विटामिन डी के फायदे, नुकसान और कमी – Vitamin D in Hindi

विटामिन डी क्या है? – (What is Vitamin D in hindi?)

दोस्तो, विटामिन्स ऐसे तत्व हैं जिनका उत्पादन मानव शरीर नहीं कर सकता; अतः, उन्हें भोजन के माध्यम से प्राप्त किया जाना चाहिए।

विटामिन डी वसा में घुलनशील स्टेरॉयड (fat-soluble steroids) का एक समूह है जो आंतों में कैल्शियम, फॉस्फेट और मैग्नीशियम के अवशोषण को बढ़ाने तथा कई अन्य जैविक प्रभावों के लिए जिम्मेदार है। मनुष्यों में, इस समूह में सबसे महत्वपूर्ण यौगिक विटामिन डी2 (एर्गोकैल्सिफेरॉल) और विटामिन डी3 (कोलेकैल्सीफेरॉल) हैं।

इस विटामिन का प्रमुख प्राकृतिक स्रोत आपके शरीर द्वारा त्वचा की एपिडर्मिस की निचली परतों में एक रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से विटामिन डी3 (कोलेकैल्सीफेरॉल) का संश्लेषण है। यह रासायनिक प्रतिक्रिया सूर्य के संपर्क (विशेष रूप से UVB विकिरण) के कारण होती है। इसके अतिरिक्त, एर्गोकैल्सिफेरॉल और कोलेकैल्सीफेरॉल को आहार और सप्लीमेंट्स (पूरक) से लिया जा सकता है।

विटामिन डी कई कारणों से आवश्यक है, जिनमें से एक हड्डी और दांतों का स्वास्थ्य है। इसके अतिरिक्त, यह टाइप 1 डायबिटीज सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

विटामिन डी, अपने नाम के बावजूद, एक प्रोहॉर्मोन (prohormone) या हार्मोन का अग्रदूत (precursor to a hormone) है।

इस लेख में मैं विटामिन डी के फायदे, अपर्याप्त विटामिन डी के सेवन के परिणाम आदि पर चर्चा करूंगा।

विटामिन डी के फायदे और उपयोग क्या हैं? – (What are the Benefits and Uses of Vitamin D in hindi?)

विटामिन डी पूरे शरीर में विभिन्न प्रक्रियाओं में शामिल होता है। यह निम्नलिखित के लिए फायदेमंद है:

  • इम्यूनोलॉजिकल, न्यूरोलॉजिकल और मस्तिष्क प्रणालियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हुए हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना
  • इंसुलिन का स्तर और मधुमेह के नियंत्रण में सहायता
  • कैंसर से संबंधित जीन (genes) की अभिव्यक्ति को संशोधित करके फेफड़ों और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करना

विटामिन डी के 11 फायदे और उपयोगों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें:

1) हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन डी के फायदे – (Benefits of Vitamin D for bone’s health in hindi)

विटामिन डी कैल्शियम प्रबंधन और रक्त फास्फोरस के रखरखाव के लिए आवश्यक है (1)। ये घटक हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

आंतों में कैल्शियम को सक्रिय करने और अवशोषित करने तथा कैल्शियम को पुनर्प्राप्त करने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है जो अन्यथा गुर्दे द्वारा उत्सर्जित होता है।

बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण रिकेट्स (rickets) हो सकता है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियाँ कमजोर होने के कारण बो-लेग डिफॉर्मिटी (bow-leg deformity)  हो जाती है।

इसी तरह, ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) या हड्डी का नरम होना, विटामिन डी की कमी वाले वयस्कों में होता है। ऑस्टियोमलेशिया एक ऐसी स्थिति है जो हड्डियों के घनत्व में कमी और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है।

विटामिन डी की कमी ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis in hindi) के रूप में भी प्रकट हो सकती है, जो भारत में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है।

2) विटामिन डी आपको फ्लू होने की संभावना को कम कर सकता है – (Vitamin D may reduce your chances of getting the flu in hindi)

वर्तमान साक्ष्यों की 2018 की समीक्षा के अनुसार, कुछ जांचों से पता चला है कि विटामिन डी में एंटीवायरल गुण हैं (2)।

हालाँकि, वैज्ञानिकों ने अतिरिक्त परीक्षणों की जाँच की जिसमें विटामिन डी का फ्लू या इन्फ्लूएंजा के जोखिम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

इस प्रकार, इन्फ्लूएंजा के खिलाफ विटामिन डी के निवारक प्रभाव को साबित करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है।

3) यह शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है – (It Can Improve Infants’ Health in hindi)

बच्चों में विटामिन डी की कमी को उच्च रक्तचाप से जोड़ा गया है। 2018 के एक शोध में बच्चों में अपर्याप्त विटामिन डी की मात्रा और संवहनी कठोरता (vascular stiffness) के बीच एक संभावित संबंध की खोज की गई (3)।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी (AAAAI) के अनुसार, डेटा (data) अपर्याप्त विटामिन डी की खपत और एलर्जी संवेदीकरण (allergy sensitization) के उच्च जोखिम के बीच एक लिंक का सुझाव देता है (4)।

भूमध्य रेखा के पास रहने वाले बच्चों में एलर्जी से संबंधित अस्पताल में भर्ती होने और एपिनेफ्रिन ऑटोइंजेक्टर प्रस्क्रिप्शन (epinephrine autoinjector prescriptions) उन लोगों की तुलना में कम हैं जो दूर उत्तर या पश्चिम में रहते हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें मूंगफली से एलर्जी होने की संभावना भी कम होती है।

साथ ही, यह विटामिन ग्लूकोकार्टोइकोड्स (glucocorticoids) के सूजन-रोधी प्रभाव को बढ़ा सकता है। यह लाभ इसे स्टेरॉयड प्रतिरोधी अस्थमा वाले लोगों में सहायक चिकित्सा के रूप में बहुत उपयोगी बनाता है (5)।

4) गर्भवती महिलाओं के लिए विटामिन डी के फायदे – (Vitamin D Benefits for Pregnant Ladies in hindi)

2019 के एक विश्लेषण के अनुसार, जिन गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी है, उनमें प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) होने के साथ-साथ शिशु को समय से पहले जन्म देने का खतरा भी बढ़ सकता है (6)।

डॉक्टरों के अनुसार, विटामिन डी की कमी जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं में बैक्टीरियल वेजिनोसिस (bacterial vaginosis) से भी जुड़ी होती है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि 2013 के एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान उच्च विटामिन डी सांद्रता (high vitamin D concentrations) आपके बच्चे के जीवन के पहले दो वर्षों में खाद्य एलर्जी के उच्च जोखिम से जुड़ी थी (7)।

5) यह निष्क्रिय पैराथाइरॉइड ग्रंथि (हाइपोपैराथायरायडिज्म) के लिए प्रभावी हो सकता है – (It can be effective for underactive Parathyroid gland or hypoparathyroidism in hindi)

विटामिन डी सप्लीमेंट्स, जैसे कि डायहाइड्रोटाचीस्टेरॉल (dihydrotachysterol), एर्गोकैल्सिफेरॉल (ergocalciferol), या कैल्सीट्रियोल (calcitriol), जिन व्यक्तियों में पैराथाइरॉइड हार्मोन का स्तर कम होता है उनमें कैल्शियम के रक्त स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

6) विटामिन डी हृदय रोग की संभावना को कम कर सकता है – (Vitamin D May Decrease the Chances of Heart Disease in hindi)

विटामिन डी का निम्न स्तर हृदय रोगों जैसे हार्ट फेलियर, उच्च रक्तचाप, और स्ट्रोक के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है। लेकिन यह अनिश्चित है कि क्या इसकी कमी हृदय रोग में योगदान करती है या जब आपकी स्थिति दीर्घकालिक होती है तो यह केवल खराब स्वास्थ्य को निर्दिष्ट करती है (8)।

इसके अलावा, कुछ व्यक्तियों में मौखिक विटामिन डी सप्लीमेंटेशन (oral vitamin D supplementation) हार्ट फेलियर की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है। हालाँकि, पहले से ही हार्ट फेलियर से पीड़ित लोगों को इससे कोई लाभ नहीं होता।

7) यह प्रतिरक्षा स्वास्थ्य का समर्थन कर सकता है – (It May Support Immune Health in hindi)

जिन लोगों में विटामिन डी का स्तर कम होता है, उनमें संक्रमण और ऑटोइम्यून बीमारियों (autoimmune diseases), जैसे टाइप 1 डायबिटीज, रूमेटाइड आर्थराइटिस और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज का खतरा अधिक हो सकता है (9)।

8) विटामिन डी मूड को नियंत्रित कर सकता है और अवसाद को कम कर सकता है – (Vitamin D may Control Mood & Lower Depression in hindi)

शोध से पता चला है कि विटामिन डी मूड को नियंत्रित करने और अवसाद के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

7,534 लोगों पर किए गए एक विश्लेषण से पता चला कि विटामिन डी सप्लीमेंटेशन (अनुपूरण) नकारात्मक भावनाओं को कम कर सकता है। इसके पूरक से अवसाद से ग्रस्त लोगों को मदद मिल सकती है जिनमें विटामिन डी की कमी भी है (10)।

एक अन्य अध्ययन में फाइब्रोमायल्गिया (fibromyalgia) के रोगियों में अधिक गंभीर लक्षणों, अवसाद और चिंता के लिए जोखिम कारक के रूप में विटामिन डी का निम्न स्तर (हाइपोविटामिनोसिस डी) देखा गया है (11)।

9) यह श्वसन संक्रमण को रोक सकता है – (It can prevent respiratory infections in hindi)

विटामिन डी अनुपूरण युवाओं में श्वसन संक्रमण की रोकथाम में सहायता करता है। हालाँकि, गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी का अनुपूरण (सप्लीमेंटेशन) नवजात शिशुओं में इन बीमारियों की घटनाओं को कम नहीं करता है। इसके अतिरिक्त, यह वयस्कों में संक्रमण की रोकथाम में सहायता नहीं करता है।

10) वजन घटाने के लिए विटामिन डी के फायदे – (Vitamin D Benefits for Weight Loss in hindi)

जिन लोगों का वजन अधिक होता है उनमें विटामिन डी का स्तर कम होने की संभावना बढ़ जाती है (12)।

एक अध्ययन में, यह पाया गया कि जिन मोटे लोगों ने वजन घटाने वाली आहार योजना (weight loss diet plan) का पालन करने के अलावा विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लिए, उनका वजन और फैट उन लोगों की तुलना में अधिक कम हुआ, जिन्होंने केवल वजन घटाने वाली आहार योजना का पालन किया (12)।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि कम कैल्शियम स्तर वाली अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त महिलाएं, जिन्होंने विटामिन डी और कैल्शियम के सप्लीमेंट्स का रोजाना सेवन किया, वे प्लेसबो सप्लीमेंट लेने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक वजन कम करने में अधिक सफल रहीं। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि यह अतिरिक्त विटामिन डी और कैल्शियम के “भूख-दबाने वाले प्रभाव” के कारण था (13)।

11) मौखिक स्वास्थ्य के लिए विटामिन डी के फायदे – (Vitamin D Benefits for Oral Health in hindi)

विटामिन डी आपके शरीर को कैल्शियम अवशोषण में मदद करता है; इस प्रकार यह मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने, मसूड़ों की बीमारी और दांतों के क्षय (tooth decay ) के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

टेनेसी डेंटल एसोसिएशन के जर्नल (The Journal of the Tennessee Dental Association) में 2011 की समीक्षा के अनुसार, एक उभरती हुई परिकल्पना यह है कि विटामिन डी मौखिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह हड्डियों के चयापचय पर प्रभाव डालता है, तथा यह एक सूजन-रोधी एजेंट के रूप में कार्य करने और एंटी-माइक्रोबियल पेप्टाइड्स (anti-microbial peptides) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने की क्षमता रखता है (14)।

इसके अलावा, मौखिक कैल्शियम और विटामिन डी3 अनुपूरण बुजुर्गों में दांतों के टूटने (tooth loss) को कम करता है।

बहुत अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने के नुकसान क्या हैं? – (What are the Side Effects of Taking Too Much Vitamin D in hindi?)

हालाँकि विटामिन डी टॉक्सिसिटी/विषाक्तता दुर्लभ है, लेकिन यह हो सकती है, विशेष रूप से निम्नलिखित परिस्थितियों में:

  • अनजाने में ओवरडोज़ लेना (unintentional overdose)
  • प्रिस्क्रिप्शन की गलतियाँ (prescription mistakes)
  • अत्यधिक मात्रा में विटामिन डी सप्लीमेंट लेना (vitamin D supplementation at excessive doses)

बहुत अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने के नुकसान (side effects of taking too much vitamin D in hindi) निम्नलिखित हैं:

1) रक्त में विटामिन डी का स्तर बढ़ना – (Increased blood levels Of Vitamin D in hindi)

विटामिन डी विषाक्तता को हाइपरविटामिनोसिस डी (hypervitaminosis D) के रूप में भी जाना जाता है।

शरीर में खतरनाक या हानिकारक मात्रा तक पहुंचने के लिए विटामिन डी को 100 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/ml) से अधिक होना चाहिए।

हाइपरविटामिनोसिस डी को 100 एनजी/एमएल (ng/ml)  से अधिक रक्त में विटामिन डी की सांद्रता (vitamin D concentrations) के रूप में परिभाषित किया जाता है, और विटामिन डी टॉक्सिसिटी को 150 एनजी/एमएल (ng/ml) से अधिक रक्त में विटामिन डी के स्तर के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है (15), (16)।

यद्यपि पर्याप्त विटामिन डी स्तर के लिए सिफारिशें अलग-अलग होती हैं, लेकिन शोध से संकेत मिलता है कि 30-60 एनजी/एमएल (ng/mL) के बीच का स्तर संभवतः आदर्श है तथा बीमारियों से बचाने में सहायता कर सकता है (17), (18)।

विटामिन डी के सप्लीमेंट्स की उच्च खुराक का सेवन करने पर भी, यह दुर्लभ है कि एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में विटामिन डी का स्तर अत्यधिक या खतरनाक स्तर तक पहुंच जाए।

विटामिन डी विषाक्तता के अधिकांश मामले प्रिस्क्रिप्शन की गलतियों (prescription mistakes) और अनजाने में इसके सप्लीमेंट्स की ओवरडोज़ (unintentional overdose) लेने का परिणाम है।

2020 में सामने आए एक मामले के अनुसार, कई वर्षों तक प्रतिदिन 10,000 IU विटामिन डी का सेवन करने के बाद 73 वर्षीय पुरुष में विटामिन डी विषाक्तता (vitamin D toxicity) उत्पन्न हुई (19)।

2020 की एक अन्य मामले की रिपोर्ट में, एक 56 वर्षीय महिला को मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षणों से राहत की उम्मीद के साथ 20 महीने तक प्रति दिन औसतन 130,000 आईयू विटामिन डी लेने के बाद मांसपेशियों में कमजोरी, मतली और उल्टी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसका विटामिन डी स्तर 265 एनजी/एमएल पाया गया (20)।

विशेष रूप से, 130,000 IU आम तौर पर सुझाई गई 4,000 IU की दैनिक अधिकतम सीमा से 32 गुना अधिक है।

यद्यपि विषाक्तता दुर्लभ है अगर दैनिक विटामिन डी की खपत 10,000 आईयू (IU) से कम रखी जाए और अत्यधिक विटामिन डी सप्लीमेंटेशन (अनुपूरण) से बचा जाए, फिर भी विशेषज्ञों का सुझाव है कि औसत विटामिन डी स्तर वाले वयस्कों को प्रति दिन 4,000 आईयू (IU) विटामिन डी से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए (21)।

दोस्तों, यहां आपको एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी है या कमी का खतरा है, उन्हें पर्याप्त विटामिन डी स्तर प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए प्रत्येक दिन 4,000 आईयू के मौजूदा सहनीय ऊपरी सेवन स्तर (tolerable upper intake level) की तुलना में काफी बड़ी खुराक की आवश्यकता होती है।

हालाँकि, आपको अपने लिए उचित खुराक के बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इससे आपको हानिकारक खुराक से बचने में मदद मिलेगी।

2) रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ना – (Elevated Calcium Levels in the Blood in hindi)

विटामिन डी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि यह आहार से कैल्शियम के अवशोषण में सहायता करता है।

हालाँकि, यदि आप अत्यधिक मात्रा में विटामिन डी का सेवन करते हैं, तो आपके रक्त में कैल्शियम का स्तर उस स्तर तक बढ़ सकता है जो अप्रिय और यहां तक कि घातक लक्षण भी पैदा करता है।

विटामिन डी विषाक्तता मुख्य रूप से हाइपरकैल्सीमिया (यानी असामान्य रूप से रक्त में उच्च कैल्शियम स्तर) के रूप में प्रकट होती है (22)।

हाइपरकैल्सीमिया के लक्षण (symptoms of hypercalcemia in hindi) हैं:

  • बार-बार पेशाब आना
  • निर्जलीकरण
  • भूख में कमी
  • थकान
  • चक्कर आना
  • भ्रम (confusion)
  • मतिभ्रम (hallucinations)
  • गुर्दे की पथरी, किडनी डैमेज (kidney damage), और यहाँ तक कि किडनी फेलियर (kidney failure) भी

हाइपरकैल्सीमिया अक्सर विटामिन डी का ज्यादा मात्रा में लंबे समय तक सेवन करने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।

रक्त में कैल्शियम का सामान्य स्तर 8.5 और 10.8 mg/dL के बीच होना चाहिए।

हाइपरकैल्सीमिया एक जीवन-घातक स्थिति है जिसमें तत्काल चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, 2015 के एक केस अध्ययन से पता चला है कि डिमेंशिया (dementia) से पीड़ित एक बुजुर्ग व्यक्ति, जिसे छह महीने तक रोजाना 50,000 आईयू विटामिन डी मिलता था, उसे ऊंचे कैल्शियम स्तर से जुड़े लक्षणों के लिए अक्सर अस्पताल में भर्ती कराया जाता था (23)।

हाइपरकैल्सीमिया से जुड़े लक्षणों के अलावा, 20 महीने तक प्रतिदिन औसतन 130,000 IU विटामिन डी लेने वाली महिला को 2020 केस रिपोर्ट में अस्पताल में भर्ती कराया गया था (20)। इन लक्षणों में उल्टी, मतली, मांसपेशियों की कमज़ोरी, और किडनी डैमेज शामिल है। उसके रक्त में कैल्शियम का स्तर 12.9 mg/dl था (20)।

3) मानसिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है – (May Cause Altered Mental State in hindi)

विटामिन डी विषाक्तता वाले व्यक्तियों में, हाइपरकैल्सीमिया के परिणामस्वरूप मानसिक स्थिति ख़राब हो सकती है।

विटामिन डी विषाक्तता से प्रेरित हाइपरकैल्सीमिया अक्सर उदासी, भ्रम और मनोविकृति जैसे लक्षणों से जुड़ा होता है। गंभीर परिस्थितियों में कोमा देखा गया है (24)।

2021 की एक केस रिपोर्ट के अनुसार, एक 64 वर्षीय व्यक्ति ने चिकित्सा निर्देशों को गलत समझने के बाद गलती से प्रति दिन 200,000 IU विटामिन डी का सेवन कर लिया। उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई और हाइपरकैल्सीमिया से संबंधित अन्य गंभीर लक्षण उत्पन्न हो गए थे।

अस्पताल में रहने के पहले दस दिनों तक, वह भ्रमित और उत्तेजित रहा, लेकिन जैसे-जैसे उसके कैल्शियम का स्तर कम होता गया, उसके लक्षण भी धीरे-धीरे कम होते गए। उसके कैल्शियम के स्तर को सामान्य तक ठीक होने में लगभग अठारह दिन लगे (25)।

4) पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं – (May Cause Digestive Issues in hindi)

आपके शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम का बढ़ा हुआ स्तर पाचन संबंधी कई समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। ये दुष्प्रभाव मुख्य रूप से रक्त में कैल्शियम के अत्यधिक स्तर के कारण होते हैं, इनमें से कुछ दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं (26):

  • जी मिचलाना
  • भूख का कम लगना

हालाँकि, हाइपरकैल्सीमिया वाले सभी लोगों में बिल्कुल वही लक्षण मौजूद नहीं हो सकते हैं।

दो भाइयों के एक मामले के अध्ययन में, एक 12 वर्षीय लड़के को अनुचित रूप से लेबल किए गए विटामिन डी की खुराक लेने के बाद कब्ज, उल्टी, और पेट में दर्द हुआ, जबकि उसका भाई जो उसी उपचार को प्राप्त कर रहा था, उसने बिना किसी अन्य लक्षण के रक्त स्तर में वृद्धि का अनुभव किया (27) ।

एक अन्य अध्ययन में, एक 18 महीने के लड़के को, जिसे 3 महीने तक 50,000 आईयू विटामिन डी3 दिया गया, उसे पेट में दर्द, दस्त, और अन्य लक्षण विकसित हुए। जब बच्चे ने सप्लीमेंट (पूरक) लेना बंद कर दिया तो ये लक्षण धीरे-धीरे ठीक हो गए (28)।

5) किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है – (May be Harmful to kidneys in hindi)

अध्ययनों के अनुसार, विटामिन डी विषाक्तता से किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और कुछ मामलों में किडनी फेलियर भी हो सकती है। पहले से किडनी की बीमारियों से पीड़ित लोगों को विटामिन डी के सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए

इसका कारण यह है कि शरीर में अत्यधिक विटामिन डी होने से कैल्शियम का स्तर उच्च हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बहुत अधिक पेशाब आने से पानी की कमी हो सकती है, और किडनी में कैल्सीफिकेशन (calcification of the kidneys) हो सकता है (29)।

हाइपरकैल्सीमिया गुर्दे की रक्त वाहिकाओं में संकुचन पैदा करके गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी ला सकता है (29)।

वास्तव में, कई अध्ययनों में विटामिन डी विषाक्तता वाले लोगों में मध्यम से गंभीर गुर्दे की क्षति देखी गई है (20, 27, और 28)।

यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विटामिन डी की कमी भी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है और किडनी रोग के रोगियों में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती है। इस प्रकार, रक्त में विटामिन डी का इष्टतम स्तर (optimal level) बनाए रखना महत्वपूर्ण है (30, 31)।

6) कमज़ोर हड्डियां और हड्डियों में दर्द हो सकता है – (May Cause Brittle Bones and Bone Pain in hindi)

जब रक्तप्रवाह में कैल्शियम की उच्च मात्रा स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो रही होती है, तो आपके शरीर में इस मिनरल को हड्डियों से प्रभावी ढंग से बांधने के लिए पर्याप्त हार्मोन नहीं होते हैं।

विटामिन डी की विषाक्तता हाइपरकैल्सीमिया और इसके बाद हड्डियों की समस्याओं का कारण बन सकती है। इनमें से कुछ लक्षण हैं:

  • अस्थिरता (instability)
  • हड्डियों में दर्द होना
  • गंभीर रूप से झुकी हुई मुद्रा (severely stooped posture)
  • हड्डियाँ जिनमें जल्दी फ्रैक्चर या टूटने का खतरा हो

7) फेफड़ों को नुकसान हो सकता है – (May Cause Lung Damage in hindi)

जब रक्त में फॉस्फेट और कैल्शियम के उच्च स्तर मिलकर क्रिस्टल बनाते हैं, तो ये नरम ऊतकों में जमा हो जाते हैं, विशेष रूप से नरम-उत्तकों से बने अंग (soft-tissue organs) जो फ़िल्टर के रूप में कार्य करते हैं, जैसे फेफड़े।

यदि कैल्शियम से बने ये क्रिस्टल फेफड़ों में ज्यादा मात्रा में मौजूद हैं, तो ये फेफड़ों की कार्य-क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इनके परिणामस्वरूप फेफड़ों की क्षति के कुछ संकेत हैं:

  • छाती में दर्द
  • साँस लेने में तकलीफ़
  • खाँसी आना

विटामिन डी की कमी के क्या लक्षण हैं? – (What are the Symptoms of Vitamin D Deficiency in hindi?)

हड्डियों में दर्द और मांसपेशियों में कमज़ोरी के लक्षण संकेत दे सकते हैं कि आपमें विटामिन डी की कमी है। हालाँकि, कई व्यक्तियों में केवल मामूली लक्षण होते हैं। फिर भी, लक्षणों की अनुपस्थिति में भी, अपर्याप्त विटामिन डी स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

विटामिन डी की कमी से निम्नलिखित लक्षण (Vitamin D deficiency symptoms in hindi) हो सकते हैं:

  • वयस्कों में इसकी कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर हो सकते हैं।
  • बच्चों में, इसकी कमी से रिकेट्स हो सकता है, जो एक दुर्लभ बीमारी है जिससे हड्डियाँ नरम हो जाती हैं और मुड़ जाती हैं।
  • वयस्कों में विटामिन डी की गंभीर कमी से ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) हो सकता है, जिससे हड्डियों में दर्द, कमज़ोर हड्डियाँ और मांसपेशियों में कमज़ोरी होती है।
  • हृदय रोग से मृत्यु दर का जोखिम बढ़ जाता है।
  • बुज़ुर्ग व्यक्तियों में उम्र से संबंधित संज्ञानात्मक गिरावट (cognitive decline) हो सकती है।
  • विटामिन डी की कई तरह की बीमारियों की रोकथाम और उपचार में भूमिका हो सकती है, जिसमें टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोज असहिष्णुता (glucose intolerance), और मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) शामिल हैं।

विटामिन डी की खुराक क्या है? – (What is the Dosage of Vitamin D in hindi?)

विटामिन डी एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है। विटामिन डी मछली, अंडे और फोर्टिफाइड दूध में पाया जाता है। आरडीए (recommended dietary allowance or RDA) वह दैनिक मात्रा है जिसे ग्रहण किया जाना चाहिए।

आप विटामिन डी के सेवन को माइक्रोग्राम (mcg) या अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों (IU) में माप सकते हैं। विटामिन डी का एक माइक्रोग्राम 40 IU के बराबर होता है।

विटामिन डी के आरडीए (recommended dietary allowance or RDA) निम्न प्रकार हैं (32):

  • 1 से 70 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए: 600 IU (15 mcg)
  • 71 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए: 800 IU (20 mcg)
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएँ: 600 IU (15 mcg)।
  • शिशुओं (0 से 12 महीने की आयु) के लिए: 400 IU (10mg)।

सूर्य के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप त्वचा में विटामिन डी भी संश्लेषित (synthesized) होता है। अधिकांश व्यक्तियों के लिए, प्रत्येक दिन 15-30 मिनट धूप में बिताना उचित विटामिन डी के स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त होता है।

चूंकि, विटामिन डी बहुत जल्दी टूट जाता है, इसलिए इसके भंडार कम हो जाते हैं, खासकर सर्दियों में।

बिना किसी डॉक्टर की सलाह के, अधिकांश व्यक्तियों को प्रतिदिन 4000 IU से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए। किसी विशेष बीमारी के लिए उचित खुराक निर्धारित करने के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

(इसे भी पढ़ें: विटामिन डी के स्रोत – Sources of Vitamin D in Hindi)

निष्कर्ष – (Conclusion In Hindi)

विटामिन डी कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। यह कुछ बीमारियों के होने की संभावना को कम करने, मूड बेहतर बनाने, अवसाद के लक्षणों को ठीक करने, तथा वजन नियंत्रण में सहायता कर सकता है।

केवल भोजन से पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना मुश्किल है; इसलिए, आप अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद विटामिन डी के सप्लीमेंट का उपयोग करने के बारे में सोच सकते हैं।


1) Calcium and Phosphate Homeostasis

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK279023

2) Vitamin D and Influenza—Prevention or Therapy?

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC6121423

3) VITAMIN D AND BLOOD PRESSURE PARAMETERS IN CHILDREN AND ADOLESCENTS WITH ARTERIAL HYPERTENSION

https://journals.lww.com/jhypertension/Abstract/2018/06001/VITAMIN_D_AND_BLOOD_PRESSURE_PARAMETERS_IN.759.aspx

4) Vitamin D and Food Allergy

https://www.aaaai.org/Tools-for-the-Public/Conditions-Library/Allergies/vitamin-d-food-allergy

5) Therapeutic Effects of Vitamin D in Asthma and Allergy

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25985947

6) Evidence of an Association Between Vitamin D Deficiency and Preterm Birth and Preeclampsia: A Critical Review

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31411387

7) Maternal and newborn vitamin D status and its impact on food allergy development in the German LINA cohort study

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/23253182

8) Vitamin D status and cardiovascular outcome

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31172459

9) Vitamin D’s Effect on Immune Function

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC7281985

10) The effect of vitamin D supplement on negative emotions: A systematic review and meta-analysis

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/32365423

11) Fibromyalgia Symptom Severity and Psychosocial Outcomes in Fibromyalgia Patients with Hypovitaminosis D: A Prospective Questionnaire Study

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/32022867

12) Effect of vitamin D supplementation along with weight loss diet on meta-inflammation and fat mass in obese subjects with vitamin D deficiency: A double-blind placebo-controlled randomized clinical trial

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30246883

13) Calcium plus vitamin D supplementation and fat mass loss in female very low-calcium consumers: potential link with a calcium-specific appetite control

https://www.cambridge.org/core/journals/british-journal-of-nutrition/article/calcium-plus-vitamin-d-supplementation-and-fat-mass-loss-in-female-very-lowcalcium-consumers-potential-link-with-a-calciumspecific-appetite-control/623D71E0A965E910C48903089FA7B56C

14) Vitamin D and its impact on oral health–an update

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21748977

15) Hypervitaminosis D without toxicity

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC6988698

16) A review of the growing risk of vitamin D toxicity from inappropriate practice

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC5980613

17) Targeted 25-hydroxyvitamin D concentration measurements and vitamin D 3 supplementation can have important patient and public health benefits

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31996793

18) Calcium and vitamin D in human health: Hype or real?

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29258769

19) A Curious Case of Hypervitaminosis D

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC7346314

20) How Much Vitamin D is Too Much? A Case Report and Review of the Literature

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/33030138

21) Vitamin D, Fact Sheet for Health Professionals

https://ods.od.nih.gov/factsheets/VitaminD-HealthProfessional

22) Vitamin D-Mediated Hypercalcemia: Mechanisms, Diagnosis, and Treatment

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC5045493

23) [Vitamin D intoxication caused by drugs bought online. Sky high daily dosage for six months resulted in severe hypercalcemia]

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/26035535

24) Vitamin D Toxicity–A Clinical Perspective

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6158375

25) Forget the phosphorus: A case of hypervitaminosis D-induced symptomatic hypercalcemia

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC7890937

26) Vitamin D-Mediated Hypercalcemia: Mechanisms, Diagnosis, and Treatment

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC5045493

27) Vitamin D intoxication in two brothers: be careful with dietary supplements

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24670344

28) Vitamin D and Risk for Vitamin A Intoxication in an 18-Month-Old Boy

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/27478669

29) Vitamin D and Acute Kidney Injury: A Two-Way Causality Relation and a Predictive, Prognostic, and Therapeutic Role of Vitamin D

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC7969500

30) Vitamin D and Acute Kidney Injury: A Two-Way Causality Relation and a Predictive, Prognostic, and Therapeutic Role of Vitamin D

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC7969500

31) Vitamin D and Kidney Diseases: A Narrative Review

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/labs/pmc/articles/PMC8000170

32) How much vitamin D do I need?

https://ods.od.nih.gov/factsheets/VitaminD-Consumer/#h2

33) Vitamin D: Uses, Benefits, Rich Foods Sources, & Dosage


अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में जानकारी आपके ज्ञान के लिए दी गयी है| किसी भी उपाय/नुस्खे/दवा आदि को इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपके स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा जानता है|


इन्हें भी पढ़ें:

1) मछली के तेल (फिश आयल) के कैप्सूल्स के नुकसान

2) मछली के तेल (फिश आयल) के कैप्सूल्स के फायदे

3) जिंक के स्रोत, फायदे और नुकसान – Zinc Ke 18 Fayde in Hindi

4) विटामिन ए के स्रोत, फायदे और नुकसान – Vitamin A in Hindi

5) कैल्शियम के फायदे, नुकसान व घरेलू स्रोत Calcium in Hindi

6) विटामिन डी के स्रोत – Sources of Vitamin D in Hindi


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