते हैं, जो इसके घटक द्रव्यों में से एक है।

अधिक खुराक के कारण इसके निम्नलिखित सामान्य दुष्प्रभाव हैं (4):

  • अम्लरक्तता (acidosis)
  • पीलिया (jaundice)
  • एक्यूट लिवर इंजरी (acute liver injury)
  • रेस्पिरेटरी डिप्रेशन (respiratory depression)
  • किडनी इंजरी (kidney injury)

लवंगादि वटी का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां – (Precautions to be Taken While Consuming Lavangadi vati in Hindi)

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इस वटी की सुरक्षा प्रोफ़ाइल अच्छी तरह से स्थापित नहीं है। इसलिए, गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान लवंगादि वटी का सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना बेहतर है।
  • बच्चों में इसके लिए कोई सुरक्षा अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, बच्चों को इसे देने से पहले आपको किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
  • आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस वटी की मात्रा अनुशंसित खुराक (recommended dosage) से ज्यादा न हो (4)।

लवंगादि वटी की खुराक क्या है? – (What is The Dosage of Lavangadi Vati in Hindi?)

लवंगादि वटी की खुराक रोग की गंभीरता, तथा व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। सही खुराक के लिए आपको हमेशा किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

हालाँकि, लवंगादि वटी की सामान्य खुराक (general dosage of Lavangadi Vati) 1 से 2 गोलियाँ दिन में दो बार है।

आपको इस टैबलेट का सेवन पानी के साथ करना चाहिए, खासकर भोजन के बाद।

इस वटी की अधिकतम संभव खुराक (maximum possible dose) 7 गोलियाँ प्रति दिन है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लवंगादि वटी का दोषों पर क्या प्रभाव पड़ता है? – (What is the effect of Lavangadi vati on Doshas in Hindi?)

यह वटी वात और कफ दोषों को संतुलित करती है।

क्या गर्भवती महिलाएं खांसी के लिए लवंगादि वटी ले सकती हैं? – (Can pregnant women take Lavangadi vati for Cough in Hindi?)

गर्भवती महिलाओं के लिए इस टैबलेट की सुरक्षा प्रोफ़ाइल अच्छी तरह से स्थापित नहीं है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस वटी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

लवंगादि वटी का उपयोग किस लिए किया जाता है? – (What is Lavangadi Vati used for in Hindi?)

लवंगादि वटी का उपयोग आमतौर पर कुछ स्वास्थ्य समस्याओं जैसे खांसी, अस्थमा, टॉन्सिलाइटिस, गले में खराश आदि के इलाज के लिए किया जाता है।

क्या लवंगादि वटी बच्चों के लिए उपयुक्त है? – (Is Lavangadi vati suitable for Children in Hindi?)

चूँकि बच्चों में इस वटी का कोई सुरक्षा अध्ययन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको डॉक्टर (बाल रोग विशेषज्ञ) की सलाह के बिना बच्चों को यह वटी नहीं देनी चाहिए।

क्या मधुमेह रोगी लवंगादि वटी ले सकता है? – (Can a diabetic person take Lavangadi Vati?)

हां, मधुमेह रोगी अपने डॉक्टर से परामर्श के बाद इस वटी का सेवन भी कर सकते हैं।

मुझे लवंगादि वटी कब लेनी चाहिए? – (When should I take Lavangadi Vati in Hindi?)

आमतौर पर इस वटी को दिन में दो बार भोजन के बाद लेने की सलाह दी जाती है।


संदर्भ (References):

1) Standardization of marketed ayurvedic formulation: Lavangadi vati

https://www.phytojournal.com/archives/2018/vol7issue5/PartS/7-4-608-395.pdf

2) An Anthology of Nutraceuticals (Edited Book)

https://www.researchgate.net/profile/Atanu-Deb/publication/353932321_An_Anthology_of_Nutraceuticals_Edited_Book/links/611a8d74169a1a010305ed6d/An-Anthology-of-Nutraceuticals-Edited-Book.pdf#page=53

3) Comparative chemical composition and antimicrobial activity of berry and leaf essential oils of piper nigrum l.

https://www.semanticscholar.org/paper/Comparative-chemical-composition-and-antimicrobial-Sasidharan-Menon/1be88ec0bfee2899c9d222d1c5711982430c978a

4) Eugenol (Clove Oil). LiverTox: Clinical and Research Information on Drug-Induced Liver Injury

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK551727/

5) Lavangadi Vati: Uses, Benefits, Ingredients, Side Effects


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


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2) आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और नुकसान Arogyavardhini Vati in Hindi

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