पेचिश (आंव) के कारण, लक्षण, दवा, इलाज Dysentery in Hindi

इस लेख में मैं आपको पेचिश (आंव या डिसेंट्री) के प्रकार, कारण, लक्षण, उपचार और जटिलताओं के बारे में बताऊंगा। इसके अतिरिक्त इस लेख में आपको पेचिश (pechis) के निदान के साथ-साथ रोकथाम के बारे में भी बहुमूल्य जानकारी मिलेगी।

पेचिश (आंव) क्या है? – (What is Dysentery in Hindi?)

पेचिश (जिसे आंव या डिसेंट्री भी कहा जाता है) आंतों का एक संक्रमण है, जिसके परिणामस्वरूप आंतों में सूजन हो जाती है और खूनी या बलगम (म्यूकस) वाला दस्त होता है। इस स्थिति के अतिरिक्त लक्षण जो हो सकते हैं उनमें मतली, पेट दर्द, बुखार और उल्टी शामिल हैं।

यह एक ऐसी स्थिति है, जो बैक्टीरिया (bacteria) या परजीवी (parasite) संक्रमण के कारण हो सकती है। आमतौर पर यह बीमारी स्वच्छता या साफ-सफाई की कमी के परिणामस्वरूप फैलती हैं।

पेचिश (pechis in hindi) के अधिकांश मामले हल्के होते हैं। लेकिन कुछ व्यक्तियों में इसके गंभीर लक्षण और जटिलताएँ विकसित हो सकती हैं। ‘पेचिश’ एक शब्द है जो खूनी दस्त को संदर्भित करता है जिसमें कभी-कभी बलगम (म्यूकस) भी शामिल हो सकता है।

जब पेचिश (डिसेंट्री) संक्रमण की बात आती है, तो सबसे अधिक प्रचलित बेसिलरी पेचिश (जिसे शिगेलोसिस – Shigellosis भी कहा जाता है) है (1)। यह शिगेलोसिस शिगेला (shigella) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है।

अमीबिक पेचिश (amebic dysentery), जिसे अमीबियासिस (amebiasis) के नाम से भी जाना जाता है, डिसेंट्री का एक अन्य सामान्य प्रकार है। अमीबियासिस एककोशिकीय परजीवी एंटामोइबा (Entamoeba) के कारण होता है।

पेचिश (pechis in hindi) से पीड़ित अधिकांश व्यक्तियों में इसके केवल हल्के लक्षण दिखाई देते हैं जो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। हालाँकि यह एक रिपोर्ट करने योग्य बीमारी है, जिसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति को यह बीमारी है उसे अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। इससे पेचिश के प्रकोप (outbreaks) को रोकने में मदद मिलती है।

पेचिश (डिसेंट्री) के प्रकार क्या हैं? – (What are The Types of Dysentery in hindi?)

तो जैसा कि हमने ऊपर चर्चा की है, पेचिश (pechis) के 2 प्रकार होते हैं।

1) बेसिलरी पेचिश (शिगेलोसिस) – (Bacillary Dysentery in Hindi)

यह शिगेला बैक्टीरिया के कारण होती है और पेचिश (आंव) का सबसे आम प्रकार है।

2) अमीबिक पेचिश (अमीबियासिस) – (Amoebic Dysentery in Hindi)

यह एंटअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक अमीबा (एककोशिकीय परजीवी) के कारण होती है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

पेचिश (आंव) के लक्षण क्या हैं? – (What are The Symptoms of Dysentery in Hindi?)

पेचिश (डिसेंट्री) के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि संक्रमण जीवाणु है या परजीवी।

1) बेसिलरी पेचिश के लक्षण – (Bacillary Dysentery Symptoms in Hindi)

बेसिलरी पेचिश के लक्षण आम तौर पर संक्रमण के एक-दो दिन बाद शुरू होते हैं और ये लक्षण 7 दिनों तक रह सकते हैं (2)।

इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  • दस्त, जिसमें खून हो सकता है
  • बुखार, 100.4°F (38°C) या इससे अधिक
  • आंतें खाली होने पर भी मल को बाहर निकालने की आवश्यकता महसूस होना
  • पेट में ऐंठन या दर्द

आमतौर पर इसके लक्षण 5 से 7 दिनों के बीच रहते हैं। हालाँकि, कुछ व्यक्तियों में चार सप्ताह या उससे अधिक समय तक भी लक्षण रह सकते हैं (3)। कुछ मामलों में, किसी व्यक्ति की आंत्र संबंधी लक्षण ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स (antibiotics) बीमारी की अवधि को काफी हद तक कम कर सकते हैं और संक्रमण को दूसरों तक फैलने से भी रोक सकते हैं। लेकिन, आमतौर पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब लक्षण गंभीर हों।

2) अमीबिक पेचिश के लक्षण – (Amoebic Dysentery Symptoms in Hindi)

अमीबिक पेचिश से पीड़ित व्यक्ति को नीचे बताए गए लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है (4):

  • दस्त जिसमें रक्त, बलगम या मवाद (pus) हो सकता है
  • थकान
  • ठंड लगने के साथ बुखार आना

एक चिकित्सक परजीवी संक्रमण को खत्म करने के लिए आपको आवश्यक दवाएं दे सकता है।

पेचिश (आंव) के कारण क्या हैं? – (What are The Causes of Dysentery in Hindi?)

पेचिश (pechis in hindi) दो अलग-अलग प्रकार की होती है, प्रत्येक के अपने-अपने कारण होते हैं। इन पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

1) शिगेलोसिस या बेसिलरी पेचिश के कारण – (Shigellosis or Bacillary Dysentery Causes in Hindi)

बेसिलरी पेचिश शिगेला जीवाणु के कारण होता है। यह शिगेला बैक्टीरिया आपको नीचे उल्लिखित तरीकों से संक्रमित कर सकता है (5):

  • शिगेला बैक्टीरिया से दूषित भोजन का सेवन करना
  • जब कोई व्यक्ति बाथरूम में जाकर अपने हाथ ठीक से नहीं धोता है
  • जब कोई व्यक्ति शिगेला बैक्टीरिया से दूषित सतह को छूता है और फिर अपनी नाक, मुंह और आंखों को छूता है
  • बेसिलरी पेचिश का इलाज करा रहे व्यक्ति के साथ यौन संपर्क
  • तैरते समय झील या नदी का पानी निगलना

बीमारी के लक्षणों से उबरने के बाद शिगेला बैक्टीरिया एक से दो सप्ताह तक व्यक्ति के मल में बना रह सकता है (5)। दूसरों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को कठोर स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए।

2) अमीबियासिस या अमीबिक पेचिश के कारण – (Amoebiasis or Amoebic Dysentery Causes in Hindi)

एंटअमीबा हिस्टोलिटिका वह परजीवी है जो अमीबिक पेचिश (amoebic dysentery in hindi) का कारण बनता है।

अधिकांश मामलों में, अमीबिक पेचिश तब होती है जब मनुष्य एंटामोइबा के अंडे से (मल के माध्यम से) दूषित पानी या भोजन का सेवन करता है (6)।

निम्नलिखित व्यक्तियों को अक्सर तीव्र अमीबिक पेचिश (acute amebic dysentery in hindi) होने का खतरा होता है:

  • प्रेग्नेंट औरत
  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड लेने वाले व्यक्ति
  • नवजात बच्चे
  • कुपोषित व्यक्ति
  • कैंसर से पीड़ित व्यक्ति

पेचिश से मिलती जुलती अन्य स्थितियां – (Similar Symptomatic Conditions in Hindi)

कुछ बीमारियाँ पेचिश (आंव) के समान लक्षण दिखा सकती हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

1) ई. कोलाई से संक्रमण – (Infection with Escherichia Coli in Hindi)

यह एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण है। आमतौर पर यह दूषित खाद्य पदार्थों, जैसे अधपके मांस, कच्चा दूध, दूषित कच्ची सब्जियां आदि के सेवन से मनुष्यों में फैलता है (7)। इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  • दस्त (कभी कभी खून के साथ)
  • पेट में ऐंठन
  • बुखार

2) एंटीबायोटिक का प्रयोग – (Usage of Antibiotics in Hindi)

एंटीबायोटिक के उपयोग से क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (clostridium difficile) नामक बैक्टीरिया की अत्यधिक वृद्धि हो सकती है, और इससे स्यूडोमेम्ब्रेनस कोलाइटिस (बड़ी आंत की सूजन) हो सकती है।

स्यूडोमेम्ब्रेनस कोलाइटिस (pseudomembranous colitis) के विभिन्न लक्षणों में से कुछ निम्नलिखित हैं (8):

  • पेट में ऐंठन
  • बुखार

3) हुकवर्म संक्रमण – (Hookworm Infection in Hindi)

यह एक परजीवी रोग (parasitic disease) है जिसके परिणामस्वरूप खूनी दस्त हो सकता है। यह संक्रमण गर्म और आर्द्र मौसम तथा अपर्याप्त स्वच्छता वाले क्षेत्रों में अधिक होता है (9)। इसके फैलने का प्राथमिक तरीका नंगे पैर चलने पर दूषित (contaminated) मिट्टी के संपर्क में आना है।

मामूली बीमारी वाले व्यक्तियों में ज्यादातर कोई लक्षण नहीं होता है। अधिकांश मामलों में, खुजली के साथ-साथ स्थानीयकृत दाने संक्रमण के प्रारंभिक संकेतक (initial indicators) होते हैं। इसका गंभीर संक्रमण होने पर निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  • भूख में कमी
  • वज़न घटना
  • थकान

पेचिश का निदान कैसे किया जाता है? – (How is Dysentery Diagnosed in Hindi?)

एक व्यक्ति जो तीव्र पेचिश (आंव) के लक्षणों का सामना कर रहा है, उसे उचित निदान और उपयुक्त उपचार के लिए चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

पेचिश (डिसेंट्री) का निदान एक चिकित्सक निम्नलिखित तरीके से कर सकता है:

  • शारीरिक परीक्षण करके (पेट के निचले हिस्से में हाथ लगाने पर दर्द मौजूद हो सकती है)
  • व्यक्ति के लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछताछ करके, जैसे ये लक्षण कब शुरू हुए आदि
  • पूछताछ करके कि क्या वह व्यक्ति (मरीज) विदेश यात्रा से लौटा है

दस्त कई स्थितियों के कारण हो सकता है। यदि आपमें पेचिश (pechis in hindi) के अन्य लक्षण नहीं हैं, तो आपका डॉक्टर यह तय करने के लिए नैदानिक परीक्षण (diagnostic testing) का सुझाव देगा कि कौन से बैक्टीरिया मौजूद हैं। इसमें रक्त परीक्षण और मल के नमूने का प्रयोगशाला परीक्षण शामिल है।

यदि कोई व्यक्ति यात्रा से लौटा है, तो उसे एक या अधिक मल के नमूने देने की आवश्यकता हो सकती है। और यदि अमीबिक पेचिश का संदेह है, लेकिन रोगी के मल का नमूना परजीवी के लिए नकारात्मक है, तो रोगी को आंतों की म्यूकोसल सतह (mucosal surface) की जांच करने के लिए कोलोनोस्कोपी (colonoscopy) की आवश्यकता हो सकती है।

संदिग्ध लिवर एब्सेस (Liver Abscess) वाले रोगी को एब्सेस के निदान में सहायता के लिए हिपेटिक फ्लूइड एस्पिरेशन (hepatic fluid aspiration) की आवश्यकता हो सकती है (6)।

यदि किसी मरीज के लक्षण बने रहते हैं, तो उनका डॉक्टर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डायग्नोस्टिक इमेजिंग, जैसे अल्ट्रासाउंड स्कैन या एंडोस्कोपी का सुझाव दे सकता है।

पेचिश (डिसेंट्री) का इलाज क्या है? – (What is the Treatment of Dysentery in Hindi?)

प्रयोगशाला अध्ययन यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि पेचिश (pechis) शिगेला, एंटअमीबा या किसी अन्य रोगज़नक़ (pathogen) के कारण हुआ है (10)। आपका चिकित्सक आपका उपचार निर्धारित करने से पहले इस जानकारी पर विचार करता है।

दस्त या उल्टी का अनुभव करने वाले मरीज को निर्जलीकरण से बचने के लिए बहुत सारा पानी पीना चाहिए। गंभीर निर्जलीकरण के लिए अंतःशिरा द्रव पुनःपूर्ति (intravenous fluid replenishment) की आवश्यकता हो सकती है (11)।

1) बेसिलरी पेचिश का इलाज – (Treatment of Bacillary Dysentery in Hindi)

चूँकि पेचिश (pechis in hindi) आम तौर पर 3-7 दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाती है, इसलिए अधिकांश रोगियों को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। यदि कोई व्यक्ति दस्त से पीड़ित है, तो निर्जलीकरण को रोकने के लिए उसे पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए। यदि मल में खून आ रहा हो तो डायरिया-रोधी दवाओं (anti-diarrheal medications) के सेवन से बचना चाहिए।

बिस्मथ सबसालिसिलेट (bismuth subsalicylate) जैसी ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएं पेट की ऐंठन और दस्त से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं। दर्दनाक ऐंठन से राहत के लिए एसिटामिनोफेन (acetaminophen) जैसी ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवा ली जा सकती है।

आपको ओवर-द-काउंटर (OTC) डायरिया-रोधी दवा से बचना चाहिए जो आंतों की गति को धीमा कर देती है, जैसे लोपरामाइड (loperamide) या एट्रोपिन-डाइफेनोक्सिलेट (atropine-diphenoxylate), जो पेचिश (डिसेंट्री) को बदतर बना सकती है।

यदि दस्त या अन्य लक्षण तीव्र हैं, तो चिकित्सक आपको एंटीबायोटिक दवाएं दे सकता है। लेकिन कभी-कभी इसका कारण बनने वाले बैक्टीरिया अक्सर प्रतिरोधी (resistant) होते हैं। इसलिए यदि आपका डॉक्टर एंटीबायोटिक की सिफारिश करता है और कुछ दिनों के बाद भी आपकी स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो शिगेला बैक्टीरिया प्रतिरोधी (resistant) हो सकता है, और आपके डॉक्टर को आपकी उपचार योजना को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है।

2) अमीबिक पेचिश का इलाज – (Amoebic Dysentery Treatment in Hindi)

अमीबिक पेचिश से पीड़ित व्यक्तियों को परजीवी बीमारी के इलाज के लिए दवा दी जाती है (6)।

यदि आपको लक्षणों के साथ अमीबिक पेचिश है, तो आप अपने रक्त, यकृत और आंतों में परजीवियों को खत्म करने के लिए दवा ले सकते हैं। आपको लगभग 10 दिनों तक इन दवाओं का सेवन करने की आवश्यकता हो सकती है।

अमीबिक पेचिश की दवा – (Medicines for Amoebic Dysentery in Hindi)

जिन लोगों को अमीबिक पेचिश होती है, उन्हें मेट्रोनिडाज़ोल (metronidazole) या टिनिडाज़ोल (tinidazole) या ऑर्निडाज़ोल (ornidazole) का सेवन कराया जाता है। ये दवाएं परजीवियों (parasites) को खत्म करने में सक्षम हैं। कुछ मामलों में, यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी परजीवी समाप्त हो गए हैं, अनुवर्ती दवा (follow-up medication) का उपयोग किया जाता है।

दुर्लभ स्थितियों में, अमीबिक पेचिश आंतों की समस्याओं या लिवर एब्सेस (Liver Abscess) जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है। ऐसे मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

पेचिश की जटिलताएँ क्या हैं? – (What are the Complications of Dysentery in Hindi?)

पेचिश (pechis in hindi) से पीड़ित व्यक्ति को कुछ गंभीर चिकित्सीय जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, ये ज्यादातर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में अधिक देखने को मिलती हैं।

पेचिश (डिसेंट्री) से संबंधित कुछ जटिलताएँ (dysentery-related complications in hindi) इस प्रकार हैं:

1) निर्जलीकरण – (Dehydration)

बार-बार दस्त और उल्टी होने से निर्जलीकरण हो सकता है। यह नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में जीवन के लिए खतरा (life-threatening) भी बन सकता है।

2) रक्त प्रवाह संक्रमण – (Blood stream infections)

एचआईवी या कैंसर रोगियों जैसे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में ये संक्रमण विकसित हो सकता है।

3) लिवर एब्सेस – (Liver Abscess) 

अमीबिक पेचिश के परिणामस्वरूप लिवर एब्सेस जैसी जटिलता हो सकती है (12)।

4) पोस्ट-इन्फेक्शियस आर्थराइटिस – (Post-infectious Arthritis – PIA)

पोस्ट-इन्फेक्शियस आर्थराइटिस लगभग 2% रोगियों में होता है, जो शिगेला फ्लेक्सनेरी (S. flexneri) नामक शिगेला जीवाणु के एक विशिष्ट प्रकार से पीड़ित होते हैं। इन व्यक्तियों को जोड़ों में दर्द, पेशाब करने में दर्द, और आंखों में जलन हो सकती है। यह गठिया (PIA) महीनों या वर्षों तक रह सकता है।

5) हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम – (Hemolytic Uremic Syndrome – HUS)

यह एक विकार है जिसमें गुर्दे की छोटी रक्त वाहिकाएं सूज जाती हैं और क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यह शिगेला डिसेन्टेरिया (S. dysenteriae) के कारण होने वाले शिगेला संक्रमण की एक असामान्य जटिलता है।

जिस किसी को भी लगे कि उसे पेचिश (pechis in hindi) से संबंधित जटिलता हो रही है, उसे तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए।

पेचिश की रोकथाम – (Prevention of Dysentery in Hindi)

पेचिश का प्रकोप (outbreaks) अक्सर खराब स्वच्छता या साफ-सफाई की कमी के कारण होता है। इस बीमारी से बचने के लिए, व्यक्तियों को नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से धोने चाहिए, खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन तैयार करने से पहले।

गर्म और आर्द्र जलवायु, तथा खराब स्वच्छता वाले स्थानों पर जाने वाले व्यक्तियों को पेचिश (pechis) होने का अधिक खतरा होता है। ऐसे स्थानों पर जाते समय व्यक्ति को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  • केवल उसी पानी का सेवन करें जो भरोसेमंद स्रोत से हो, जैसे बोतलबंद पानी।
  • पीने से पहले यह जांच लें कि पानी की बोतलों की सील टूटी हुई है या नहीं
  • अपने दाँत साफ करते समय केवल बोतलबंद या फ़िल्टर्ड पानी का उपयोग करें;
  • छीले हुए फल या सब्जियों को खाने से बचें, जब तक कि आप उन्हें स्वयं न छीलें
  • बर्फ के टुकड़ों का उपयोग न करें, क्योंकि जल स्रोत दूषित हो सकता है
  • अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं।
  • सड़क विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले भोजन और पेय पदार्थों को खाने से बचें

जब आपका कोई करीबी पेचिश (डिसेंट्री) से पीड़ित हो, तो:

  • हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें या अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं
  • खाना पकाने या खाने से पहले हमेशा अपने हाथ धोएं।
  • पेचिश से पीड़ित व्यक्ति के साथ कप, तौलिये या अन्य व्यक्तिगत वस्तुएँ साझा न करें।

आउटलुक – (Outlook in Hindi)

पेचिश (डिसेंट्री) खराब स्वच्छता की आदतों या खराब स्वच्छता वाले स्थानों की यात्रा के परिणामस्वरूप हो सकता है। डिसेंट्री के हल्के लक्षण आमतौर पर बिना चिकित्सकीय सहायता के अपने आप ठीक हो जाते हैं।

हालाँकि, जिन लोगों में गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं उन्हें डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। पेचिश की किसी भी संभावित जटिलता से बचने के लिए उपचार आवश्यक है।

सारांश – (Summary in Hindi)

पेचिश (डिसेंट्री) एक संक्रमण के साथ-साथ आंतों की सूजन है, जिसके परिणामस्वरूप खूनी या बलगम वाला दस्त होता है। मतली, पेट दर्द, बुखार और उल्टी इसके अन्य संभावित लक्षण हैं। यह स्थिति बैक्टीरिया या परजीवी संक्रमण के कारण हो सकती है।

पेचिश (pechis in hindi) का प्रकोप गर्म, आर्द्र जलवायु और खराब स्वच्छता वाले क्षेत्रों में अधिक होता है। उच्च जोखिम वाले स्थानों पर जाते समय उचित सावधानी बरतने और अच्छी स्वच्छता की आदतों से पेचिश को रोका जा सकता है।

ज्यादातर पेचिश (आंव) के अधिकांश मामले हल्के होते हैं और उन्हें किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए उनकी देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरी ओर, जिन व्यक्तियों को गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ता है, उन्हें निदान के साथ-साथ उपयुक्त चिकित्सा के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। इससे जटिलताओं की संभावना कम हो जाती है।


संदर्भ (References):

1) DYSENTERY (SHIGELLOSIS)

https://www.who.int/selection_medicines/committees/expert/21/applications/s6_paed_antibiotics_appendix5_dysentery.pdf?ua=1

2) Shigella

https://www.cdc.gov/shigella/general-information.html

3) Shigella Symptoms

https://www.cdc.gov/shigella/symptoms.html

4) Amebiasis

https://www.cdc.gov/parasites/amebiasis/general-info.html

5) Shigella – Sources of Infection and Risk Factors

https://www.cdc.gov/shigella/infection-sources.html

6) Amebiasis

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK519535/

7) E. coli

https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/e-coli

8) Pseudomembranous Colitis

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK470319/

9) Hookworm FAQs

https://www.cdc.gov/parasites/hookworm/gen_info/faqs.html

10) Amebiasis – General Information

https://www.cdc.gov/parasites/amebiasis/general-info.html

11) Diarrhoea and Vomiting Caused by Gastroenteritis: Diagnosis, Assessment and Management in Children Younger than 5 Years.

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK63837/

12) Amebic Liver Abscess

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK430832/

13) Dysentery: Types, Causes, Symptoms, Treatment, & Prevention


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


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