आइए इस लेख में लोहासव सिरप के बारे में वह सब कुछ जानें जो हर किसी को जानना चाहिए। यहां, हम लोहासव सिरप के औषधीय और आयुर्वेदिक गुणों, प्रयुक्त सामग्री, फायदे, उपयोग, नुकसान, खुराक आदि पर चर्चा करेंगे।
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लोहासव सिरप क्या है? – (What is Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो तरल के रूप में उपलब्ध है। इसका दूसरा नाम लोहासवम है। लोहासव नाम से ही पता चलता है कि इसमें लौह यानी लोहा होता है। इसलिए यह आयुर्वेदिक सिरप मुख्य रूप से आयरन की कमी की समस्या और मोटापे के इलाज के लिए फायदेमंद है। इस सिरप में प्राकृतिक रूप से संसाधित (naturally processed) आयरन वात और कफ दोष को शांत करने में भी मदद करता है।
यह एक हेमेटिनिक फॉर्मूलेशन (hematinic formulation) है, जो:
- आरबीसी (लाल रक्त कोशिकाओं) के उत्पादन में सहायता करता है, या
- आरबीसी में हीमोग्लोबिन का उत्पादन बढ़ाता है
यह सिरप आमतौर पर अधिकांश व्यक्तियों द्वारा अच्छी तरह से सहन किया जा सकता है और अनुशंसित खुराक में सेवन करने पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
इसके अलावा, लोहासव सिरप में 4 से 10% स्व-निर्मित अल्कोहल होता है, जो इसमें मौजूद सक्रिय हर्बल घटकों को शरीर में पहुंचाने में सहायक है।
आयुर्वेद के अनुसार, इसके पित्त को संतुलित करने वाले गुण एनीमिया के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। जब इस सिरप का अन्य आयुर्वेदिक दवाओं के साथ प्रयोग किया जाता है तो यह लीवर से संबंधित समस्याओं में फायदेमंद हो सकता है (1)।
इसके पाचन और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुण पाचन संबंधी समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। और इसका बल्य (शक्ति प्रदाता) गुण थकान के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
लोहासव सिरप हर उम्र और लिंग के लोगों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। लेकिन कुछ कारकों के आधार पर इसकी विभिन्न व्यक्तियों के लिए सही खुराक भिन्न हो सकती है। इसलिए, इस सिरप का उपयोग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
लोहासव सिरप के आयुर्वेदिक गुण क्या हैं? – (What Are The Ayurvedic Properties of Lohasava Syrup in Hindi?)
आयुर्वेद के अनुसार लोहासव के गुण इस प्रकार हैं:
गुण (मुख्य गुणवत्ता या औषधीय क्रिया) | लघु, रुक्ष, और उष्ण |
रस (जीभ पर स्वाद) | मधुर, कषाय, तिक्त, और कटु |
वीर्य (शक्ति) | उष्ण |
विपाक (पाचन के बाद परिवर्तित अवस्था) | कटु |
प्रभाव (क्रिया) | हेमेटिनिक |
दोष-कर्म (दोषों पर प्रभाव) | वात और कफ को शांत करता है |
लोहासव सिरप बनाने के लिए किन घटक द्रव्यों (सामग्रियों) का उपयोग किया जाता है? – (What Ingredients Are Used in the Preparation of Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव सिरप बनाने के लिए निम्नलिखित घटक द्रव्यों (सामग्रियों) का उपयोग किया जाता है:
घटक द्रव्य का सामान्य नाम | घटक द्रव्य का वैज्ञानिक नाम | घटक द्रव्य का उपयोग किया गया भाग | घटक द्रव्य की मात्रा |
लौह भस्म | – | – | 192 ग्राम |
चित्रक | Plumbago zeylanica | जड़ | 192 ग्राम |
धातकी | Woodfordia fruticosa | फूल | 960 ग्राम |
शुंठी (सोंठ या सूखा अदरक) | Zingiber officinale | राइजोम | 192 ग्राम |
मुस्तक/नागरमोथा | Cyprus rotundus | राइजोम | 192 ग्राम |
यवनी (अजवाइन या कैरम के बीज) | Trachyspermum ammi | बीज | 192 ग्राम |
काली मिर्च | Piper nigrum | फल | 192 ग्राम |
पिप्पली | Piper longum | फल | 192 ग्राम |
वायविडंग | Embelia ribes | फल | 192 ग्राम |
हरीतकी | Terminalia chebula | फल | 192 ग्राम |
बिभीताकी | Terminalia bellirica | फल | 192 ग्राम |
आमलकी | Emblica Officinalis | फल | 192 ग्राम |
गुड़ | – | – | 4.80 कि.ग्रा. |
शहद | – | – | 3.072 कि.ग्रा. |
पानी | – | – | 24.576 कि.ग्रा. |
लोहासव सिरप बनाने की विधि – (Method of Preparation of Lohasava Syrup in Hindi)
उपरोक्त सभी जड़ी-बूटियों को मोटे पाउडर के रूप में पीस लिया जाता है।
सबसे पहले, गुड़ को पानी में मिलाया जाता है, घोला जाता है और फिर अपशिष्ट कणों को छान लिया जाता है।
इसमें बचे हुए घटक द्रव्यों को डालकर अच्छे से हिलाया जाता है।
फिर बर्तन (कंटेनर) को सील कर दिया जाता है और किण्वन के लिए अलग रख दिया जाता है।
किण्वन प्रक्रिया के पूरा होने के बाद, सामग्री को फ़िल्टर किया जाता है और प्राप्त तरल लोहासव होता है। इसे उपयोग के लिए वायुरोधी कांच की बोतलों में संग्रहित किया जाता है।
लोहासव सिरप के औषधीय गुण – (Medicinal Properties of Lohasava Syrup in Hindi)
लोहासव के औषधीय गुण इस प्रकार हैं:
- हेमेटिनिक (haematinic) – हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है
- हेमेटोजेनिक (hematogenic) – आरबीसी के निर्माण में मदद करता है
- म्यूकोलाईटिक (mucolytic)
- एंटी इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory)
- वसा जलाने वाला (fat burner या मोटापा रोधी)
- विशोधक (depurative) – रक्त को शुद्ध करता है
- कोलेगॉग (cholagogue) – पित्त के स्त्राव को बढ़ावा देता है
- कार्डियोप्रोटेक्टिव (cardioprotective)
- एंटीहाइपरलिपिडेमिक (antihyperlipidemic)
- कृमिनाशक (anthelmintic)
- आम पाचक (it detoxifies अर्थात विषहरण करता है)
लोहासव सिरप के पारंपरिक उपयोग क्या हैं? – (What Are The Traditional Uses of Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव सिरप के बहुत सारे पारंपरिक उपयोग (traditional uses of Lohasava syrup in Hindi) हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
हृदरोग | हृदय रोगों (heart diseases) में उपयोगी है |
ग्रहणी | इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS), और मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम (Malabsorption Syndrome) में उपयोगी है |
आरोचक | एनोरेक्सिया (anorexia) में उपयोगी है |
भगंदर | एनल फिस्टुला (anal fistula) में उपयोगी है |
श्वास | अस्थमा (asthma) और घरघराहट (wheezing) में उपयोगी है |
कास | सर्दी (cold), और खांसी (cough) से राहत दिलाने में मदद करता है |
कण्डू | खुजली (itching) और प्रुरिटस (pruritus) में उपयोगी है |
प्लीहा | स्प्लेनोमेगाली (splenomegaly) में उपयोगी है |
कुष्ठ | कई त्वचा विकारों (skin disorders) में उपयोगी है |
अर्शस रुजा | बवासीर (piles) की सूजन और दर्द से राहत दिलाने में सहायक |
जठर रुजा | पेट के दर्द (abdominal colic) से राहत दिलाने में मदद करता है |
गुल्म | पेट फूलना (abdominal distension) और पेट के ट्यूमर (abdominal tumours) में उपयोगी है |
श्वयथु | कई सूजन संबंधी स्थितियों (inflammatory conditions) में उपयोगी औषधि है |
पांडु | एनीमिया (anaemia) के लिए उपयोगी औषधि है |
वह्निकरम परम | पाचन शक्ति (digestion strength) और चयापचय (metabolism) में सुधार करने में मदद करता है |
लोहासव सिरप के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What Are The Benefits and Uses of Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव मुख्य रूप से फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, पीलिया, खांसी, प्लीहा वृद्धि, मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम (Malabsorption Syndrome), अस्थमा, सामान्य कमजोरी (general weakness), और बवासीर जैसी बीमारियों के इलाज में सहायक है।
लोहासव सिरप के 13 मुख्य फायदे और उपयोग (Lohasava syrup 13 Benefits and Uses in Hindi) निम्नलिखित हैं:
1) एनीमिया में लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits in Anaemia in Hindi)
एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) या हीमोग्लोबिन की कुल मात्रा में कमी हो जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार, एनीमिया (पांडु रोग के रूप में जाना जाता है) असंतुलित पित्त दोष के कारण होता है, और लोहासव अपने पित्त-संतुलन गुण के कारण एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
इसके अलावा, लोहासव सिरप प्राकृतिक आयरन का एक अच्छा स्रोत है। इसलिए, यह हीमोग्लोबिन के सामान्य स्तर को बहाल करने में मदद करने वाला सबसे अच्छा उपाय है।
2) जीर्ण ज्वर और दुर्बलता में लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits for Chronic fever and debility in Hindi)
लोहासव जीर्ण ज्वर तथा ज्वर के कारण उत्पन्न दुर्बलता के उपचार के लिए एक प्रभावशाली टॉनिक है, इसमें टाइफाइड बुखार और मलेरिया बुखार भी शामिल है। यह सिरप भूख में सुधार करने में मदद करता है क्योंकि यह पाचन-अग्नि (पचकाग्नि) को बढ़ाने में उपयोगी है। यह मलेरिया के बाद हेपेटोमेगाली (hepatomegaly) और स्प्लेनोमेगाली (splenomegaly) जैसी स्थितियों का भी इलाज करता है।
3) पीलिया में लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits in Jaundice in Hindi)
पीलिया के उपचार के लिए लोहासव आयुर्वेद में उपलब्ध सर्वोत्तम औषधि है। यदि किसी व्यक्ति को दस्त के साथ पीलिया हो और उसकी पाचन अग्नि (पाचकाग्नि) कम हो तो यह और भी उपयुक्त है। यह ब्लॉकेज (blockage), वसा, अतिरिक्त कफ और अन्य अनावश्यक चीजों को हटाता है और पित्त प्रवाह और उसके उत्सर्जन को बढ़ाने में मदद करता है।
4) मोटापे में लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits in Obesity in Hindi)
मोटापे को नियंत्रित करने में इस आयुर्वेदिक टॉनिक का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह वसा की उपयोगिता और चयापचय दर को बढ़ाते हुए पेट की चर्बी को कम करने में महत्वपूर्ण रूप से मदद करता है।
मोटापा और वजन बढ़ना भी आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से जुड़ा हुआ है (2, 3)। इस प्रकार, अधिक वजन वाले या मोटे व्यक्ति जिन्हें एनीमिया भी है, लोहासव सिरप उनके लिए सबसे उपयुक्त उपाय हो सकता है।
5) खूनी बवासीर के लिए लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits for Bleeding Piles in Hindi)
बवासीर एक चिकित्सीय स्थिति है, जब गुदा के बाहर या मलाशय के अंदर सूजी हुई नसें रक्तस्राव, खुजली और यहां तक कि दर्द का कारण बनती हैं। लोहासव सिरप बवासीर के उपचार में लाभकारी है। इसमें प्रचुर लौह तत्व होने के कारण यह बवासीर में रक्तस्राव के कारण होने वाली हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में मदद करता है।
6) सामान्य कमजोरी में लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits in General weakness in Hindi)
सामान्य कमजोरी से तात्पर्य थकान और थकावट महसूस करना है, और इसे आयुर्वेद में क्लम के नाम से जाना जाता है। कमजोरी का मुख्य कारण शरीर में महत्वपूर्ण खनिजों की कमी और कफ दोष का असंतुलन है। अपने बल्य (शक्ति प्रदाता) गुण के कारण लोहासव कमजोरी से लड़ने के लिए एक प्रभावी टॉनिक है।
यह आयरन जैसे महत्वपूर्ण आवश्यक खनिजों की आवश्यकता को पूरा करके समग्र ताकत (overall strength) हासिल करने में भी मदद करता है।
7) लोहासव सिरप अपच में फायदेमंद है – (Lohasavam Syrup is Beneficial in Indigestion in Hindi)
अपच पाचन की अपूर्ण प्रक्रिया की स्थिति है। इसे पेट खराब होना (stomach upset) डिस्पेप्सिया (dyspepsia) के नाम से भी जाना जाता है।
आयुर्वेद में अपच के लिए अग्निमांद्य शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है और ऊपरी पेट के क्षेत्र में असहजता (discomfort) या दर्द होना इसकी विशेषता है। लोहासव सिरप अपने पाचन और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुणों के कारण अपच के इलाज के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में कार्य करता है।
8) लोहासव सिरप भूख कम लगने में फायदेमंद है – (Lohasava Syrup is Beneficial in Loss of Appetite in Hindi)
ऐसी स्थिति जब किसी व्यक्ति की खाने की इच्छा कम हो जाती है, उसे भूख न लगना या एनोरेक्सिया कहा जाता है। यह कमजोर पाचन के कारण होता है।
आयुर्वेद के अनुसार अग्निमांद्य (कमजोर पाचकाग्नि) के कारण भूख कम लगती है। लोहासव के पाचन और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुण पाचन में सुधार करके भूख की कमी का इलाज करने में मदद करते हैं।
9) जीभ के लिए लोहासव के फायदे – (Lohasava Benefits for the Tongue in Hindi)
एनीमिया में जीभ में स्वाद कलिकाएँ नष्ट हो सकती हैं। इससे स्वाद संवेदना का नुकसान हो सकता है। आयुर्वेद में इसे अरोचक के नाम से जाना जाता है।
लोहासव जीभ की कोशिकाओं पर कार्य करके और स्वाद कलिकाओं (taste buds) के पुनर्जनन में मदद करके स्वाद संवेदना (taste sensation) को वापस लाने में मदद कर सकता है (4)। लेकिन ऐसे दावों के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
10) हृदय के लिए लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits for the Heart in Hindi)
एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति में अनियमित दिल की धड़कन का पैटर्न (Irregular heartbeat patterns) या हार्ट पल्पिटेशन (palpitations) आम है। अगर लंबे समय तक एनीमिया का इलाज न कराया जाए तो इससे हृदय संबंधी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे मामलों में, लोहासव का सेवन करने से व्यक्ति को ऐसे हृदय रोगों के विकास के जोखिम को खत्म करने में मदद मिल सकती है (4)। लेकिन, इन प्रभावों को साबित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
11) लीवर के लिए लोहासव सिरप का उपयोग – (Lohasava Syrup Uses for the Liver in Hindi)
ऐसे अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि लोहासव अन्य आयरन युक्त टॉनिक के साथ लीवर की रक्षा करने में उपयोगी है। यह सिरप लिवर की विभिन्न स्थितियों जैसे लिवर संक्रमण, लिवर का बढ़ना (liver enlargement), फैटी लिवर (fatty liver), और पीलिया के इलाज में मददगार साबित हो सकता है (5)। इस सिरप का उपयोग रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और फैटी लीवर के मामले में लीवर के वजन को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।
12) बालों और त्वचा के लिए लोहासव सिरप पीने के फायदे – (Lohasava Syrup Benefits for Hair and Skin in Hindi)
डॉक्टर भी बालों के जल्दी सफ़ेद होने, बालों के अत्यधिक झड़ने, मुँहासों, काले घेरों, दाग-धब्बों आदि के इलाज के लिए लोहासव को एक प्रभावी पूरक के रूप में सुझाते हैं।
13) लोहासव सिरप पीने के अन्य फायदे – (Other benefits of Lohasava Syrup in Hindi)
लोहासव का उपयोग सदियों से कई स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। इसमें अनेक औषधीय गुण हैं जो बुखार, अस्थमा, खांसी और प्लीहा वृद्धि सहित विभिन्न स्थितियों का इलाज करने में मदद करते हैं (5)। लेकिन इन दावों को साबित करने के लिए अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है।
लोहासव सिरप पीने के नुकसान (दुष्प्रभाव) क्या हैं? – (What Are The Side Effects of Lohasava Syrup in Hindi?)
हालाँकि जब लोहासव के दुष्प्रभावों (अथवा नुकसानों) की बात आती है तो डेटा (data) और जानकारी की कमी है, आमतौर पर इस टॉनिक को लेने वाले लोगों को किसी भी गंभीर दुष्प्रभाव का अनुभव नहीं होता है।
लेकिन कुछ लोगों में इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं। इन दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
- लोहासव की खुराक लेने के बाद कुछ समय तक बेस्वाद (distaste) का अनुभव होना
- उल्टी होना (vomiting) या जी मिचलाना (nausea)
- पेट ख़राब होना (Upset stomach)
- पेट में जलन होना (burning sensation in the abdomen)
अधिक मात्रा में लोहासव सिरप पीने के नुकसान (side effects of Lohasava syrup, if it is consumed in excess amount in Hindi)
यदि लोहासव का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो इसके नुकसान (दुष्प्रभाव) निम्नलिखित हैं:
1) लोहासव में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। यदि 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इसका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो इससे घातक विषाक्तता से संबंधित लक्षण हो सकते हैं।
2) उल्टी और गैस्ट्राइटिस (Gastritis) वयस्कों में लोहासव की अधिक मात्रा के दुष्परिणाम हैं।
गर्भावस्था में लोहासव सिरप का उपयोग – (Use Of Lohasava syrup in Pregnancy in Hindi)
जब हम गर्भावस्था के दौरान लोहासवम के उपयोग के बारे में बात करते हैं, तो फिर से उपलब्ध जानकारी का अभाव है। लेकिन जब हम इसके घटक द्रव्यों की सूची (ingredients list) का विश्लेषण करते हैं, तो इसमें गर्म प्रभाव (potency) वाले घटक द्रव्य होते हैं जैसे चित्रक आदि। गर्भावस्था के दौरान ऐसे पदार्थों के उपयोग से बचना चाहिए। इसलिए गर्भवती महिलाओं को लोहासव सिरप के सेवन से बचना चाहिए।
लोहासव का सेवन किसे नहीं करना चाहिए? – (Who Should Not Consume Lohasava In Hindi?)
निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों को लोहासव का सेवन नहीं करना चाहिए:
- पेप्टिक अल्सर (peptic ulcer)
- मुंह के छाले (mouth ulcers)
- लोहे का अधिभार (iron overload)
- सूजन संबंधी बीमारियाँ (inflammatory diseases), जैसे क्रोहन रोग (crohn’s disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis)
लोहासव सिरप लेते समय बरती जाने वाली सावधानियां – (Precautions to be Taken While Consuming Lohasava Syrup in Hindi)
यदि आप पहले से ही लोहासव सिरप का सेवन कर रहे हैं या करने जा रहे हैं, तो आपको इस सिरप के संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान से पढ़ना, समझना और उनका पालन करना चाहिए:
1) लोहासव लेने वाले व्यक्ति को वो सभी सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए जो अन्य दवाओं के लिए भी आवश्यक हैं।
2) बुजुर्गों के साथ-साथ छोटे बच्चों को भी लोहासव देते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
3) गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी लोहासव सिरप को लेते समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, और उन्हें अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही इस सिरप की खुराक लेनी चाहिए।
4) लोहासव में शर्करा की मात्रा होती है; इसलिए मधुमेह रोगियों को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस सिरप को लेते समय उन्हें नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर (blood sugar level) की जांच करनी चाहिए।
5) यदि आप कोई एलोपैथिक दवा ले रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस सिरप का सेवन करना चाहिए। यदि आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवा दोनों एक साथ निर्धारित (prescribed) की जाती हैं, तो दोनों दवाओं के सेवन के बीच कम से कम 30 मिनट का अंतर रखना बेहतर होता है।
लोहासव सिरप की खुराक क्या है? – (What is The Dosage of Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव की अनुशंसित खुराक (recommended dosage):
- वयस्कों को 10 से 20 मिलीलीटर की खुराक लेनी चाहिए।
- बच्चों को 2.5 से 10 मिलीलीटर की खुराक लेनी चाहिए।
एक दिन में लोहासव की अधिकतम संभव खुराक (maximum possible dosage) 60 मिलीलीटर है।
आदर्श रूप से, लोहासव को बराबर मात्रा में पानी के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए। इस औषधीय सिरप को लेने का सबसे अच्छा समय खाना खाने के तुरंत बाद है।
हमने इस लेख में लोहासवम नामक इस उपयोगी आयुर्वेदिक सिरप के बारे में हर आवश्यक जानकारी पर चर्चा की है। आम तौर पर इसका सेवन करना सुरक्षित है, और यह विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों से राहत प्रदान कर सकता है। लेकिन आपको इस सिरप को लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
लोहासव सिरप का निर्माण कौन कौन करता है? – (Who Are The Manufacturers of Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासवम के मुख्य निर्माता नागार्जुन, AVP, आर्य वैद्यशाला, बैद्यनाथ, डाबर, झंडू और केरल आयुर्वेद लिमिटेड हैं।
लोहासव सिरप के लिए भंडारण और सुरक्षा आवश्यकताएँ क्या हैं? – (What are The Storage and Safety Requirements for Lohasava Syrup in Hindi?)
लोहासव के लिए भंडारण और सुरक्षा आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं:
1. इसे सूखी जगह पर रखना चाहिए।
2. इसे गर्मी और सीधी धूप से दूर रखना चाहिए।
3. इसकी बोतल को कमरे के तापमान पर ही रखें।
4. इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
लोहासव की शेल्फ लाइफ क्या है? – (What is The Shelf Life of Lohasava in Hindi?)
इस आयुर्वेदिक सिरप की शेल्फ लाइफ आमतौर पर निर्माण की तारीख से 10 वर्ष तक है।
आप लोहासव सिरप किस प्रकार लेते हैं? – (How do you take Lohasava syrup in Hindi?)
लोहासव एक तरल आयुर्वेदिक औषधि है और इसकी अनुशंसित खुराक इस प्रकार है:
व्यस्क | 10 से 20 मि.ली |
बच्चे | 2.5 से 10 मि.ली |
इसे बराबर मात्रा में पानी में मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए।
आपका आयुर्वेदिक डॉक्टर आपकी उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार आपको इस सिरप की सही खुराक बता सकता है।
क्या लोहासव का सेवन भोजन से पहले करना चाहिए या बाद में? – (Should Lohasava Be Consumed Before Or After Meals In Hindi?)
भोजन के बाद पानी के साथ इस सिरप का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
क्या लोहासव के कारण उनींदापन होता है? – (Does Lohasava cause drowsiness in Hindi?)
नहीं, इससे चक्कर या उनींदापन नहीं होता है।
क्या लोहासव की लत लग सकती है? – (Can Lohasava be addictive in Hindi?)
नहीं, इसकी लत नहीं लगती है।
क्या मधुमेह रोगी लोहासव सिरप ले सकता है? – (Can a diabetic person take Lohasava syrup in Hindi?)
मधुमेह रोगियों को लोहासव सिरप का सेवन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए, क्योंकि इस सिरप में गुड़ और शहद जैसे तत्व होते हैं जो उनके ब्लड शुगर लेवल (blood sugar levels) को प्रभावित कर सकते हैं।
संदर्भ (References):
1) Hepatoprotective activity of navayasa curna and hasava combination
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22556808/
2) Treatment of iron deficiency anemia induces weight loss and improves metabolic parameters
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24770833/
3) Impact of diet and weight loss on iron and zinc status in overweight and obese young women
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24231018/
4) CLINICAL EVALUATION OF AYURVEDIC IRON (LAUHA) CONTAINING PREPARATIONS IN IRON DEFICIENCY ANAEMIA
5) Gas chromatography-mass spectrometry analysis of one Ayurvedic antiobesity medicine, Lohasava
6) Lohasava (Lohasavam): Uses, Benefits, Dose, Side Effects
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|
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4) दशमूलारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान Dashmularishta in Hindi
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