फ्लू (इन्फ्लूएंजा) – Flu (Influenza) in Hindi

दोस्तो, इस लेख में मैं आपको फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के कारण,वायरस, लक्षण, वैक्सीन, सीजन, और इलाज (Flu (Influenza) ke karan, virus, lakshan, vaccine, season, aur ilaj in Hindi) के बारे में विस्तार से बताऊंगा |

Table of Contents

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) क्या है? (What Is the Flu (Influenza) in Hindi?)

इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर फ्लू के रूप में भी जाना जाता है, इन्फ्लूएंजा वायरस (influenza virus) के कारण होने वाला एक श्वसन तंत्र संक्रमण (respiratory tract infection in hindi) है |

इन्फ्लूएंजा वायरस चार प्रकार के होते हैं और ये हैं टाइप ए, टाइप बी, टाइप सी और टाइप डी |

इन चार प्रकारों में से तीन को मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है, जबकि चौथा प्रकार (अर्थात टाइप डी) मानवों को संक्रमित नहीं करता |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) मुख्य रूप से फेफड़े, नाक और गले को प्रभावित करता है |

इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं। यह संक्रमण उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों (people with a weakened immune system in hindi), छोटे बच्चों, पुरानी बीमारी से ग्रस्त लोगों, गर्भवती महिलाओं, या बुजुर्ग व्यक्तियों में घातक साबित हो सकता है |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के सबसे सामान्य लक्षण गले में खराश, बहती नाक, तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, आर्थ्राल्जिया (arthralgia in hindi), माइलगिया (myalgia in hindi) और थकान हैं |

यह संक्रमण सीधे संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने या छींकने से हवा से फैलता है; या परोक्ष रूप से वस्तुओं (संक्रमित व्यक्ति द्वारा दूषित) के संपर्क में आने के बाद वायरस के नाक, आंख या मुंह में स्थानांतरित होने से फैलता है |

इसके लक्षण आमतौर पर वायरस के प्रारंभिक संपर्क के एक से चार दिन बाद दिखाई देते हैं और ज्यादातर, सात से चौदह दिनों तक रहते हैं।

जिन लोगों को फ्लू की वैक्सीन लगी हो, उन लोगों में ये लक्षण कम दिनों तक रह सकते हैं और कम गंभीर हो सकते हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के क्या कारण हैं? (What Causes the Flu (Influenza) in hindi?)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) एक इन्फ्लूएंजा वायरस (influenza virus in hindi) के कारण होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन संक्रमण (contagious respiratory infection in hindi) है |

इन्फ्लूएंजा वायरस के चार प्रकार (four genera) हैं, और ये हैं:

1) इन्फ्लूएंजा वायरस ए,

2) इन्फ्लूएंजा वायरस बी,

3) इन्फ्लूएंजा वायरस सी, और

4) इन्फ्लूएंजा वायरस डी।

ये वायरस निगेटिव-स्ट्रैंड आरएनए वायरस हैं और ऑर्थोमेक्सोविरिडी (Orthomyxoviridae) के परिवार से संबंधित हैं |

इन्फ्लूएंजा वायरस ए (Influenza Virus A in Hindi)

ये वायरस पक्षियों और कुछ स्तनधारियों (mammals) में इन्फ्लूएंजा का कारण बनते हैं |

ये जंगली पक्षियों और घरेलू मुर्गियों, दोनों में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं | कभी-कभी ये वायरस जंगली पक्षियों से घरेलू मुर्गियों में स्थानांतरित हो जाते हैं और मानव इन्फ्लूएंजा महामारी (human influenza pandemic) का कारण बन सकते हैं |

दोस्तों, अब मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि इन वायरस के उपप्रकार को कैसे लेबल किया जाता है, लेकिन इससे पहले, आपको पता होना चाहिए कि हेमोग्लगुटिनिन (hemagglutinin) और न्यूरोमिनिडेस (neuraminidase) क्या है |

हेमाग्लगुटिनिन एक होमोट्रिमिक (homotrimeric) ग्लाइकोप्रोटीन है जो इन्फ्लूएंजा वायरस की सतह पर पाया जाता है |

और न्यूरोमिनिडेस एक एंजाइम है जो न्यूरामिनीक एसिड्स (neuraminic acids) के ग्लाइकोसिडिक लिंकेज के टूटने को उत्प्रेरित (catalyze) करता है |

इस जीनस में कई उपप्रकार होते हैं जिन्हें हेमाग्लगुटिनिन (इसे इसका एच नंबर कहा जाता है) के प्रकार और न्यूरोमिनिडेस (इसे इसका एन नंबर कहा जाता है) के प्रकार के अनुसार लेबल किया जाता है |

एच एंटीजन की ज्ञात संख्या 18 (एच 1 से एच 18) और एन एंटीजन की ज्ञात संख्या 11 (एन 1 से एन 11) है |

ये वायरस उपप्रकार (virus subtypes in hindi) अपने स्वयं के संक्रामक प्रोफ़ाइल (infective profile in hindi) के साथ कई उपभेदों (strains) में बदल गए हैं | यहाँ यह जानना भी आवश्यक है कि कुछ उपभेद एक प्रजाति (species) के लिए संक्रामक हो सकते हैं और दूसरों के लिए नहीं; जबकि कुछ उपभेद कई प्रजातियों के लिए संक्रामक हो सकते हैं |

H1N1, H1N2, H2N2, H5N1, H3N2, H7N7, H7N9 कुछ इन्फ्लूएंजा ए वायरस के उपप्रकार हैं जिनकी मनुष्यों में पुष्टि की गई हैं |

इन्फ्लूएंजा वायरस बी (Influenza Virus B in Hindi)

इस जीनस में केवल एक प्रजाति है | यह केवल सील (seals) और मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है |

मनुष्यों में यह वायरस केवल मानव से मानव में ही फैल सकता है |

इन्फ्लूएंजा बी वायरस इन्फ्लूएंजा ए वायरस की तुलना में 2 से 3 गुना धीमा म्यूटेट (mutate) करता है |

इसकी सीमित होस्ट रेंज और एंटीजेनिक परिवर्तन की कम दर, पुष्टि करती है कि इन्फ्लूएंजा बी वायरस महामारी का कारण नहीं बन सकता | परंतु इससे मौसमी प्रकोप (seasonal outbreaks) हो सकता है |

इसमें हेमाग्लगुटिनिन और न्यूरामिनिडेस से बनी लगभग 500 सरफेस प्रोजेक्शन्स (surface projections)होती हैं |

इन्फ्लूएंजा वायरस सी (Influenza Virus C in Hindi)

ये वायरस इंसानों और सुअरों को संक्रमित करते हैं |

इन्फ्लूएंजा सी वायरस के कारण होने वाला फ्लू आमतौर पर टाइप ए या टाइप बी के कारण होने वाले फ्लू से हल्का होता है |

इन वायरस में 7 आरएनए सेगमेंट (RNA segments) होते हैं, जबकि टाइप ए और टाइप बी में 8 आरएनए सेगमेंट होते हैं |

इन्फ्लूएंजा सी वायरस में एंटीजेनिक ड्रिफ्ट (antigenic drift) की क्षमता नहीं होती इसीलिए यह महामारी का कारण नहीं बनता | अतः इसे मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता नहीं माना जाता है |

इन्फ्लूएंजा वायरस डी (Influenza Virus D in Hindi)

ये वायरस मवेशियों और सूअरों को संक्रमित करते हैं, लेकिन आज तक ये इंसानों को संक्रमित करने के लिए नहीं जाने जाते | टाइप सी की तरह इनमें भी 7 आरएनए सेगमेंट हैं |

इन्फ्लूएंजा डी वायरस में भी एंटीजेनिक शिफ्ट (antigenic shift) की क्षमता नहीं है, इसलिए ये भी किसी महामारी का कारण नहीं बन सकते |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) कैसे फैलता है? (How Does the Flu (Influenza) Spread in Hindi?)

फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, और ये वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों, नाक और गले को प्रभावित करते हैं |

ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।

जब फ्लू से संक्रमित व्यक्ति खाँसता है, बात करता है, या छींकता है, तो वायरस बूंदों (droplets) में हवा के माध्यम से फैलता है; और यदि आप इस वायरस को सांस से अपने अंदर लेते हैं तो आप इस संक्रमण से संक्रमित हो जाते हैं |

या यदि आप उस वस्तु या सतह को छूते हैं जिस पर वायरस है और फिर अपनी आँखों, नाक या मुंह को स्पर्श करते हैं तो भी आप इस संक्रमण से संक्रमित हो जाते हैं |

संक्रमित व्यक्ति अपने लक्षणों के विकसित होने के एक दिन पहले और बीमार होने के 5 से 7 दिन बाद तक दूसरे लोगों को संक्रमित करने में सक्षम होता है |

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग (People with a weakened immune system) या छोटे बच्चे संक्रमण को लंबे समय तक फैलाने में सक्षम हो सकते हैं, खासकर यदि उनमें अभी भी लक्षण हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के क्या लक्षण हैं? (What Are The Symptoms Of The Flu (Influenza) in hindi?)

दोस्तों, फ्लू के लक्षण (इन्फ्लूएंजा) आमतौर पर वायरस के प्रारंभिक संपर्क (initial exposure) के एक से चार दिन के बाद दिखाई देते हैं | पहला लक्षण ज्यादातर ठंड लगना और शरीर में दर्द होना होता है, जिसमें बुखार 100 से 104 ° F तक हो सकता है |

लेकिन दोस्तों, यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग एक तिहाई रोगी स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) होते हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के कुछ सामान्य लक्षण हैं (Some of the common symptoms of the Flu (influenza) in hindi):

बुखार

दोस्तो, फ्लू का सबसे आम लक्षण रोगी के शरीर के तापमान में वृद्धि यानी बुखार है |

फ्लू से जुड़ा बुखार आमतौर पर 100 ° F से 104 ° F तक होते है |

इस संक्रमण से पीड़ित छोटे बच्चों में वयस्कों की तुलना में बुखार ज्यादा तेज हो सकता है |

बुखार के साथ ठंड लगना या पसीना आना जैसे लक्षण भी मौजूद हो सकते हैं | ज्यादातर बुखार 3 से 4 दिनों के भीतर कम हो जाता है |

खांसी

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) में लगातार सूखी खांसी (persistent dry cough) बहुत आम लक्षण है | हालांकि गीली खांसी (productive cough) एक दुर्लभ लक्षण  है, परंतु फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के प्रारंभिक चरण में मौजूद हो सकती है |

कभी-कभी आपको सीने में जकड़न या सांस की तकलीफ भी हो सकती है | फ्लू से जुड़ी खांसी ज्यादातर 1 सप्ताह में कम हो जाती है लेकिन फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों और वृद्ध व्यक्तियों में खांसी 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकती है |

पहले से फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को आगे की जटिलताओं से बचने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए |

बंद नाक (Nasal Congestion in Hindi)

फ्लू वायरस नाक गुहा (nasal cavity) की सूजन का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप नाक बंद हो जाता है या बहने लगता है (rhinorrhea) |

यह असुविधाजनक स्तिथि जिसे स्ट्फी नोज (stuffy nose) कहते हैं, इसमें नाक भरी हुई महसूस होती है और सांस लेने में भी  मुश्किल होती है |

गीली आखें (Watery Eyes in Hindi)

संक्रमण से लड़ते समय श्वेत रक्त कोशिकाएं उन पदार्थों का निर्माण करती हैं जो आंसू वाहिनी (जो आंख से आंसू को नाक गुहा में ले जाती है) की सूजन का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वाहिनी बंद हो जाती है |

नतीजन इससे आँखों से ज्यादा आंसू निकलने लगते हैं, और असुविधा की अनुभूति होती है |

सिरदर्द (Headache in Hindi)

एक गंभीर सिरदर्द फ्लू का पहला लक्षण हो सकता है |

फ्लू में सिरदर्द संक्रमण से लड़ने वाले साइटोकिन्स (cytokines) नामक अणुओं का परिणाम हो सकता है, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा छोड़े जाते हैं। ये अणु संक्रमण से लड़ते हुए सूजन पैदा करते हैं, और कुछ व्यक्तियों में सिरदर्द का कारण बन सकते हैं |

बढ़े हुए बलगम को समायोजित करने के लिए साइनस गुहाओं की सूजन के कारण होने वाला दबाव भी फ्लू में सिरदर्द का एक और कारण है |

कभी-कभी, सिरदर्द के साथ ध्वनि और प्रकाश संवेदनशीलता भी मौजूद हो सकती है |

थकान (Fatigue in Hindi)

अचानक और अत्यधिक थकान फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के लक्षणों में से एक है। यह अत्यधिक थकान आपकी सामान्य दिनचर्या की गतिविधियों में बाधा डाल सकती है |

इसलिए अपने शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, और साथ ही यह आपको संक्रमण से लड़ने में मदद भी करता है |

मांसपेशियों में दर्द (Muscle Pains in Hindi)

मांसपेशियों में दर्द फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के सामान्य लक्षण हैं |

फ्लू से संबंधित मांसपेशियों में दर्द शरीर में कहीं भी उत्पन्न हो सकता है, लेकिन फिर भी यह दर्द आपकी पीठ, पैर, हाथ और गर्दन की मांसपेशियों को ज्यादा प्रभावित करता है |

गले में खराश (Sore Throat in Hindi)

गले में खराश खांसी के साथ या उसके बिना हो सकती है |

संक्रमण के शुरुआती चरण में आपके गले में खराश महसूस हो सकती है | पेय या भोजन निगलने पर एक अजीब सा एहसास होता है |

जठरांत्र संबंधी समस्याएं (Gastrointestinal Problems in Hindi)

इन्फ्लूएंजा वायरस के कुछ उपभेदों (strains) से मतली, पेट दर्द, दस्त या उल्टी जैसी जठरांत्र संबंधी समस्याएं (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं) हो सकती हैं |

कान का दर्द (Earache in Hindi)

इस संक्रमण से यूस्टेशियन ट्यूब (गले और मध्य कान को जोड़ने वाली ट्यूब) और कान के परदे में सूजन हो जाती है, जिससे कान का दर्द उत्पन्न हो जाता है | यह दर्द तीव्र या मंद होता है, तथा आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है |

लेकिन कभी-कभी कान में द्वितीय संक्रमण (secondary infection) भी हो सकता है, और यह दर्द अधिक तीव्र होता है। ऐसा होने पर आपको अपने डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के वयस्कों में वे लक्षण, जब उन्हें चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए (Flu (Influenza) Symptoms In Adults When they Should Seek Medical Help in Hindi)

मैंने आपको फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के सामान्य लक्षणों के बारे में बताया है, अब मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि वयस्कों में कौन से लक्षण उत्पन्न होने पर उन्हें चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए |

वयस्कों में फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के वो लक्षण जब उन्हें चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए (Flu or influenza symptoms in adults when they should seek medical help in Hindi):

  • सीने में तेज दर्द या दबाव
  • भ्रम की स्थिति
  • चक्कर आना
  • साँस लेने में कठिनाई
  • लगातार उल्टी होना
  • भयानक सिरदर्द (Severe headache in hindi)
  • बुखार या खांसी जो सुधर रही थी और फिर अचानक खराब हो गई हो
  • निर्जलीकरण (dehydration) के संकेतों की उपस्थिति, जैसे पेशाब का न आना, आदि
  • पुरानी चिकित्सा स्थितियों का बिगड़ना (Worsening of chronic medical conditions in hindi)

बच्चों में फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के वो लक्षण, जब उन्हें चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए (Flu or Influenza Symptoms In Children When They Should Seek Medical Help in Hindi)

बच्चों में वो लक्षण जब उन्हें चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए:

  • सुस्ती (Lethargy in hindi)
  • तेजी से साँस लेना (Rapid breathing)
  • सांस लेने में कठिनाई
  • 104 ° F से ऊपर बुखार
  • नीला चेहरा या होंठ (Bluish face or lips)
  • चकत्ते के साथ बुखार (Fever with rash in hindi)
  • अत्यधिक चिड़चिड़ापन
  • बुखार या खांसी जो सुधर रही थी और फिर अचानक खराब हो गई हो
  • निर्जलीकरण के संकेतों की उपस्थिति, जैसे रोने पर आंसू ना आना, 8 घंटे तक पेशाब नहीं करना आदि।
  • पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीना
  • पुरानी चिकित्सा स्थितियों का बिगड़ना

शिशुओं में फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के लक्षण (Flu or Influenza Symptoms In Babies in Hindi)

दोस्तो, शिशुओं में फ्लू का संक्रमण खतरनाक हो सकता है। यदि शिशु इस संक्रमण से ग्रसित हो जाते हैं तो उनके माता-पिता को चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।

शिशुओं में इसके लक्षण हैं:

  • 100 ° F या इससे ऊपर का बुखार
  • दस्त या उल्टी
  • बंद नाक या बहती नाक
  • बहुत थकान या नींद आना
  • गले में खराश
  • खांसी

यदि शिशु में ये लक्षण उत्पन्न हो जाएँ तो उसे आपातकालीन चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता होती है:

  • बुखार या खांसी जो सुधर रही थी और फिर अचानक खराब हो गई हो
  • चेहरे या होंठ का नीला रंग
  • तेजी से साँस लेना
  • चकत्ते के साथ बुखार (Fever with rash)
  • 104 ° F से ऊपर बुखार
  • प्रत्येक सांस के साथ पसलियों को खींचना (Pulling ribs in with each breath)
  • निर्जलीकरण के संकेतों की उपस्थिति, जैसे रोने पर आंसू नहीं आना, 8 घंटे तक पेशाब नहीं करना आदि।
  • लगातार उल्टी होना

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की जटिलताएं क्या हैं? (What Are the Flu or Influenza Complications in Hindi?)

अधिकांश लोग, जो फ्लू से संक्रमित हो जाते हैं, आमतौर पर एक से दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों में फ्लू के संक्रमण के कारण खतरनाक और यहां तक कि जीवन के लिए खतरनाक जटिलताएं उत्पन्न हो जाति हैं |

फ्लू की सबसे आम जटिलताएँ हैं (most common complications of the flu in Hindi):

  • वायरल या बैक्टीरियल निमोनिया
  • कान के संक्रमण
  • निर्जलीकरण
  • साइनस संक्रमण
  • पुरानी चिकित्सीय स्थितियों जैसे अस्थमा, मधुमेह, आदि का बिगड़ना
  • ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
  • मायोसाइटिस (Myositis)
  • तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (Acute respiratory distress syndrome)
  • दिल की समस्याएं जैसे मायोकार्डिटिस (myocarditis), पेरिकार्डिटिस (pericarditis), आदि।
  • इंसेफेलाइटिस (Encephalitis )

कान और साइनस संक्रमण फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की मध्यम जटिलताओं के उदाहरण हैं, जबकि निमोनिया, एन्सेफलाइटिस, मायोकार्डिटिस, गंभीर फ्लू जटिलताओं के उदाहरण हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के जोखिम कारक क्या हैं? (What Are The Flu or Influenza Risk Factors in Hindi?)

दोस्तो, ये वो कारक हैं जो फ्लू के संक्रमण या इसकी जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weakened Immune System in Hindi)

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति में इस संक्रमण से संक्रमित होने की अधिक संभावना होती है और उनमें इसकी जटिलताओं के विकसित होने का जोखिम भी अधिक होता है | कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर, एचआईवी, आदि जैसी बीमारी के कारण हो सकती है, या इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं (immunosuppressant medicines) के उपयोग के कारण हो सकती है (जैसे अंग प्रत्यारोपण, आदि में) |

उम्र

जिन बच्चों की आयु 5 वर्ष से कम है, उन्हें फ्लू की जटिलताओं का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती है |

जो लोग 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं, उनमें भी फ्लू की जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली उम्र के साथ कमजोर हो जाती है |

पुरानी बीमारी (Chronic illnesses in Hindi)

अस्थमा, हृदय रोग, मधुमेह, यकृत रोग या गुर्दे की बीमारी आदि जैसी पुरानी चिकित्सा स्थितियों से ग्रस्त लोगों को फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है |

पर्यावरण की स्थिति (Environmental Conditions in Hindi)

जो लोग घनी आबादी वाले स्थानों पर काम करते हैं या रहते हैं (जैसे स्कूल, नर्सिंग होम, सैन्य बैरक, अस्पताल, कार्यालय भवन), उनमें फ्लू संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है |

गर्भावस्था

गर्भवती महिलाओं (विशेष रूप से दूसरी और तीसरी तिमाही) में गैर-गर्भवती महिलाओं की तुलना में फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है |

समय से पहले प्रसव या अजन्मे बच्चे में जन्म दोष (birth defects in the unborn child) फ्लू की गंभीर जटिलताएं हैं |

मोटापा

मोटे लोगों में फ्लू की जटिलताओं की संभावना अधिक होती है |

बच्चों और किशोरों में एस्पिरिन का उपयोग

जिन बच्चों और किशोरों को लंबे समय से एस्पिरिन थेरेपी दी जा रही हो, उन्हें फ्लू से संक्रमित होने पर रेये के सिंड्रोम (Reye’s syndrome) होने का खतरा होता है |

रेये का सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर विकार है जो यकृत और मस्तिष्क की क्षति का कारण बन सकता है | यह सिंड्रोम ज्यादातर बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है, जो फ्लू जैसे वायरल संक्रमण ठीक हो रहे होते हैं |

सर्दी (जुकाम) बनाम फ्लू (इन्फ्लूएंजा) – (Cold Vs. Flu or Influenza in Hindi)

सर्दी (जुकाम) और फ्लू दोनों वायरल श्वसन संक्रमण हैं और इन दोनों के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • छींक आना
  • बहती या भरी हुई नाक
  • शरीर में दर्द
  • थकान

अतः, सर्वप्रथम सर्दी (जुकाम) और फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के बीच अंतर बताना बहुत मुश्किल हो सकता है |

सर्दी और फ्लू (इन्फ्लूएंजा) में अंतर:

1) सर्दी (या जुकाम) के मुकाबले फ्लू के लक्षण अचानक प्रकट होते हैं |

2) फ्लू के लक्षण सर्दी से ज्यादा गंभीर होते हैं |

3) फ्लू निमोनिया, कान में संक्रमण या सेप्सिस जैसी अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है जबकि सर्दी शायद ही कभी ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है |

(इसे भी पढ़ें: सर्दी जुकाम की दवा, लक्षण, इलाज – Common Cold in Hindi)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का निदान कैसे किया जाता है? (How Is The Flu or Influenza Diagnosed in Hindi?)

दोस्तों, यहाँ आपको कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे:

  • फ्लू से संक्रमित व्यक्तियों में बुखार के साथ या बिना श्वसन लक्षण (respiratory symptoms) हो सकते हैं |
  • इसका संक्रमण ज्यादातर वर्ष के ठंडे महीनों के दौरान होता है, लेकिन यह वर्ष के अन्य महीनों में भी हो सकता है |
  • फ्लू के लक्षण अन्य श्वसन संक्रमण के समान हो सकते हैं |
  • लगभग एक तिहाई रोगी स्पर्शोन्मुख (asymptomatic ) होते हैं |

अतः अकेले लक्षणों के आधार पर फ्लू का निदान करना असंभव है |

इसलिए, फ्लू (या इन्फ्लूएंजा) का निदान करने के लिए फ्लू के कई प्रयोगशाला परीक्षण हैं |

उनमें से एक रैपिड आणविक परख (Rapid Molecular Assay) है | इस परीक्षण में, लक्षणों की शुरुआत के 3-4 दिनों के भीतर आपकी नाक के अंदर या आपके गले के पीछे एक स्वाब (swab) स्वाइप किया जाता है | इन्फ्लूएंजा वायरस के लिए इस स्वाब का परीक्षण किया जाता है |

कुछ परीक्षण 15-20 मिनट में परिणाम दे सकते हैं, लेकिन ये उन परीक्षणों की तरह सटीक नहीं होते हैं, जो आमतौर पर एक से कई घंटों में परिणाम देते हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) से कैसे बचाव करें? (How To Prevent The Flu or Influenza in hindi?)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वैक्सीन (Flu or Influenza Vaccine in Hindi)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों को संक्रमित करती है |

यह स्वस्थ व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है और वे अपने दोस्तों और परिवार को भी यह संक्रमण फैला सकते हैं | कुछ मामलों में, यह संक्रमण गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है और यहां तक कि जानलेवा भी हो सकता है |

इस संक्रमण से संबंधित मौतें वृद्ध लोगों में सबसे आम हैं, लेकिन युवा और स्वस्थ वयस्कों में भी हो सकती हैं |

इस संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका इसकी वैक्सीनेशन लेना है |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वैक्सीन, जिसे फ्लू शॉट या फ्लू जैब के रूप में भी जाना जाता है, को हर किसी के लिए वार्षिक रूप से अनुशंसित किया जाता है जो 6 महीने या उससे अधिक उम्र का है | यह वैक्सीन आपको इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाले संक्रमण से बचा सकती है, और इन्फ्लूएंजा से होने वाली गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने, और मृत्यु के जोखिम को कम करती है |

यह वैक्सीन आम तौर पर सुरक्षित है, लेकिन कुछ मामलों में मांसपेशियों में दर्द, थकान महसूस करना और बुखार हो सकता है |

इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन (Influenza vaccine in Hindi) निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है

इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन (Trivalent or quadrivalent intramuscular injection)

इस इंजेक्टेबल वैक्सीन में वायरस का निष्क्रिय रूप होता है और यह वायरस पर मौजूद एंटीजन के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) के आधार पर सुरक्षा प्रदान करती है |

नेसल स्प्रे (Nasal spray)

वैक्सीन के इस रूप में वायरस का एक जीवित क्षीण (यानी कमजोर) रूप होता है और नाक मार्ग में संक्रमण पैदा करके सुरक्षा को प्रेरित करता है |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की वैक्सीन किसे लेनी चाहिए? (Who should get the Flu or Influenza vaccine in Hindi?)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वैक्सीन या फ्लू शॉट हर किसी के लिए जो 6 महीने या उससे अधिक आयु का है प्रतिवर्ष लेने की सिफारिश की जाती है | जिन लोगों में इन्फ्लूएंजा की जटिलताओं के विकास का अधिक जोखिम हैं, उनके लिए इस वैक्सीन का बहुत महत्व है |

अलग-अलग उम्र के व्यक्तियों के लिए अलग-अलग वैक्सीन की अनुमति है | अतः प्रत्येक व्यक्ति को उसकी उम्र के लिए उपयुक्त वैक्सीन लेनी चाहिए |

जैसे युवा वयस्कों के लिए recombinant इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (recombinant influenza vaccine or RIV) की अनुमति दी जाती है, और 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए उच्च खुराक वाली निष्क्रिय वैक्सीन (high-dose inactivated vaccines) की सिफारिश की जाती है |

इन्फ्लूएंजा वैक्सीन के टीके आमतौर पर अंडे का उपयोग करके उत्पादित किए जाते हैं लेकिन फिर भी अंडे की एलर्जी वाले लोगों के लिए सुझाए गए हैं |

ये टिके, बिना अंडे का उपयोग करे भी उपलब्ध हैं और गंभीर रूप से अंडे से एलर्जी वाले लोगों को सुरक्षित रूप से दिए जा सकते हैं |

गर्भवती महिलाओं को भी इन्फ्लूएंजा वैक्सीन दी जा सकती है, चाहे वे गर्भावस्था के अपने किसी भी चरण में हों |

स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उनकी रक्षा के लिए और उनके शिशुओं में एंटीबॉडी भेजने के लिए, यह वैक्सीन दी जा सकती है |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) की वैक्सीन किसे नहीं लेनी चाहिए? (Who should not get the flu (influenza) vaccine in Hindi?)

इन लोगों को वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए:

  • जिन बच्चों की उम्र 6 महीने से कम है
  • जिन लोगों को अतीत में वैक्सीन से गंभीर एलर्जी हुई हो |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) को फैलने से रोकने के लिए की जाने वाली सावधानियां (Precautions To Be Taken To Reduce The Spread of the Flu or Influenza in Hindi)

इन्फ्लूएंजा के संक्रमण को रोकने में इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन बहुत मददगार है, लेकिन यह 100% प्रभावी नहीं है। इसलिए, लोगों को इस संक्रमण के फैलाव को कम करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, और ये सावधानियां हैं:

1) अपने हाथ धोना

इस वायरस के प्रसार (या फैलाव) को रोकने के लिए यह कदम सबसे अच्छा उपाय हो सकता है।

आपको कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को साबुन और पानी से साफ करना चाहिए, और यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं है (जैसे, यदि आप सार्वजनिक स्थानों पर जा रहे हैं) तो आप अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग कर सकते हैं।

अपने हाथों को साफ करना कुछ स्थितियों में अति आवश्यक हो जाता है, जैसे अगर आप खरीदारी करके आ रहे हैं, या सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने आदि के बाद | अपने हाथों को बार-बार साफ करने से आप उस वायरस को नष्ट कर सकते हैं जो आपके हाथों पर अन्य व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की गई सतहों को छूने से लग गया हो |

2) फेस मास्क का उपयोग

जब आप किसी व्यक्ति के आस-पास हों जो संक्रमित है, तो फेस मास्क का उपयोग आपको फ्लू से संक्रमित होने से बचा सकता है |

3) जब कोई संक्रमित व्यक्ति आपके आस-पास हो तो अपना चेहरा छूने से बचें

जब कोई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति आपके आस-पास हो, और वह सतहों को दूषित (contaminate) कर रहा हो, तो आपको अपने चेहरे (विशेष रूप से अपनी नाक और आंखों) को छूने से बचना चाहिए |

4) अपनी घरेलू सतहों को साफ रखें

एक संक्रमित व्यक्ति दरवाजे के हैंडल (doorknobs), बिजली के स्विच, रिमोट कंट्रोल, आदि का उपयोग करके उन्हें दूषित (contaminate) कर सकता है |

जब आपके परिवार में कोई व्यक्ति फ्लू से पीड़ित हो तो, आपको बार बार इन सतहों को एक अच्छे कीटाणुनाशक के साथ साफ़ करते रहना चाहिए |

5) यदि परिवार का कोई सदस्य फ्लू से पीड़ित है तो वस्तुओं को साझा करने से बचें

दोस्तों, यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति इस संक्रमण से संक्रमित है, तो आपको उस सदस्य के साथ पीने के गिलास, कप या बर्तन साझा नहीं करना चाहिए |

यह बच्चों में इस बीमारी के प्रसार (या फैलाव) को रोकने में बहुत मददगार हो सकता है |

6) भीड़ से बचें

यह संक्रमण उन स्थानों पर बहुत आसानी से फैलता है जहां लोग इकट्ठा होते हैं जैसे स्कूलों, सभागारों, कार्यालय भवनों और सार्वजनिक परिवहन आदि में | पीक फ्लू के मौसम (peak flu season) में भीड़ से बचने से फ्लू से संक्रमित होने की आपकी संभावना कम हो सकती है |

7) अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें (Boost your immune system in Hindi)

आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपको संक्रमण से बचाती है | जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम कर रही होती है, तो यह इन्फ्लूएंजा वायरस जैसे खतरों से आपका बचाव करती है |

नियमित रूप से व्यायाम करना, संतुलित आहार खाना, तनाव कम करना और पर्याप्त नींद लेना जैसी स्वस्थ जीवन शैली को अपनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है; यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है |

यदि आप फ्लू से संक्रमित होते हैं तो आपकी मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली इस संक्रमण से आसानी से लड़ लेती है |

फ्लू का मौसम कब होता है? (When Is The Flu Season in Hindi?)

प्रतिवर्ष दोहराई जाने वाली समय अवधि जब फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के प्रकोप (outbreaks of the flu) की घटना होती है, को फ्लू का मौसम (फ्लू सीज़न) कहा जाता है |

फ्लू के मौसम के लिए कोई निश्चित तारीख नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर प्रत्येक गोलार्ध (Hemisphere) में वर्ष के ठंडे महीनों में होता है |

फ्लू का संक्रमण पूरे वर्ष में हो सकता है और कुछ लोगों में संक्रमण पैदा कर सकता है, लेकिन ठंड के मौसम में, यह संक्रमण बहुत अधिक सक्रिय होता है |

चूंकि सर्दियों का मौसम उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में अलग-अलग समय पर होता है, इसलिए हर साल दो फ़्लू सीज़न होते हैं |

इस कारण से डब्ल्यूएचओ (WHO) हर साल फ्लू वैक्सीन के दो रूपों की सिफारिश करता है, एक दक्षिणी गोलार्ध के लिए और दूसरा उत्तरी गोलार्ध के लिए |

फ़्लू वैक्सीन फ़्लू सीज़न के प्रभावों को कम कर सकती है, और यह किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के जोखिम को भी कम करती है |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का उपचार क्या है? (What Is The Treatment Of The Flu or Influenza in hindi?)

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के लिए ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाएं ( Over-the-counter (OTC) medicines For The Flu or Influenza in Hindi)

फ्लू के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं में आमतौर पर एंटीहिस्टामाइन (antihistamines), दर्द निवारक और डिकंजेस्टेन्ट (decongestants) होती हैं |

दर्द निवारक (Pain Relievers in hindi)

बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए, दर्द निवारक दवाओं का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर इस्तेमाल किए जाने वाले दर्द निवारक एसिटामिनोफेन (acetaminophen) और इबुप्रोफेन (ibuprofen) हैं।

एंटिहिस्टामाइन्स (Antihistamines)

ये बहती नाक, छींकने (sneezing) और गीली आँखों (watery eyes) जैसे लक्षणों से राहत दे सकते हैं |

डिकंजेस्टेन्ट (decongestants in Hindi)

डिकंजेस्टेन्ट (decongestants) बंद नाक के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है और ऊपरी श्वसन मार्ग में जमाव से राहत दिलाने में सहायक होता है | आमतौर पर उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) वाले लोगों को इनके इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योंकि ये दवाएं रक्तचाप बढ़ा सकती हैं |

कफ सिरप (cough syrups)

खांसी एक सामान्य फ्लू लक्षण है | डेक्सट्रोमेथोर्फन (dextromethorphan) जैसे कफ सप्रेसेंट वाले कफ सिरप सूखी खांसी को दूर करने में मदद करते हैं |

एक्सपेक्टोरेंट (Expectorants)

यह दवा बलगम और कफ को ढीला करने में मदद करती है, जिससे खांसी करने पर आपके गले या ऊपरी श्वसन मार्ग (upper respiratory tract) की बलगम आसानी से साफ हो जाती है |

आपको अनावश्यक दवा का उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे अवांछित दुष्प्रभाव हो सकते हैं |

फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के लिए प्रिस्क्रिप्शन दवाएं (एंटीवायरल ड्रग्स) (Prescription Medications (Antiviral Drugs) For the Flu or Influenza in Hindi)

फ्लू के लिए निर्धारित दवाएं यानी एंटीवायरल दवाएं वायरस को बढ़ने और दोहराने (replicating) से रोकती हैं |

ये दवाएं शरीर के भीतर इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को धीमा कर देती हैं और इस प्रकार, रोग के लक्षणों को कम करती हैं और इसकी जटिलताओं को रोकती हैं | ये दवाएं तेजी से ठीक होने में भी मदद करती हैं |

इन दवाओं के अधिकतम प्रभाव के लिए फ्लू के लक्षणों के आने के 48 घंटों के भीतर इन दवाओं को शुरू किया जाना चाहिए |

पुरानी एंटीवायरल दवाएं जैसे अमांताडिन (amantadine) के इस्तेमाल की आजकल सिफारिश नहीं की जाती है, क्योंकि फ्लू वायरस के अधिकांश परिसंचारी उपभेद (circulating strains) उनके लिए रेसिस्टेंट हो गए हैं |

ज्यादातर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल दवाएं (commonly prescribed antiviral medications in hindi):

जानामिविर (Zanamivir)

जानामिविर (Zanamivir) एक पाउडर के रूप में उपलब्ध एंटीवायरल दवा है, जो अस्थमा इन्हेलर की तरह के एक उपकरण के माध्यम से साँस द्वारा ली जाती है | यह उन लोगों को दिया जा सकता है जो सात साल या उससे अधिक उम्र के हैं |

अस्थमा जैसी पुरानी सांस की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को जानामिविर नहीं देनी चाहिए |

पेरामिविर (Peramivir)

पेरामिविर (Peramivir) को अंतःशिरा (intravenously) रूप से दिया जाता है | यह उन लोगों को दिया जा सकता है जो 2 साल और उससे अधिक उम्र के हैं |

ओसेल्टामिविर (Oseltamivir)

ओसेल्टामिविर (Oseltamivir)  तरल और कैप्सूल के रूप में उपलब्ध एंटीवायरल दवा है | यह छोटे बच्चों और वयस्कों को दी जा सकती है |

Baloxavir

Baloxavir एकल-खुराक की गोली के रूप में बाजार में उपलब्ध है, और इसे 12 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को दिया जा सकता है |

इन एंटीवायरल ड्रग्स के साइड इफेक्ट (Side Effects Of These Antiviral Drugs in Hindi)

इन एंटीवायरल दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट्स, जैसे कि चक्कर आना, मितली और उल्टी होते हैं |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

प्रश्न: फ्लू (इन्फ्लूएंजा) के लिए ऊष्मायन अवधि क्या है? (What is the incubation period for the flu or Influenza in Hindi?)

उत्तर: फ्लू के लिए ऊष्मायन अवधि का अर्थ है फ्लू वायरस के संपर्क और उसके प्रारंभिक लक्षणों के प्रकट होने के बीच की अवधि | आम तौर पर, यह एक से चार दिनों के बीच होती है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है |

फ्लू के लिए औसत ऊष्मायन अवधि (average incubation period) 2 दिन है |

प्रश्न: फ्लू (इन्फ्लूएंजा) कितने समय तक रहता है? (How long does the flu (Influenza) last in Hindi?)

उत्तर: फ्लू एक बहुत ही संक्रामक और अल्पकालिक बीमारी है | इसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के एक से चार दिनों के भीतर दिखाई देते हैं | इसके लक्षण आमतौर पर पांच से सात दिनों तक रहते हैं |

जिन लोगों में इसकी वैक्सीन लगी हो उनमें लक्षण कम समय तक रह सकते हैं या कम गंभीर हो सकते हैं |

कुछ लोगों को दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी या थकान का अनुभव हो सकता है |

यदि फ्लू में जटिलताएं विकसित होती हैं, तो उन्हें ठीक होने में अधिक समय लग सकता है | 


अस्वीकरण (DISCLAIMER): इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है | किसी भी उपाय / नुस्खे / दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है | हमारे किसी उपाय / नुस्खे / दवा आदि के इस्तेमाल से यदि किसी को कोई नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी |


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