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अविपत्तिकर चूर्ण क्या है? – (What is Avipattikar Churna in Hindi?)
अविपत्तिकर चूर्ण (Avipattikar churna in hindi) उन बीमारियों के इलाज के लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियों में से एक है जो पाचन और उत्सर्जन तंत्र (excretory system) के सामान्य कामकाज को प्रभावित करते हैं। यह आमाशय (stomach) में एसिड स्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचक एंजाइमों (digestive enzymes) के उत्पादन को बढ़ावा देता है, इस तरह यह चूर्ण पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है।
यह चूर्ण गैस्ट्राइटिस (gastritis), हाइपरएसिडिटी (hyperacidity), अधिक एसिड के कारण होने वाली जलन, एनोरेक्सिया (anorexia), अपच, बवासीर और मूत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में फायदेमंद है।
यह चूर्ण मुख्य रूप से पित्त दोष के असंतुलन के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज में फायदेमंद साबित होता है। ये बीमारियां या तो सेडेंटरी लाइफस्टाइल (sedentary lifestyle), शारीरिक गतिविधि की कमी (lack of physical activity), या अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतों (unhealthy eating habits) का परिणाम हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण पित्त दोष के असंतुलन के कारण होने वाली अत्यधिक गर्मी को कम करने में सहायक है और शरीर को शीतलता प्रदान करता है।
इस चूर्ण में बिभीतकी, आंवला, हरीतकी, सोंठ, पिप्पली, काली मिर्च, मुस्ता, इलायची, तेजपत्र, लौंग आदि घटक होते हैं, जिन्हें पीसकर अच्छी तरह मिला कर चूर्ण तैयार किया जाता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के घटक द्रव्य (सामग्री) क्या हैं? – (What Are The Ingredients (or Composition) Of Avipattikar Churna in Hindi?)
अविपत्तिकर चूर्ण में निम्नलिखित घटक द्रव्य (सामग्री) हैं:
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक नाम | घटक द्रव्य की मात्रा/अनुपात |
त्रिवृत | Operculina turpethum | 33.33% |
लवंग (लौंग) | Syzygium Aromaticum | 8.33% |
सूखा अदरक (सोंठ) | Zingiber officinale | 0.83% |
काली मिर्च | Piper Nigrum | 0.83% |
पिप्पली | Piper longum | 0.83% |
आंवला (आमलकी) | Emblica officinalis | 0.83% |
बहेड़ा (विभीतकी) | Terminalia bellerica | 0.83% |
हरीतकी (हरड़) | Terminalia chebula | 0.83% |
बाय विडंग | Embelia Ribes | 0.83% |
नागर मोथा | Cyperus Rotundus | 0.83% |
तेजपत्र (तेजपत्ता) | Cinnamomum tamala | 0.83% |
एला (इलायची) | Elettaria Cardamomum | 0.83% |
मिश्री | — | 50% |
अविपत्तिकर चूर्ण के औषधीय गुण क्या हैं? – (What Are the Medicinal Properties of Avipattikar Churna in Hindi?)
इस चूर्ण में निम्नलिखित औषधीय गुण हैं:
- क्षुधावर्धक (Appetizer)
- पाचन उत्तेजक (Digestive Stimulant)
- एंटासिड (Antacid)
- हल्का मूत्रवर्धक (Mild Diuretic)
- सूजनरोधी (Anti-inflammatory)
- एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant)
- कार्मिनेटिव (Carminative)
- एंटीलिथियेटिक (Antilithiatic)
अविपत्तिकर चूर्ण किन शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके चिकित्सीय संकेत क्या हैं? – (What Are The Therapeutic Indications Of Avipattikar Churna in Hindi?)
अविपत्तिकर चूर्ण निम्नलिखित शारीरिक स्थितियों में उपयोगी है अथवा इसके निम्नलिखित चिकित्सीय संकेत हैं:
- अपच (Indigestion)
- एसिडिटी (Acidity)
- गुर्दे की पथरी (Kidney Stones)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
- सीने में जलन (Heartburn)
- पेशाब करने में कठिनाई (Difficulty in Micturition)
- जीर्ण जठरशोथ (Chronic gastritis)
- मूत्र संबंधी समस्याएं (Urinary Problems)
- क्रोनिक किडनी फेल्योर (Chronic Kidney failure)
- नेफ्राइटिस (Nephritis)
- नेफ़्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome)
- यूरेमिया (Uremia – रक्त में यूरिया का बढ़ा हुआ स्तर)
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD – जीईआरडी)
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and Uses Of Avipattikar Churna in Hindi?)
1) अपच के लिए अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे – (Avipattikar Churna Benefits For Indigestion in Hindi)
अविपत्तिकर चूर्ण एक उत्कृष्ट आयुर्वेदिक योग है जो पाचन में सुधार करता है और अपच से संबंधित समस्याओं के इलाज में सहायक है। यह चूर्ण पेट में पाचक रसों के उत्पादन को बढ़ाता है और भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है।
आयुर्वेद के अनुसार, अपच को अग्निमांद्य कहा जाता है, और यह पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। पित्त का असंतुलन मंदाग्नि (कम पाचन अग्नि) का कारण बनता है, और जब मंदाग्नि के कारण सेवन किया गया भोजन अपचित रह जाता है, तो यह आम (अनुचित पाचन के कारण शरीर में जमा होने वाले विषाक्त पदार्थ) के बनने का कारण बनता है। इसका अर्थ है कि अग्निमांद्य (या अपच) सेवन किए गए भोजन के पाचन की अपूर्ण प्रक्रिया की स्थिति है।
अपच से संबंधित दिक्कतों के उपचार के लिए अविपत्तिकर चूर्ण सबसे अच्छे आयुर्वेदिक योगों में से एक है। अपने दीपन (क्षुधावर्धक) और पाचन गुणों के कारण, यह आम (विषाक्त पदाथों) को पचाने में मदद करता है और इस तरह यह अपच के प्रबंधन में लाभकारी है। यह चूर्ण पित्त दोष को संतुलित करने में भी मदद करता है।
2) एसिडिटी के लिए अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे – (Avipattikar Churna Benefits for Acidity in Hindi)
एसिडिटी एक बढ़े हुए पेट के अम्ल स्तर (stomach acid level) को संदर्भित करता है। यह तब होता है जब भोजन ठीक से पचता नहीं है या जब शरीर के अंदर आम (विषाक्त अवशेष) का उत्पादन होता है, और यह पित्त दोष को बढ़ाता है।
पित्त का असंतुलन पाचन अग्नि को बाधित करता है, जिसके परिणामस्वरूप अनुचित पाचन और आम का निर्माण होता है। यह आम पाचन तंत्र में जमा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरएसिडिटी (hyperacidity) होती है। इससे हार्ट बर्न (heartburn), एक विकार जिसका मुख्य लक्षण सीने में जलन होना है, भी हो सकता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के रेचक और पित्त दोष को संतुलित करने वाले गुण एसिडिटी को कम करने में सहायक होते हैं। यह शरीर के भीतर एसिड (अम्ल) उत्पादन को विनियमित करके एक कूलिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है।
3) अविपत्तिकर चूर्ण के जीईआरडी के लिए फायदे – (Avipattikar Churna Benefits For GERD in Hindi)
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) में पेट में उत्पन्न एसिड या पेट में मौजूद तत्व भोजन नली में वापस आ जाता है, जिससे भोजन नली की अंदरूनी सतह में जलन होने लगती है। मुंह का स्वाद खट्टा होना, सीने में जलन होना, छाती में दर्द होना, और गले में खराश होना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण पेट से आंतों तक भोजन के एकतरफा मार्ग को सुनिश्चित करके जीईआरडी के लक्षणों से राहत प्रदान करता है। इस प्रकार, यह चूर्ण सीने में जलन की स्थिति में होने वाली बेचैनी और दर्द से राहत देता है।
4) कब्ज के लिए अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे – (Avipattikar Churna Benefits for Constipation in Hindi)
कब्ज वह स्थिति है जब मल त्याग कम हो जाता है और मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है। कब्ज में व्यक्ति को पूरी तरह से मल त्याग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है या मल त्याग के समय कठोर और सूखा मल निकलता है।
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष का बढ़ना कब्ज का कारण होता है। बड़ी आंत में वात दोष कुछ कारणों से बढ़ जाता है और कब्ज का कारण बनता है। इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं:
- बहुत अधिक कॉफी या चाय पीना
- जंक फूड का सेवन करना
- रात को देर तक जागना
- उच्च तनाव स्तर होना
बढ़े हुए वात दोष के कारण वात के रूक्ष (शुष्क) गुण के कारण आंतें शुष्क हो जाती हैं। इससे मल कठोर और सूखा हो जाता है और कब्ज हो जाती है।
अपने रेचक और वात-संतुलन गुणों के कारण, अविपत्तिकर चूर्ण कब्ज दूर करने में मदद करता है।
5) अविपत्तिकर चूर्ण सूजन से लड़ने में मदद करता है – (Avipattikar Churna Helps to Fight Inflammation in Hindi)
अविपत्तिकर चूर्ण के प्रबल सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण सूजन को कम करते हैं और मुक्त कणों (free radicals) से होने वाले नुकसान से लड़ते हैं। इस प्रकार, यह चूर्ण सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
सूजन और दर्द के लक्षणों को कम करने की इसकी क्षमता मूत्राशय की गति को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है। इसका उपयोग विशेष रूप से उन लोगों के लिए मददगार है जो बढ़े हुए प्रोस्टेट या ऊतकों (tissues) की सूजन के कारण पेशाब करने में कठिनाई से पीड़ित हैं।
6) अविपत्तिकर चूर्ण के मोटापे के लिए फायदे – (Avipattikar Churna Benefits for Obesity in Hindi)
अपच के कारण वसा के रूप में आम (विषाक्त पदार्थ) का निर्माण भी मोटापे का कारण बन सकता है। कभी-कभी, कब्ज के कारण मेद धातु का असंतुलन भी हो सकता है, जो आगे चलकर मोटापे का कारण बनता है।
अविपत्तिकर चूर्ण मोटापे के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य उपायों के साथ मददगार हो सकता है। अपने पाचन और दीपन (क्षुधावर्धक) गुणों के कारण, यह चूर्ण शरीर में वसा संचय को कम करने में सहायता करता है। इसके रेचक गुण के कारण यह कब्ज के उपचार में भी सहायक है।
7) भूख न लगने की स्थिति में अविपत्तिकर चूर्ण लाभकारी है – (Avipattikar Churna is Beneficial in Loss of appetite in Hindi)
आयुर्वेद के अनुसार, मंदाग्नि (कम पाचन अग्नि) के कारण खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है, जिसके परिणामस्वरूप आम का संचय होता है। इससे अरुचि (एनोरेक्सिया या भूख न लगना) हो सकती है। इस स्थिति के परिणामस्वरूप तीन दोषों (वात, पित्त और कफ) का असंतुलन हो सकता है।
कुछ मनोवैज्ञानिक कारण भी भोजन के अनुचित पाचन का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रिक जूस (gastric juice) का अपर्याप्त उत्पादन होता है और एनोरेक्सिया या भूख की कमी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
पाचन और दीपन (क्षुधावर्धक) गुणों के कारण, अविपत्तिकर चूर्ण का नियमित सेवन आम को पचाने में मदद करता है, और इस प्रकार भोजन का उचित पाचन होता है। इसके अलावा, यह तीन दोषों को संतुलित करने में भी सहायता करता है।
8) किडनी (गुर्दों) के स्वास्थ्य के लिए अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे – (Avipattikar Churna Benefits for Kidney Health in Hindi)
अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि अविपत्तिकर चूर्ण किडनी के कार्य को प्रोत्साहित करके यूटीआई और गुर्दे (किडनी) की समस्याओं के जोखिम को कम करता है।
यह चूर्ण गुर्दे की पथरी को खत्म करने में अत्यधिक प्रभावी है और ऑक्सालेट (oxalate) और कैल्शियम (calcium) जैसे मूत्र लवणों को कम करने में सहायता करता है। यह चूर्ण जब हजरुल यहूद भस्म के साथ प्रयोग किया जाता है तो गुर्दे की पथरी में आशाजनक परिणाम देता है।
इस चूर्ण में सूजनरोधी क्रिया होती है, जो गुर्दों पर अधिक दिखाई देती है। यह गुर्दे, ग्लोमेरुली (glomeruli), नलिकाओं (tubules) और अंतरालीय ऊतक (interstitial tissue ) की सूजन को कम करके ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (glomerulonephritis), इंटरस्टीशियल नेफ्रैटिस (interstitial nephritis), और ट्यूबलो-इंटरस्टीशियल नेफ्रैटिस (tubulo-interstitial nephritis) सहित सभी प्रकार के नेफ्रैटिस के इलाज में सहायक है।
9) बवासीर के लिए अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे – (Avipattikar Churna Benefits for Piles in Hindi)
आजकल के सेडेंटरी लाइफस्टाइल अथवा गतिहीन जीवन शैली (sedentary lifestyle) के कारण बवासीर एक व्यापक चिंता का विषय बन गया है। पुरानी कब्ज भी बवासीर का प्रमुख कारण है।
सेडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण तीनों दोषों, विशेष रूप से वात दोष का असंतुलन होता है। जब वात बढ़ जाता है, तो यह पाचन अग्नि को कम कर देता है, जिससे कब्ज रहती है। इसके बाद गुदा क्षेत्र में सूजन और दर्द हो सकती है, जिसे अगर उपेक्षित या अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो बवासीर हो सकती है।
अविपत्तिकर चूर्ण में रेचक गुण होता है, जो कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
इसके दर्द निवारक और वात और पित्त दोष को संतुलित करने वाले गुणों के कारण इस चूर्ण का सेवन बवासीर से राहत दिलाने में मदद करता है।
10) अविपत्तिकर चूर्ण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आईबीएस) में फायदेमंद है – (Avipattikar Churna is Beneficial in Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi)
आयुर्वेद में इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) को ग्रहणी कहा जाता है, और यह पाचन अग्नि के असंतुलन के कारण होता है।
यह भी एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में आम (अनुचित पाचन के कारण शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ) का संचय हो जाता है और इस प्रकार रोगी को अक्सर श्लेष्म (mucus) युक्त मल होता है। इसमें खाना खाने के बाद अपचित भोजन बार-बार मल त्याग का कारण बन सकता है, जहां रोगी को मल कभी-कभी सख्त होता है और कभी-कभी यह श्लेष्म युक्त होकर ढीला होता है।
अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग आईबीएस (ग्रहणी) में आम को पचाने के लिए किया जाता है। अपने पाचन, दीपन (क्षुधावर्धक) और रेचक गुणों के कारण यह चूर्ण भोजन के उचित पाचन में सहायक होता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects of Avipattikar Churna in Hindi?)
अविपत्तिकर चूर्ण को यदि डॉक्टर की सलाह के अनुसार सेवन किया जाता है, तो यह चूर्ण आमतौर पर सुरक्षित होता है और इसका कोई नुकसान (या दुष्प्रभाव) नहीं होता।
हालांकि, अविपत्तिकर चूर्ण को डॉक्टर द्वारा बताई गई मात्रा से अधिक सेवन किया जाए तो निम्नलिखित दुष्प्रभाव (नुकसान) हो सकते हैं:
- पेट में ऐंठन (Abdominal cramps)
सावधानी (या एहतियात) – (Precautions in Hindi)
- अविपत्तिकर चूर्ण में मिश्री (चीनी) होने के कारण मधुमेह रोगियों को इस चूर्ण का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
- जो लोग पहले से ही अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis), हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी) और सेंसेटिव स्टमक (sensitive stomach) जैसी स्थितियों के लिए दवा ले रहे हैं, उन्हें भी इस चूर्ण का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन किसे नहीं करना चाहिए? – (Who Should Not Consume Avipattikar Churna in Hindi?)
यह चूर्ण पेट दर्द को और अधिक बढ़ा सकता है, इसलिए पेट दर्द में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अविपत्तिकर चूर्ण के अन्य निषेध हैं:
- पेट में ऐंठन
- पेचिश (Dysentery)
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द (Epigastric pain)
- गर्भावस्था
अविपत्तिकर चूर्ण की अनुशंसित खुराक क्या है? – (What is The Recommended Dosage of Avipattikar Churna in Hindi?)
अविपत्तिकर चूर्ण की सामान्य खुराक 2 से 3 ग्राम दिन में एक से दो बार है। इस चूर्ण का सेवन भोजन के बाद करना चाहिए।
उम्र, रोग की गंभीरता और रोगी की स्थिति के आधार पर अविपत्तिकर चूर्ण की प्रभावी चिकित्सीय खुराक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है।
इसकी अधिकतम खुराक एक दिन में 12 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
शारीरिक स्थिति के कारण के आधार पर इस चूर्ण का सेवन उपयुक्त सहायक (जैसे नारियल पानी, गुनगुना पानी, शहद और घी असमान मात्रा में) के साथ किया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या इस चूर्ण की आदत या लत पड़ सकती है? – (Is this Churna addictive in nature in hindi?)
नहीं, इस चूर्ण की आदत या लत नहीं पड़ती है।
क्या इस चूर्ण से उनींदापन होता है? – (Does Avipattikar Churna cause drowsiness in hindi?)
नहीं, इस चूर्ण से चक्कर या उनींदापन नहीं होता है; इसलिए आप इसके सेवन के बाद वाहन चला सकते हैं या मशीनरी चला सकते हैं।
आप अविपत्तिकर चूर्ण किस तरह से लेते हैं? – (How do you take Avipattikar Churna in hindi?)
इस चूर्ण को भोजन से पहले या बाद में लिया जा सकता है।
एसिडिटी से राहत पाने के लिए इस चूर्ण को भोजन से पहले दिन में दो बार सादे पानी के साथ लेना चाहिए।
और कब्ज से राहत पाने के लिए इस चूर्ण को दिन में दो बार भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
संदर्भ (References):
1) Evaluation of Anti-Secretory and Anti-Ulcerogenic Activities of Avipattikar Churna on The Peptic Ulcers in Experimental Rats
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3708215/
2) Avipattikar Churna: Uses, Benefits, Side Effects, Dosage
3) STUDY ON CLINICAL EFFICACY OF AVIPATTIKAR CHOORNA AND SUTASEKHAR RASA IN THE MANAGEMENT OF URDHWAGA AMLAPITTA
अस्वीकरण (DISCLAIMER):
इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है| हमारे किसी उपाय/नुस्खे/दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी|
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